प्रयागराज शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 29 जुलाई से शुरू
  संपर्क करें
ध्यान दें:

Be Mains Ready

  • 14 Aug 2019 रिवीज़न टेस्ट्स इतिहास

    बुद्ध के उपदेशों पर उपनिषदों के मत का प्रभाव था। परीक्षण कीजिये। (250 शब्द)

    प्रश्न विच्छेद

    • कथन बुद्ध के उपदेशों पर उपनिषदों के मत के प्रभाव से संबंधित है।

    हल करने का दृष्टिकोण

    • उपनिषदों के बारे में संक्षिप्त उल्लेख के साथ परिचय लिखिये।

    • बुद्ध के उपदेशों पर उपनिषदों के मत के प्रभाव के पक्ष एवं विपक्ष का उल्लेख करते हुए उत्तर लिखिये।

    • उचित निष्कर्ष लिखिये।

    उत्तर-वैदिककालीन दौर में विभिन्न स्तरों पर विद्यमान असमानता ने उपनिषदीय दर्शन की उत्पत्ति के साथ-साथ अन्यों के लिये भी अवसर उपलब्ध कराया। जिस समय बुद्ध उपदेश दे रहे थे उसी समय या उनसे थोड़ा पहले दूसरे अन्य चिन्तक भी कठिन इहलौकिक एवं पारलौकिक प्रश्नों का उत्तर ढूंढने का प्रयास कर रहे थे। उपनिषद उत्तर वैदिक ग्रंथों का हिस्सा था जिसका शाब्दिक अर्थ ‘गुरु के समीप बैठना’ है।

    बुद्ध के उपदेशों पर उपनिषदों के मत के प्रभाव का परीक्षण पक्ष (समानता) एवं विपक्ष (असमानता) जैसे बिन्दुओं के आधार पर निम्नलिखित रूपों में वर्णित है-

    पक्ष:

    • हिंदू दर्शन का सार उपनिषद के लेखकों ने बौद्ध धर्म के अनुरूप शांति और मोक्ष के लिये गैर-प्रासंगिक प्रथाओं से दूर होते हुए सच्चे ज्ञान पर ज़ोर दिया। 
    • वैदिक कर्मकांड का विरोध बुद्ध के पहले ही उपनिषद के ज्ञानमार्ग की स्थापना में परिलक्षित होता है।
    • उपनिषदीय विचारकों द्वारा बौद्ध धर्म के अनुरूप कर्मकांडों पर यज्ञीय अनुष्ठानों को कमज़ोर नौका बताकर गहरा आघात किया गया।
    • उपनिषदीय दर्शन का मूल स्वरूप बौद्ध धर्म के अनुरूप सांसारिक जीवन की निस्सारता, त्याग तथा संन्यास है।
    • उपनिषदीय दर्शन में साधना, तप तथा उपासना की अधिक महत्ता बौद्ध धर्म के सिद्धांतों के ज़्यादा समीप ठहरती प्रतीत होती है।

    विपक्ष:

    • उपनिषदों में वैदिक यज्ञ की अपेक्षा साधना, तप एवं उपासना की अधिक महत्ता स्थापित है, जबकि जैन-बौद्ध धर्म में त्याग तथा संन्यास प्रधान जीवन को वैदिक यज्ञवाद के विरुद्ध स्थापित किया गया है। 
    • उपनिषदों के चिंतकों द्वारा वैदिक परंपरा को औपचारिक मान्यता दी गई है, जबकि महावीर और बुद्ध वेदों के प्रभुत्व पर प्रश्न उठाते थे।
    • उपनिषदीय अद्वैत सिद्धांत के उलट बौद्ध धर्म में सार्वभौम ईश्वर की कल्पना का अभाव था। इसलिये इस धर्म में वेदों को देव वाक्य नहीं माना गया है। 
    • उपनिषदों के विपरीत बुद्ध ने कहा कि वेद जलविहीन मरुस्थल एवं पंथविहीन जंगल हैं और घोषित किया कि वैदिक विद्या धर्महीन है।

    निष्कर्षत: भारतीय दर्शन के विकास में उपनिषदीय दर्शन का उदय एक महत्त्वपूर्ण घटना थी जिसका क्रमिक विकास आने वाले समय में देखने को मिलता है। उपनिषदों एवं बौद्ध धर्म के बीच परिलक्षित समानता एवं असमानता के बिन्दुओं एवं उपनिषदों के बुद्ध पूर्व, समकालीन एवं परवर्ती होने के आधार पर प्रतीत होता है कि वे एक-दूसरे से कुछ मामलों में प्रभावित हुए हों और कुछ मामलों में नहीं भी। 

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2