प्रवाहित जल द्वारा निर्मित अपरदित स्थलरूपों की सविस्तार चर्चा कीजिये।
28 Aug 2019 | रिवीज़न टेस्ट्स | भूगोल
प्रश्न विच्छेद • प्रवाहित जल द्वारा निर्मित अपरदित स्थलरूपों की चर्चा कीजिये। हल करने का दृष्टिकोण • संक्षिप्त भूमिका लिखिये। • बहते हुए जल से बने अपरदनात्मक स्थलरूपों के बारे में बताइये। |
प्रवाहित जल आर्द्र प्रदेशों में धरातल के निम्नीकरण के लिये महत्त्वपूर्ण उत्तरदायी कारक है। इसके द्वारा निक्षेपात्मक एवं अपरदनात्मक दोनों तरह के कार्य संपन्न किये जाते हैं। इसके द्वारा निर्मित अपरदनात्मक स्थलरूपों का संबंध नदी की युवावस्था से होता है। प्रवाहित जल द्वारा दो रूपों में अपरदन होता है- स्थलगत प्रवाह तथा रैखिक प्रवाह।
प्रवाहित जल द्वारा निर्मित अपरदित स्थलरूप निम्नलिखित हैं:
घाटियाँ: इनके विकास का आरंभ छोटी-छोटी क्षुद्र सरिताओं से होता है। ये सरिताएँ धीरे-धीरे लंबी एवं विस्तृत अवनालिकाओं में विकसित हो जाती हैं। ये अवनलिकाएँ चौड़ी व लंबी घाटियों का रूप धारण कर लेती हैं। लंबाई, चौड़ाई एवं आकृति के आधार पर ये घाटियाँ- V– आकार की घाटी, गॉर्ज, कैनियन आदि में वर्गीकृत की जा सकती हैं।
अध: कर्तित विसर्प: जब नदियाँ तीव्र ढाल पर प्रवाहित होती हैं तो वे कठोर चट्टानों को भी अपरदित कर देती हैं। इससे गहरे कटे हुए और विस्तृत विसर्पों का निर्माण होता है। इन विसर्पों को अध: कर्तित विसर्प कहते हैं। समय के साथ ये गहरे एवं विस्तृत होते जाते हैं तथा गॉर्ज व कैनियन के रूप में पाए जाते हैं।
जल गर्तिका तथा अवनमित कुंड: पहाड़ी क्षेत्रों में नदी तल में अपरदित छोटे चट्टानी टुकड़े छोटे गर्तो में फंसकर वृत्ताकर रूप में घूमते हैं जिन्हें जल गर्तिका कहते हैं। जलप्रताप के तल में भी एक गहरी व बड़ी जल गर्तिका का निर्माण होता है जो जल के ऊँचाई से गिरने व उसमें शिलाखंडों के वृत्ताकार घूमने से निर्मित होते हैं। जलप्रपातों के तल में ऐसे विशाल व गहरे कुंड अवनमित कुंड कहलाते हैं।
नदी वेदिकाएँ: ये प्रारंभिक बाढ़ मैदानों या पुरानी नदी घाटियों के तलों के चिह्न हैं। इनका निर्माण नदी निक्षेपित बाढ़ मैदानों के लंबवत अपरदन से होता है। ये वेदिकाएँ जल स्तर के घटने या बढ़ने के अनुरूप अलग-अलग हो सकती हैं। ये मुख्यत: युग्मित या अयुग्मित हो सकती हैं।