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मध्य महासागरीय कटकों के आधार पर सागरीय अधस्तल विस्तार की परिकल्पना की पुष्टि कीजिये।

20 Aug 2019 | रिवीज़न टेस्ट्स | भूगोल

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

प्रश्न विच्छेद

• मध्य महासागरीय कटकों से सागरीय अधस्तल विस्तार का संबंध बताएँ।

हल करने का दृष्टिकोण

• सागरीय अधस्तल विस्तार परिकल्पना की संक्षिप्त चर्चा करें।

• मध्य महासागरीय कटकों के आधार पर इस परिकल्पना की पुष्टि करें।

हैरी हेस ने 1960 में पुराचुम्बकत्त्व विज्ञान, समुद्री भूगर्भ शास्त्र के खोज एवं ध्रुवीय भटकन (Wandening) सिद्धांत तथा संवहनीय धारा सिद्धांत जैसी संकल्पनाओं को संश्लेषित कर सागरीय अधस्तल विस्तार अभिमत प्रस्तुत किया। हैरी हेस ने मध्य महासागरीय कटक के दोनों ओर की चट्टानों के चुंबकीय गुणों के विश्लेषण के आधार पर अपना मत प्रस्तुत किया।

हैरी हेस ने अपने सिद्धांत में प्रतिपादित किया कि अधिकांश महासागरों में दरारें मौजूद हैं। इन दरारों के दोनों ओर के भूखंड एक-दूसरे से दूर हट रहे हैं। इन दरारों के सहारे ज्वालामुखी उद्गार हो रहा है। भूखंडों का दूसरा सिरा महाद्वीपों के नीचे क्षेपित हो जाता है जो गहराई में उच्च तापमान के कारण पिघल जाता है। यह पिघला हुआ मैग्मा महासागरीय दरारों की ओर प्रवाहित होता है। इस प्रकार एक कन्वेयर बेल्ट का निर्माण होता है। इसी के आधार पर हैरी हेस ने सागरीय अधस्थल विस्तार की परिकल्पना का प्रतिपादन किया।

मध्य महासागरीय कटकों के आधार पर परिकल्पना की पुष्टि:

  • महासागरीय क्रस्ट की नवीनता मध्य महासागरीय कटक से बढ़ती दूरी के साथ घटती जाती है। अर्थात् कटकों के पास नवीन चट्टानें तो गर्तों के पास पुरानी चट्टानें मिलती हैं।
  • चुंबकीय व्युत्क्रमण सिद्धांत के अनुसार, कटक से बढ़ती दूरी के साथ कटक के दोनों ओर की चट्टानों में चुम्बकत्व संबंधी सामयिक व्युत्क्रमणता पाई जाती है।
  • कटकों के साथ-साथ ज्वालामुखी उद्गार तथा भूकंपों का पाया जाना।
  • कटकों के शिखर पर तलछटों का अभाव, जबकि दूरी के साथ तलछटों के जमाव में वृद्धि।
  • कटक के मध्य भाग के दोनों तरफ समान दूरी पर चट्टानों के निर्माण के समय संरचना और संघटन में एकरूपता।

हैरी हेस द्वारा प्रतिपादित सागरीय अधस्तल विस्तार सिद्धांत भविष्य के अध्ययनों के लिये महत्त्वपूर्ण आधार बना। इसका अधिक परिष्कृत, विस्तारित और अधिक व्यापक रूप प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत के तौर पर विकसित हुआ।