-
06 Aug 2019
रिवीज़न टेस्ट्स
इतिहास
संगम युग में महिलाओं की स्थिति का मूल्यांकन कीजिये।
प्रश्न विच्छेद
कथन संगम युग में महिलाओं की स्थिति के पक्ष व विपक्ष से संबंधित है।
हल करने का दृष्टिकोण
• संगम युग के बारे में संक्षिप्त उल्लेख के साथ परिचय लिखिये।
• संगम युग में महिलाओं की स्थिति के पक्ष व विपक्ष का उल्लेख कीजिये।
• उचित निष्कर्ष लिखिये।
संगम युग के दौरान तमिल देश पर चेरा, चोल एवं पांड्य तीन राजवंशों का शासन था। संगम तमिल कवियों का संघ या सम्मलेन था जो किसी सामंत या राजा के राजाश्रय में आयोजित होता था। सुदूर दक्षिण के जन-जीवन पर पहले पहल संगम साहित्य से ही प्रकाश पड़ता है। संगम साहित्य में संगम युग के दौरान महिलाओं की स्थिति से जुड़ी बहुत सारी जानकारियाँ वर्णित हैं।
संगम युग में महिलाओं की स्थिति का मूल्यांकन निम्नलिखित रूपों में वर्णित है-
- संगम युग में महिला कवयित्रियाँ जैसे कि ओवैयर (Avvaiyar), नच्चेलियर (Nachchellaiyar) और कक्कईपादिनियार (Kakkaipadiniyar) हुई जिन्होंने तमिल साहित्य में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।
- कर्पू (Karpu) या शुद्ध जीवन महिलाओं का सर्वोच्च गुण माना जाता था।
- महिलाओं के साहस को कई कविताओं में सराहा भी गया था। इस युग में प्रेम विवाह एक आम प्रथा थी।
- महिलाओं को अपना जीवनसाथी चुनने की अनुमति दी गई थी और माता-पिता उस पर सहमत भी होते थे।
- संगम युग में विधवा महिलाओं का जीवन दयनीय था और समाज में उच्च स्तर पर सती प्रथा का प्रचलन भी था।
- राजाओं और कुलीनों द्वारा नर्तकियों के वर्ग को संरक्षित किया जाता था। महिलाओं से वेदों के अनुसार व्यवहार नहीं किया जाता था।
उपर्युक्त वर्णन के आधार पर संगम युग में महिलाओं के स्थिति की मिली-जुली तस्वीर उभर कर सामने आती है जिसमें इनकी स्थिति से संबंधित सकारात्मक एवं नकारात्मक दोनों ही पक्ष दिखाई पड़ते हैं।