ऊष्मा बजट की चर्चा करते हुए सतह पर इसकी भिन्नता को स्पष्ट कीजिये। (150 शब्द)
29 Aug 2019 | रिवीज़न टेस्ट्स | भूगोल
प्रश्न विच्छेद • ऊष्मा बजट तथा सतह पर इसकी भिन्नता की चर्चा करें। हल करने का दृष्टिकोण • ऊष्मा बजट को स्पष्ट करें। • सतह पर ऊष्मा बजट की भिन्नता को दर्शाएँ। |
पृथ्वी का ऊष्मा बजट अथवा ऊष्मा संतुलन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके तहत पृथ्वी सौर विकिरण की जितनी मात्रा अवशोषित करती है उतनी ही मात्रा पार्थिव विकिरण द्वारा अंतरिक्ष में वापस लौटा देती है। इस प्रकार पृथ्वी पर एक औसत तापमान निरंतर बना रहता है।
वायुमंडल की उपरी सतह पर प्राप्त 100 इकाई सूर्यातप में से 35 इकाइयाँ धरातल पर पहुँचने से पहले ही अंतरिक्ष में परावर्तित हो जाती हैं। शेष 65 इकाइयों में से 51 इकाइयाँ पृथ्वी द्वारा अवशोषित कर ली जाती हैं, जिसे पृथ्वी पुन: पार्थिव विकिरण के रूप में लौटा देती है। वायुमंडल कुल 48 इकाइयों का अवशोषण करता है, जिसे विकिरण द्वारा पुन: अंतरिक्ष में वापस लौटा देता है। इस प्रकार पृथ्वी जितनी ऊष्मा सूर्य से प्राप्त करती है उतनी ही मात्रा पुन: वापस लौटा देती है। इसे ही पृथ्वी का ऊष्मा बजट अथवा ऊष्मा संतुलन कहते हैं।
पृथ्वी पर प्राप्त विकिरण की मात्रा और पार्थिव विकिरण की मात्रा में अक्षांशीय भिन्नता पाई जाती है। सामान्यत: 40° उत्तरी और दक्षिणी अक्षांश का क्षेत्र तापाधिक्य का क्षेत्र होता है। यहाँ प्राप्त सौर विकिरण की तुलना में पार्थिव विकिरण द्वारा कम मात्रा में ऊष्मा का ह्रास होता है। ध्रुवीय क्षेत्र ताप न्यूनता का क्षेत्र होता है, क्योंकि यहाँ पार्थिव विकिरण द्वारा अधिक ऊष्मा का ह्रास होता है। पृथ्वी विभिन्न माध्यमों के द्वारा तापाधिक्य के क्षेत्र से तापन्यूनता के क्षेत्र में ऊष्मा का स्थानांतरण कर ऊष्मा का अक्षांशीय संतुलन बनाए रखती है।
वर्तमान में वायुमंडल में ग्रीन हाउस गैसों की मात्रा में वृद्धि के कारण पृथ्वी का ऊष्मा बजट असंतुलित हो गया है, जिससे वैश्विक तापन की समस्या उत्पन्न हो गई है। इस समस्या से निपटने के लिये वैश्विक समुदाय को कड़े कदम उठाने की आवश्यकता है।