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24 Aug 2019
रिवीज़न टेस्ट्स
भूगोल
भूस्खलन प्रक्रिया की चर्चा करते हुए भारत के हिमालय क्षेत्र एवं पश्चिम घाट में इसमें तुलनात्मक अंतर के कारणों को स्पष्ट कीजिये।
प्रश्न विच्छेद
भूस्खलन की प्रक्रिया तथा हिमालय एवं पश्चिम घाट में इसमें अंतर को बताएँ।
हल करने का दृष्टिकोण
भूस्खलन की प्रक्रिया को स्पष्ट करें।
हिमालय तथा पश्चिम घाट में भूस्खलन की प्रक्रिया में अंतर के कारणों को स्पष्ट कीजिये।
भूस्खलन एक भूवैज्ञानिक घटना है। सामान्यत: धरातली हलचलों जैसे- पत्थर खिसकना या गिरना, मलबा अवधाव, शैल पतन आदि ही भूस्खलन है। इसमें स्खलित पदार्थ अपेक्षतया शुष्क होते हैं तथा स्खलित पदार्थों का आकार एवं आकृति क्षरित पदार्थ की मात्रा और ढाल की ज्यामिति पर निर्भर करती है। तीव्र ढालों पर यह बहुत ही विध्वंसक होता है। भूस्खलन मुख्य रूप से स्थानीय कारणों से उत्पन्न होते हैं, इसलिये इसके बारे में आँकड़े एकत्र करना और इसकी संभावना का अनुमान लगाना मुश्किल और महँगी प्रक्रिया है।
हिमालय क्षेत्र भूस्खलन की दृष्टि से सर्वाधिक प्रभावित है। हिमालय विवर्तनिक दृष्टिकोण से अत्यधिक सक्रिय है। इसका निर्माण अधिकांशत: परतदार शैलों एवं असंघटित एवं अर्ध-संघटित पदार्थों से हुआ है। यही कारण है कि यह भूस्खलन प्रवण क्षेत्र है। शिवालिक व पूर्वी हिमालयी क्षेत्र में प्राय: बादल फटने की घटना होती है, जिससे प्राय: शैल पतन होता है। हिमालय के दक्षिणी भाग का ढाल तीव्र है, जो भूस्खलन के लिये बहुत ही विध्वंसक होता है। इस क्षेत्र में निर्वनीकरण भी भूस्खलन का कारण है। यहाँ भूस्खलन की कई घटनाएँ आधारभूत संरचनाओं जैसे- बांध, सड़क, होटल, रेस्तराँ आदि के निर्माण का परिणाम है।
हिमालयी क्षेत्र की तुलना में पश्चिमी घाट अपेक्षाकृत विवर्तनिकी दृष्टि से अधिक स्थायी है। यहाँ भूस्खलन की बारंबारता उतनी नहीं है जितनी हिमालय में है। यहाँ अत्यधिक वर्षा, पहाड़ों का तीव्र ढलान, पहाड़ों का अपरदन, पहाड़ों में विस्फोट करना भूस्खलन का मुख्य कारण है। इस क्षेत्र का निर्माण कठोर शैलों से हुआ है, वाबजूद इसके यहाँ मलबा अवधाव एवं भूस्खलन की घटनाएँ होती रहती है। यह क्षेत्र कम समय में अधिक वर्षा प्राप्त करता है। अत: यहाँ भूस्खलन एवं मलबा अवधाव के साथ प्राय: सीधे शैल पतन होता है।
यद्यपि भूस्खलन सूनामी, चक्रवात, भूकंप की तुलना में बड़ी आपदा नहीं है, परन्तु यह पर्यावरण और जन-धन पर गहरा प्रभाव डालता है।