निश्चित खुराक संयोजन (Fixed Dose Combinations-FDCs) क्या हैं? भारतीय संदर्भ में इसके फायदे और नुकसान का उल्लेख करें।
14 Jun 2019 | सामान्य अध्ययन पेपर 3 | विज्ञान-प्रौद्योगिकी
दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
प्रश्न हल करने का दृष्टिकोण
- निश्चित खुराक संयोजन की व्याख्या करें।
- भारत के संदर्भ में इसके लाभों पर चर्चा करें।
- भारत के लिये FDCs के संभावित नुकसान/चिंताओं पर प्रकाश डालिये।
- FDCs के संदर्भ में आगे की राह बताएँ।
परिचय
निश्चित खुराक संयोजित (FDC) दवा में एक निश्चित खुराक अनुपात में दो या दो से अधिक सक्रिय दवाएँ शामिल होती हैं।
भारत के संदर्भ में निश्चित खुराक संयोजन के लाभ
- एफडीसी एचआईवी, मलेरिया और तपेदिक जैसे संक्रामक रोगों के उपचार में विशेष रूप से उपयोगी है।
- इन औषधीय उत्पादों से रोगी की अनुकूलता में सुधार करना तथा एक साथ दिये जाने वाले दो औषधीय उत्पादों के सहक्रियात्मक प्रभावों से लाभ उठाना।
- एफडीसी एकल इकाई के रूप में विशिष्ट लाभ प्रदान करने के लिये जाना जाता है जैसे खुराक की प्रभावकारिता में वृद्धि, दवा का कम प्रतिकूल प्रभाव।
- वितरण व भंडारण की न्यून लागत।
भारत के संदर्भ में एफडीसी की चिंताएँ:
- एफडीसी दो या दो से अधिक दवाओं का संयोजन है जिस कारण मरीज़ को अतिरिक्त दुष्प्रभावों का सामना कर सकता है, जबकि उसे वास्तव में उन कई दवाओं की आवश्यकता नहीं हो सकती है ।
- कुछ दवाओं को रोगी की रोग प्रतिक्रिया के आधार पर अलग-अलग करना पड़ता है, जबकि एफडीसी में यह संभव नहीं है।कुछ कंपनियां उचित नैदानिक परीक्षण (CLINICAL TRIALS) और सरकारी अनुमोदन के बिना भारत में एफडीसी की बिक्री कर रही हैं। जिसे विनियमित करना आवश्यक है।
- गैर-आवश्यक एफडीसी डॉक्टर की सलाह के बिना लोगों द्वारा दवाओं के अंधाधुंध उपयोग को प्रोत्साहित करती है ।भारत में एंटीबायोटिक प्रतिरोध के प्रमुख कारणों में एंटीबायोटिक दवाओं में एफडीसी का उपयोग करना शामिल है।
आगे की राह:
- दवा तकनीकी सलाहकार बोर्ड द्वारा समय -समय पर इन दवाओं के संबंध में की गयी अनुशंसाओ के आधार पर सरकार द्वारा दिशा निर्देश जारी किये जाने चाहिये।
- लोगो द्वारा इनके सुरक्षित उपयोग के लिये जागरूकता का प्रसार करने के साथ ही इन दवाओं के सुरक्षित विकल्पों पर भी विचार किया जाना चाहिये।