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कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्त्व (सी.एस.आर.) से आप क्या समझते हैं? वर्तमान भारतीय संदर्भ में इसका क्या महत्व है? (250 शब्द)

19 Jun 2019 | सामान्य अध्ययन पेपर 4 | सैद्धांतिक प्रश्न

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

परिचय:

  • कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व, कॉर्पोरेट शासन के आर्थिक, राजनैतिक उत्तरदायित्व की तरह ही नैतिक दायित्व है।
  • सामाजिक उत्तरदायित्व किसी कंपनी द्वारा वृहद समुदाय के कल्याण व मानव विकास हेतु किया जाने वाला आर्थिक योगदान है।
  • कॉर्पोरेट शासन उत्तरदायित्व का विधिक प्रावधान कंपनी अधिनियम-2013 में किया गया है जिसमें किसी कंपनी द्वारा 3 वर्षों के कुल टर्नओवर अथवा लांभाश का 2% राशि को सामाजिक क्षेत्र में जनकल्याण अथवा जनसेवाओं हेतु निवेश किये जाने का प्रावधान है।

संरचना:

  • संसाधनों का अधिकतम उपयोग: कार्पोरेट के पास जन समस्याओं को हल करने के लिये वैज्ञानिक तथा प्रबंधन स्तर पर उच्च अनुभव व संसाधन होते हैं। कॉर्पोरेट के इस कौशल का प्रयोग कर अधिकतम लोगों को जन सुविधाएँ जैसे- शिक्षा, शुद्ध पेयजल आदि सुविधाएँ उपलब्ध कराई जा सकती हैं।
  • वृहत भौगोलिक क्षेत्र तक पहुँच: प्राथमिक व द्वितीयक आर्थिक क्षेत्र की कॉर्पोरेट कंपनियाँ अधिकांशत: दूरदराज़ के क्षेत्रों, मुख्यत: कोयला, लौह अयस्क की खदानों के निकट होती हैं जहाँ पर स्थानीय कामगारों व निवासियों की दैनिक समस्याओं जैसे-रोज़गार, बिजली, शिक्षा, पेयजल, शौचालय आदि से कंपनियों का प्रशासन भलीभाँति परिचित होता है। इस कारण कंपनी प्रशासन उपरोक्त समस्याओं का रचनात्मक हल निकालने में सक्षम होता है।
  • कंपनी के ब्रांड मूल्य में वृद्धि: कॉर्पोरेट कंपनियों द्वारा सामाजिक क्षेत्र में निवेश के कारण सामाजिक मूल्यों में समानता स्थापित होती है जिससे समाज में कंपनी के ब्रांड मूल्य तथा विश्वसनीयता में वृद्धि होती है। इस कारण कंपनी विज्ञापनों पर कम खर्च कर भी अपने ब्रांड की बिक्री में वृद्धि कर सकती है।
  • कुशल मानव संसाधन में वृद्धि: सी.एस.आर. के क्षेत्र में कार्य करने से किसी कंपनी का मानव संसाधन अपने प्रोफेशनल कौशल के साथ-साथ सामाजिक क्षेत्र में कार्य करने में भी पारंगत होता है जिसका दीर्घकालिक लाभ समाज व देश की जनता को ही प्राप्त होता है।
  • सरकारी क्षेत्र के वित्तीय बोझ में कमी: भारत में 130 करोड़ जनसंख्या वास करती है जिससे सामाजिक क्षेत्र में निवेश हेतु सरकार पर दबाव निरंतर बढ़ रहा है। सी.एस.आर. को कंपनियों पर बाध्यकारी किये जाने के कारण सरकार के वित्तीय बोझ में कमी आएगी तथा नागरिकों को गुणवत्तापूर्ण सामाजिक सेवाएँ प्राप्त होंगी।
  • नैतिक उत्तरदायित्व: सी.एस.आर. की वज़ह से कंपनी द्वारा समाज के प्रति नैतिक उत्तरदायित्वों का निर्वाह किया जाता है। इसका लाभ कंपनी के निवेशकों व ग्राहकों को आकर्षित कर प्राप्त किया जा सकता है।

आगे की राह:

  • सी.एस.आर. परियोजनाओं में अधिकतम नवोन्मेष (Innovation) व पारदर्शिता को बढ़ावा दिया जाना चाहिये।
  • सी.एस.आर. परियोजनाएँ मांग आधारित होनी चाहिये जिनमें परियोजना के लाभार्थियों को क्रियान्वयन व नीति निर्माण में सहभागी बनाया जाना चाहिये।
  • सरकार द्वारा समय-समय पर सी.एस.आर. के दिशा-निर्देशों को अद्यतन कर परिणाम आधारित बनाया जाना चाहिये।