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हड़प्पा सभ्यता के विघटन संबंधी विभिन्न मान्यताओं का परीक्षण कीजिये।

08 Aug 2019 | रिवीज़न टेस्ट्स | इतिहास

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

प्रश्न विच्छेद

कथन हड़प्पा सभ्यता के विघटन से जुड़ी विभिन्न मान्यताओं से संबंधित है।

हल करने का दृष्टिकोण

हड़प्पा सभ्यता के विषय में संक्षिप्त उल्लेख के साथ परिचय लिखिये।

हड़प्पा सभ्यता के विघटन से जुड़ी विभिन्न मान्यताओं के पक्ष-विपक्ष का उल्लेख कीजिये।

उचित निष्कर्ष लिखिये।

सिधु घाटी सभ्यता को हड़प्पा संस्कृति भी कहा जाता है। हड़प्पा सभ्यता का नामकरण हड़प्पा नामक स्थान के चलते हुआ जहाँ यह संस्कृति सर्वप्रथम खोजी गई थी। पुरातत्त्वविदों द्वारा ‘संस्कृति’ शब्द का प्रयोग पुरावस्तुओं के ऐसे समूह के लिये किया जाता है जो एक विशिष्ट शैली के होते हैं एवं सामान्यतया एक साथ, एक विशेष भौगोलिक क्षेत्र और काल-खंड से संबद्ध पाए जाते हैं। हड़प्पाई लिपि के अभी तक अपठित होने के कारण इसके उद्भव के बारे में स्पष्ट तौर पर जानना जितना कठिन है, उतना ही इसके अंत के विषय में भी है। इसके बावजूद अनेक विद्वानों द्वारा हड़प्पा सभ्यता के विघटन में अपने-अपने मत प्रस्तुत किये गए हैं।

हड़प्पा सभ्यता के विघटन से जुड़ी विभिन्न मान्यताओं के पक्ष-विपक्ष संबंधी कथन निम्नलिखित हैं-

कुछ विद्वानों का मानना है कि नदियाँ सूख गई होंगी, कुछ इलाकों में बाढ़ आ गई होगी और मवेशियों के बड़े-बड़े झुंडों से चरागाह और घास वाले मैदान समाप्त हो गए होंगे।

कुछ अन्य विद्वानों का मानना है कि जंगलों का विनाश हो गया होगा जिसका कारण ईंटें पकाने के लिये ईंधन की ज़रूरत को माना जा सकता है।

उपर्युक्त वर्णित कारणों से यह स्पष्ट नहीं हो पाता है कि सभी नगरों का अंत कैसे हो गया। क्योंकि बाढ़ और नदियों के सूखने का असर कुछ ही क्षेत्रों में हुआ होगा।

मोहनजोदड़ो के उपरी स्तर पर कई सारे कंकालों के अन्वेषण एवं ऋग्वेद में वैदिक देवता इंद्र का उल्लेख दुर्गसंहारक के रूप में होने के आधार पर कुछ विद्वान सभ्यता के अंत का कारण आर्यों के आक्रमण को मानते हैं।

मोहनजोदड़ो के उपरी स्तर के कंकालों का किसी एक काल से संबंध न होने एवं ऋग्वेद की सही-सही तिथि निर्धारित नहीं हो पाने के कारण अधिकांश आधुनिक विद्वान सभ्यता के पतन के लिये आर्यों के आक्रमण को स्वीकार नहीं करते हैं।

एक आधुनिक मत यह है कि सभ्यता ने अपने साधनों का ज़रूरत से ज़्यादा उपभोग कर डाला जिससे उसकी जीवन शक्ति नष्ट हो गई। हालाँकि, इसे एक आकर्षक परिकल्पना माना जाता है लेकिन इसकी जाँच के लिये विस्तृत अनुसंधान की आवश्यकता है।

एक अन्य आधुनिक मत यह है कि किसी विवर्तनिक विक्षोभ के कारण मोहनजोदड़ो में सिंधु नदी का पूर्वी बांध ध्वस्त हो गया होगा जिससे सिंधु के बहाव में रुकावट आई होगी और इसके उपरी भाग, जहाँ मोहनजोदड़ो स्थित था वहाँ मिट्टी जमा हो गई होगी। परिणामस्वरूप कुछ समय बाद लोग यहाँ से कहीं और पलायन कर गए होंगे। इस सिद्धांत की जाँच के लिये भी विस्तृत अनुसंधान की ज़रूरत है।

कुल मिलकर देखा जाए तो हड़प्पा सभ्यता के विघटन के लिये उत्तरदायी कारकों का ठीक-ठीक पता अभी भी नहीं चल पाया है। सभ्यता के सम्पूर्ण क्षेत्र में इसके पतन के सही-सही कारण ज्ञात नहीं हो पाए हैं। उपर्युक्त वर्णित कुछ मान्यताएँ काफी आकर्षक प्रतीत होती हैं जिनके प्रभावी अनुसंधान से सभ्यता के पतन के संदर्भ में आने वाले समय में ठोस रूप से कुछ कह पाना समीचीन प्रतीत होता है।