वेगनर के महाद्वीपीय प्रवाह संबंधी बल की आलोचनात्मक चर्चा करते हुए उसमें होम्स द्वारा किये गए सुधारों को स्पष्ट कीजिये।
10 Aug 2019 | रिवीज़न टेस्ट्स | भूगोल
प्रश्न विच्छेद • वेगनर के महाद्वीपीय प्रवाह संबंधी बल की आलोचनात्मक चर्चा करें। • होम्स द्वारा किये गए सुधारों को बताएँ। हल करने का दृष्टिकोण • वेगनर के महाद्वीपीय प्रवाह सिद्धांत की संक्षिप्त चर्चा करें। • महाद्वीपीय प्रवाह के लिये उत्तरदायी बल की चर्चा करें। • आलोचना करते हुए होम्स के सुधारों को स्पष्ट करें। |
वेगनर ने विभिन्न अध्ययनों के आधार पर महाद्वीपीय प्रवाह सिद्धांत प्रस्तुत किया। इसके अनुसार प्रारंभ में (कार्बोनिफेरस युग में) सभी महाद्वीप एक महान स्थलखण्ड पैंजिया के रूप में एकत्रित थे। इसके विभाजन के परिणामस्वरूप वर्तमान महाद्वीपों का निर्माण हुआ।
वेगनर ने महाद्वीपीय प्रवाह के लिये चन्द्रमा एवं सूर्य की ज्वारीय शक्ति, गुरुत्व बल तथा प्लवनशीलता बल को उत्तरदायी माना। वेगनर का मानना था कि सियाल सीमा पर तैर रहा है तथा सीमा के ऊपर तैरते पैंजिया का विभंजन और प्रवाह गुरुत्वाकर्षण शक्तियों की असमानता के कारण है। वेगनर ने महाद्वीपों के विषुवत रेखीय प्रवाह का कारण पृथ्वी के विषुवत रेखीय भाग में उभार से उत्पन्न गुरुत्वाकर्षण को बताया। इसी प्रकार वेगनर ने महाद्वीपों के पश्चिमी प्रवाह के लिये सूर्य एवं चंद्रमा के आकर्षण से उत्पन्न ज्वारीय बल को उत्तरदायी माना।
वेगनर द्वारा प्रयुक्त उपरोक्त बल महाद्वीपीय प्रवाह के लिये सर्वथा अनुपयुक्त हैं। चन्द्रमा तथा सूर्य के ज्वारीय बल से महाद्वीप में पश्चिम की ओर प्रवाह तभी हो सकता है, जब वह वर्तमान ज्वारीय बल से 90 अरब गुना अधिक हो। यदि इतना बल महाद्वीपों के प्रवाह के समय रहा होता तो पृथ्वी का परिभ्रमण बंद हो जाता। विषुवत रेखा की ओर प्रवाह उत्पन्न करने वाली शक्ति भी सर्वथा अपर्याप्त है। यदि उस समय अधोस्तर की श्यानता कम रही होती तो यह शक्ति संभव थी, किंतु इसके प्रभाव से सभी महाद्वीपीय भाग विषुवत रेखा के पास जमा हो जाते।
होम्स ने इन बलों के स्थान पर संवहनीय धारा सिद्धांत प्रस्तुत किया। होम्स का मानना था कि महाद्वीपों का विषुवत रेखा के पास एकत्रित न होना इस बात का प्रमाण है कि कोई दूसरी शक्ति काम करती रही है। इस शक्ति को उन्होंने संवहनीय धाराओं के रूप में सिद्ध किया। होम्स ने इन धाराओं की उत्पत्ति को पृथ्वी के अंदर रेडियोएक्टिव पदार्थों से उत्पन्न ताप भिन्नता को माना। महाद्वीपों के विस्थापन को उन्होंने संवहनीय धाराओं के उर्ध्वमुखी गमन से जोड़कर बताया, जिसे वेगनर ने भी स्वीकार किया।
निष्कर्षत: यद्यपि वेगनर के महाद्वीपीय विस्थापन की अनेक बिंदुआें पर आलोचना की गई किंतु पुराचुंबकत्त्व अध्ययन और प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत ने इसके महत्त्व को पुनर्स्थापित कर दिया।