आर्यों की उत्पत्ति से जुड़ी विभिन्न अवधारणों का वर्णन कीजिये। क्या आर्य लोग भारत के मूल निवासी थे?
दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
प्रश्न विच्छेद
• कथन आर्यों की उत्पत्ति से जुड़ी विभिन्न अवधारणाओं के वर्णन से संबंधित है।
• यह आर्यों का भारत के मूल निवासी होने या न होने के संदर्भ में आपके तर्क से जुड़ा हुआ है।
हल करने का दृष्टिकोण
• आर्यों के विषय में संक्षिप्त उल्लेख के साथ परिचय लिखिये।
• आर्यों की उत्पत्ति से जुड़ी विभिन्न अवधारणाओं के पक्ष-विपक्ष के वर्णन के साथ उत्तर लिखिये।
• आर्यों के भारत के मूल निवासी होने या न होने के संदर्भ में अपना तर्क प्रस्तुत कीजिये।
• उचित निष्कर्ष लिखिये।
|
आर्यों का मूल निवास स्थान बहस का विषय रहा है जिसको लेकर अलग-अलग विचार हैं। अनेक विद्वानों ने आर्यों के मूल निवास स्थान के संदर्भ में भिन्न-भिन्न मत प्रस्तुत किये हैं। वे इसमें आर्कटिक क्षेत्र, यूरोप, मध्य एशिया और दक्षिणी रूस को समाहित करते हैं। आर्यों की उत्पत्ति से जुड़ी ये मान्यताएँ आर्य संस्कृति से संबंधित साक्ष्यों के अध्ययन के आधार पर निर्मित की गई हैं।
आर्यों की उत्पत्ति से जुड़ी विभिन्न अवधारणाओं के पक्ष-विपक्ष का वर्णन निम्नलिखित रूपों में वर्णित है-
- बाल गंगाधर तिलक ने खगोलीय गणनाओं के आधार पर आर्यों का आगमन आर्कटिक क्षेत्र से होना बताया है। तिलक की मान्यता ऋग्वेद में एक सूक्त के अंतर्गत दीर्घकालीन उषा की स्तुति पर आधारित होने के कारण मान्य नहीं है।
- सजातीय शब्दों से जिस प्रकार के जलवायु, पशु-पक्षी जगत एवं वृक्षों का पता चलता है उससे आर्य जन के गर्म क्षेत्रों में रहने से जुड़ी मान्यताओं पर प्रश्नचिह्न खड़ा होता है जो अप्रत्यक्ष रूप से इनके भारत सहित इन क्षेत्रों से जुड़े होने की मान्यता को भी खारिज करते हैं।
- गाइल्स विभिन्न भारोपीय भाषाओं के तुलनात्मक अध्ययन के आधार पर आर्यों का मूल निवास हंगरी मानते हैं। क्योंकि इनकी मान्यता से जुड़ी विशेषताएँ अन्य स्थानों पर भी मिलती हैं इसलिये यह मान्य नहीं है।
- मैक्समूलर जैसे विद्वान मध्य एशिया को इनका निवास स्थान मानते हैं, जबकि एशिया को न मानने वाले विद्वानों का कहना है कि वे भारोपीय भाषा-भाषी परिवार के मुहावरों के आधार पर यूरोप में इनके मूल निवास स्थान को खोजना अधिक तर्कसांगत मानते हैं।
- एकमात्र भाषायी आधार पर स्कैन्डिनेविया, बाल्टिक सागर एवं मध्य जर्मनी से मिलते-जुलते उपकरण एवं मृदभांडों की अन्य स्थानों पर उपस्थिति के आधार पर यूरोप के मूल निवास स्थान होने की मान्यता को भी खारिज किया जाता है।
- आर्य संस्कृति की पहचान में घोड़े का बहुत ऊँचा स्थान था लेकिन अश्व पालन का प्राचीनतम साक्ष्य भारतीय महादेश से काफी दूर मिलता है। पुरातत्त्व के अनुसार घोड़े का उल्लेख पहले-पहल 6000 ई.पू. यूराल में मिलता है। इससे आर्य उत्पत्ति की दक्षिणी रूस से इतर सिद्धांतों पर प्रश्नचिह्न लगता है।
- दक्षिणी रूस के सिद्धांत के अनुसार, आर्य लोग दक्षिणी रूस अर्थात यूराल पर्वत श्रेणी के दक्षिण में मध्य-एशियाई इलाके के पास के ‘स्टेप’ मैदानों से एशिया और यूरोप के विभिन्न हिस्सों में चले गए।
हालाँकि, दक्षिणी रूस का सिद्धांत अधिक संभावित प्रतीत होता है और इसे इतिहासकारों द्वारा व्यापक रूप से स्वीकार भी किया जाता है। मध्य एशिया से आर्यों के प्रसारण की पुष्टि जीव विज्ञानियों के शोध से भी होती है। आर्यों ने लगभग 1500 बीसी में भारत में प्रवेश किया और इन्हें हिन्द-आर्य के रूप में जाना गया। अत: आर्यों के भारत के मूल निवासी होने की मान्यता उचित प्रतीत नहीं होती है।