कोपेन के जलवायु वर्गीकरण के आधारों की चर्चा करते हुए उसके द्वारा प्रस्तुत जलवायु प्रकारों की विशद विवेचना कीजिये।
28 Aug 2019 | रिवीज़न टेस्ट्स | भूगोल
प्रश्न विच्छेद • कोपेन के जलवायु वर्गीकरण के आधार एवं जलवायु प्रकारों को बताएँ। हल करने का दृष्टिकोण • कोपेन के जलवायु वर्गीकरण के आधारों की चर्चा करें। • कोपेन द्वारा प्रस्तुत जलवायु प्रकारों को स्पष्ट करें। |
जलवायु का वर्गीकरण आनुभविक, जननिक और अनुप्रयुक्त उपगमनों के द्वारा किया गया है। कोपेन द्वारा जलवायु के वर्गीकरण में आनुभविक पद्धति का व्यापक उपयोग किया गया है। कोपेन ने सर्वप्रथम 1918 में और पूर्ण रूप से 1936 में विश्व जलवायु का वर्गीकरण प्रस्तुत किया। उन्होंने तापमान तथा वर्षण के कुछ निश्चित मानों का चयन करते हुए उनका वनस्पति के वितरण से संबंध स्थापित किया और इन मानों के आधार पर जलवायु का वर्गीकरण प्रस्तुत किया। कोपेन ने मोटे तौर पर जलवायु के पाँच मुख्य वर्ग बनाए और प्रत्येक वर्ग को अंग्रेज़ी के एक बड़े अक्षर A, B, C, D और म् द्वारा नामांकित किया। उन्होंने इन जलवायु समूहों को तापक्रम एवं वर्षा की मौसमी विशेषताओं के आधार पर कई उप-प्रकारों में विभाजित किया जिन्हें अंग्रेज़ी के छोटे अक्षरों द्वारा अभिहित किया। कोपेन ने शुष्कता वाले मौसमों को छोटे अक्षरों f, m, w तथा s से प्रदर्शित किया। इसमें f शुष्क मौसम के न होने को m मानसून जलवायु को w शुष्क शीत ऋतु को तथा s शुष्क ग्रीष्म ऋतु को दर्शाता है। a, b, c तथा d का प्रयोग तापमान की उग्रता वाले भाग को दर्शाने के लिये किया गया है।
कोपेन के अनुसार जलवायु प्रकार:
A. जलवायु (उष्णकटिबंधीय आर्द्र): इसे तीन प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है:
(i) उष्णकटिबंधीय आर्द्र (Af): इसमें कोई शुष्क ऋतु नहीं होती है।
(ii) उष्णकटिबंधीय मानसून (Am): वर्षा अधिकतर गर्मियों में होती है। शीत ऋतु शुष्क होती है।
(iii) उष्णकटिबंधीय आर्द्र एवं शुष्क जलवायु (Aw): इसमें आर्द्र ऋतु छोटी और शुष्क ऋतु भीषण व लंबी होती है।
B. जलवायु (शुष्क): इसे चार प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है:
(i) उपोष्ण कटिबंधीय स्टैपी (BSh)
(ii) उपोष्ण कटिबंधीय मरुस्थल (BWh)
(iii) मध्य अक्षांशीय स्टैपी (BSk)
(iv) मध्य अक्षांशीय मरुस्थल (BWk) में बाँटा गया है।
उच्च तापमान और कम वर्षा इनकी विशेषता है। स्टैपी प्रदेश में मरुस्थल जलवायु की अपेक्षा वर्षा थोड़ी ज़्यादा होती है।
C. जलवायु (आर्र्द शीतोष्ण कटिबंधीय): इस जलवायु को चार प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है:
(i) आर्द्र उपोष्ण कटिबंधीय, अर्थात सर्दियों में शुष्क और गर्मियों में उष्ण (Cwa)
(ii) भूमध्यसागरीय (Cs), उष्ण व शुष्क गर्मियाँ तथा मृदु एवं वर्षायुक्त सर्दियाँ इस जलवायु की विशेषताएँ हैं।
(iii) आर्द्र उपोष्ण कटिबंधीय अर्थात शुष्क ऋतु की अनुपस्थिति तथा मृदु शीत ऋतु (Cfa)
(iv) समुद्री पश्चिम तटीय जलवायु (Cfb), वर्षण साल भर होता है लेकिन यह सर्दियों में अधिक होता है।
D. जलवायु (शीत हिम-वन): इसे दो प्रकारों में विभक्त किया जाता है:
(i) Df आर्द्र जाड़ों से युक्त ठंडी जलवायु, तुषार-मुक्त ऋतु छोटी होती है।
(ii) Dw शुष्क जाड़ों से युक्त ठंडी जलवायु, इसमें ध्रुवों की ओर गर्मियों में तापमान कम होता है और जाड़ों में तापमान अत्यंत न्यून होता है।
E. जलवायु (ध्रुवीय): ध्रुवीय जलवायु दो प्रकार की होती है:
(i) टुण्ड्रा (ET); यह स्थायी तुषार का प्रदेश है जिसमें अधोभूमि स्थायी रूप से जमी रहती है।
(ii) हिम टोपी (EF); यहाँ गर्मियों में भी तापमान हिमांक से नीचे रहता है। इस क्षेत्र में वर्षा थोड़ी मात्रा में होती है।