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  • 24 Aug 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    देश में वांछित सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन में प्रभाव और प्रोत्साहन कैसे योगदान दे सकते हैं?

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण

    • परिचय में किसी उद्धरण का उपयोग करते हुए उत्तर लिखिये।

    • प्रोत्साहन और सामाजिक प्रभाव की संक्षिप्त व्याख्या करें।

    • उदाहरणों का उपयोग करते हुए सामाजिक और आर्थिक क्षेत्रों में परिवर्तन लाने में उनके योगदान की व्याख्या कीजिये।

    • आगे की राह यानी क्या किया जा सकता है के बारे में लिखिये।

    • जैसा कि प्लेटो की एक प्रसिद्ध उक्ति है -“What is honoured in a country is cultivated there.”
    • प्लेटो के उपरोक्त कथन ने वांछनीय परिवर्तन लाने हेतु व्यवहार के महत्त्व के बारे में जानकारी दी।
    • भारतीय समाज व्यवहार से प्रेरित है जहाँ सामाजिक और धार्मिक मानदंड व्यक्तिगत तथा सामाजिक व्यवहार निर्धारित करने में एक प्रमुख भूमिका निभाते हैं, जो देश में सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन को आगे बढ़ाता है।
    • प्रोत्साहन और प्रभाव व्यवहार संबंधी रणनीतियाँ हैं जो दर्शकों को प्रभावित करती है ताकि वे प्रतीकात्मक साधनों, जैसे- शब्दों, छवियों, ध्वनियों आदि के मध्यम से किसी विचार, दृष्टिकोण या क्रिया को अपनाने के लिए प्रोत्साहित हो सकें, क्योंकि लोगों के कार्य उनके वातावरण में अन्य लोगों द्वारा बहुत प्रभावित होते हैं। आइए उदाहरणों की मदद से सामाजिक और आर्थिक बदलाव लाने में प्रोत्साहन और प्रभाव की भूमिका का विश्लेषण करें:
    • लैंगिक समानता को प्रोत्साहित करने और घटते लिंगानुपात के खतरे से निपटने के लिए, सरकार ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना शुरू की तथा इस अभियान के साथ प्रसिद्ध हस्तियों को जोड़कर प्रोत्साहन और प्रेरणा की व्यावहारिक रणनीतियों का उपयोग किया गया। इससे घटते हुए लिंगानुपात और बालिकाओं द्वारा स्कूल छोड़ने आदि मामलों में सुधार देखा गया। लिंग समानता की दिशा में परिवर्तन का प्रतिनिधित्व करने और लाभों को आगे बढ़ाने के लिए BADLAV (Beti Aapki Dhan Laxmi Aur Vijay Laxmi) के विचार को समायोजित करके योजना के दायरे को और बढ़ाया जा सकता है।
    • इसी प्रकार वन्यजीवों के पौराणिक महत्व को उजागर करके और उन्हें भावनात्मक रूप से लोगों के साथ जोड़कर वन्यजीव संरक्षण को बढ़ावा दिया जा सकता है। उदाहरण के लिए: देवी दुर्गा के वाहन के रूप में बाघ।
    • आर्थिक परिवर्तन के लिये सामाजिक नियमों को “कर से बचना स्वीकार्य है” से “ईमानदारी पूर्वक कर देना सम्मानजनक है” द्वारा संशोधित करना। यह लोगों को समय-समय पर पड़ोसियों या उन लोगों के बारे में सूचित करके प्राप्त किया जा सकता है जो करों का भुगतान ईमानदारी से या सार्वजनिक रूप से करके सम्मान प्राप्त कर रहे हैं तथा करों का भुगतान नहीं करने वालों की सार्वजनिक रूप से निंदित हो रहे हैं।
      • यदि कल्याणकारी योजनाओं से लीकेज और लक्ष्यीकरण त्रुटियों को समाप्त कर दिया जाए तो बहुत सारे आर्थिक संसाधनों का बेहतर उपयोग विकास के लिए किया जा सकता है। ‘गिव इट अप’ योजना ने जहाँ गरीबी रेखा के ऊपर के लोगों को अपनी एलपीजी सब्सिडी छोड़ने के लिए प्रेरित किया था, वहीं इसने सामाजिक दृष्टिकोण को बहुत प्रभावित किया और इस प्रकार अधिक न्यायपूर्ण समाज का मार्ग प्रशस्त किया। इस योजना का आधार विज्ञापन तथा ऐसे लोगों के वीडियो दिखाकर बढ़ाया जा सकता है जिन्होंने सब्सिडी छोड़ दी या विशेष अवसरों पर ऐसे कार्यक्रम आयोजित किए, ताकि दूसरों को प्रेरित किया जा सके और इस भावना को सुदृढ़ किया जा सके।

    इसलिए, प्रोत्साहन और सामाजिक अभिप्रेरणा ऐसे गतिशील साधन हैं जो भारत जैसे देश में परिवर्तन लाने की भारी क्षमता रखते हैं, जो कि असामान्य रूप से वृहत् ग्रामीण पृष्ठभूमि के साथ सदियों पुरानी परंपराओं में बंधे हुए हैं। यदि इनका रचनात्मक रूप से उपयोग किया जाता है, तो वे देश के संपूर्ण सामाजिक और आर्थिक परिदृश्य को बदल सकते हैं।

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