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महासागरीय लवणता के क्षैतिज वितरण में भिन्नता की कारणों सहित विवेचना कीजिये।

23 Aug 2019 | रिवीज़न टेस्ट्स | भूगोल

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

प्रश्न विच्छेद

• महासागरीय लवणता के क्षैतिज वितरण में भिन्नता का कारण स्पष्ट करें।

हल करने का दृष्टिकोण

• महासागरीय लवणता का आशय स्पष्ट करें।

• लवणता के क्षैतिज वितरण में भिन्नता का कारण बताएँ।

महासागरों के जल में घुले ठोस लवण की मात्रा को लवणता कहते हैं। इसे ग्राम/हज़ार में व्यक्त किया जाता है। सामान्य रूप से खुले महासागरों की लवणता 32‰ से 37‰ के बीच होती है। उत्तरी गोलार्द्ध के महासागरों की औसत लवणता लगभग 34‰ है, जबकि दक्षिणी गोलार्द्ध के महासागरों की औसत लवणता 35% है।

महासागरीय जल की लवणता में क्षैतिज वितरण में पर्याप्त अंतर पाया जाता है। सामान्य रूप से विषुवत रेखा से ध्रुवों की ओर जाने पर दोनों ही गोलार्द्धों में लवणता घटती है, परन्तु महासागरों में सर्वाधिक लवणता का क्षेत्र 20° से 40° उत्तर तथा 10° से 30° दक्षिण अक्षांशों के मध्य पाया जाता है। इसके बाद दोनों ही गोलार्द्धों में विषुवत रेखा एवं ध्रुवों की ओर लवणता में कमी आती है।

प्रतिदिन संवहनीय वर्षा तथा नदियों द्वारा स्वच्छ जल के आगमन के कारण भूमध्यरेखीय क्षेत्र सापेक्षिक रूप से कम लवणता का क्षेत्र है। उच्च अक्षांश में स्थित होने के बावजूद उत्तरी अटलांटिक अपवाह द्वारा लाए गए अधिक लवणीय जल के कारण उत्तरी सागर में अधिक लवणता पाई जाती है, जबकि बाल्टिक सागर में नदियों के द्वारा अधिक मात्रा में लाए जाने वाले ताज़े जल के कारण कम लवणता पाई जाती है। भूमध्य सागर में उच्च वाष्पीकरण के कारण अधिक लवणता होती है। स्थलरुद्ध होने के बावजूद काले सागर में नदियों द्वारा अधिक मात्रा में ताज़ा जल लाए जाने के कारण कम लवणता होती है। बंगाल की खाड़ी में नदियों द्वारा ताज़ेे जल की प्राप्ति होते रहती है, जबकि अरब सागर में उच्च वाष्पीकरण और ताज़े जल की कम प्राप्ति के कारण अपेक्षाकृत अधिक लवणता पाई जाती है। इस प्रकार हम देखते हैं कि लवणता का वितरण सर्वत्र एकसमान नहीं है तथा इस पर बाह्य कारकों के साथ-साथ स्थानीय कारकों का भी प्रभाव पड़ता है।