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वर्तमान शिक्षा प्रणाली को अधिक समावेशी बनाने के लिये क्या कदम उठाए जा सकते हैं?

11 Jul 2019 | सामान्य अध्ययन पेपर 2 | सामाजिक न्याय

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण:

• वर्तमान शिक्षा प्रणाली की चुनौतियों का संक्षिप्त विवरण दीजिये।

• शिक्षा को अधिक समावेशी बनाने के उपाय व इनकी सीमाएँ बताइये।

• अधिक समावेशी शिक्षा प्रणाली के महत्त्व को बताते हुए निष्कर्ष लिखिये।

परिचय:

  • एक समावेशी शिक्षा व्यवस्था देश के नागरिकों को देश के विकास, नवाचार व प्रगति में भागीदार बनने का अवसर प्रदान करती है। यह देश के नागरिकों के मध्य समन्वय व एकता स्थापित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
  • भारत की वर्तमान शिक्षा व्यवस्था लैंगिक, सामाजिक व आर्थिक स्तर पर पूर्वाग्रहों व भेदभाव से ग्रस्त है जो देश की शिक्षा व्यवस्था की क्षमता को बाधित करती है।

प्रमुख बिंदु:

वर्तमान शिक्षा व्यवस्था की चुनौतियाँ:

  • गुणवत्तापूर्ण स्कूलों का अभाव।
  • स्कूलों तक सुगम पहुँच का अभाव।
  • शिक्षा में भेदभाव का मुख्य कारण गरीबी है।
  • शिक्षा के अवसंरचनात्मक ढाँचे का अभाव। स्कूलों में शौचालयों, पीने के पानी आदि की सुविधाओं का अभाव।
  • सामाजिक मान्यताओं के आधार पर भेदभाव जैसे-कुछ समाज महिला शिक्षा को आवश्यक नहीं मानते हैं।
  • पितृसत्तात्मक सोच, जातिगत सामाजिक संरचना आदि समावेशी शिक्षा के मार्ग में प्रमुख अवरोधक है।

शिक्षा व्यवस्था को समावेशी बनाने के लिये प्रमुख उपाय:

उपाय:

  • महिलाओं का समावेश: योजनाओं व नीति निर्माण में विभिन्न वर्गों का समावेश करने के साथ ही महिलाओं शामिल करने की आवश्यकता है। ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’, ‘सुकन्या समृद्धि योजना’ आदि इस दिशा में किये गए सकारात्मक प्रयास हैं।
  • विशेष शिक्षा ज़ोन: राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2019 के ड्रॉफ्ट में देश में शिक्षा में पिछड़े क्षेत्र व वंचित वर्ग की सघन आबादी वाले क्षेत्रों को विशेष शिक्षा ज़ोन बनाने का सुझाव दिया गया है। इस ज़ोन में सभी योजनाओं व नीतियों को शैक्षिक स्थिति में परिवर्तन हेतु लागू किया जाए।
  • दिव्यांग जन: कोठारी आयोग की अनुसंसाओं के अनुसार, दिव्यांग बच्चों को शिक्षा में समान अवसर उपलब्ध करवाने के लिये विशेष शिक्षा दिये जाने की आवश्यकता है। स्कूलों के ढाँचे को अधिक-से-अधिक दिव्यांग बच्चों के लिये सुगम बनाने की आवश्यकता है।
  • अनुसूचित जातियों/जनजातियों, अल्पसंख्यकों व ट्रांसजेंडर की शिक्षा के लिये जागरूकता अभियान, नीति निर्माण में उपरोक्त वर्गों को प्राथमिकता प्रदान करने की आवश्यकता है।
  • अधिक शिक्षकों की नियुक्ति, रुचिकर पाठ्यक्रम का निर्माण तथा देश में शिक्षा का वातावरण के निर्मित कर शिक्षा का प्रसार किये जाने की आवश्यकता है।

निष्कर्ष:

यद्यपि इस दिशा में सरकार द्वारा छात्रवृत्ति प्रदान कर निशुल्क शिक्षा का संवैधानिक प्रावधान व केंद्र तथा राज्य सरकारों के द्वारा बालिका शिक्षा, दिव्यांगजनों के लिये शिक्षा व अन्य वंचित वर्गों को शिक्षा प्रदान करने के निरंतर प्रयास किये जा रहे हैं।