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कॉरपोरेट गवर्नेंस क्या है? भारत में कॉर्पोरेट गवर्नेंस  के साथ नैतिक मुद्दे क्या हैं? भारत में कॉरपोरेट गवर्नेंस  में सुधार के उपाय सुझाइए। (250 शब्द)

19 Jun 2019 | सामान्य अध्ययन पेपर 4 | सैद्धांतिक प्रश्न

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण।

  • कॉर्पोरेट गवर्नेंस का संक्षिप्त वर्णन कीजिये।
  • कॉर्पोरेट गवर्नेंस से संबंधित नैतिक मुद्दों को लिखिये। संभव हो तो कुछ समसामयिक उदाहरण दीजिये।
  • भारत में कॉर्पोरेट गवर्नेंस में सुधार के उपाय बताएँ।
  • कॉर्पोरेट गवर्नेंस में सुधार के भविष्योन्मुखी उपाय बताते हुए निष्कर्ष लिखिये।

परिचय:

  • कॉर्पोरेट गवर्नेंस से तात्पर्य किसी कंपनी के उन सिद्धांतों व प्रक्रियाओं से है जो कंपनी को उसके लक्ष्यों एवं उद्देश्यों के नैतिक व विधिक मूल्यों के साथ प्राप्त होते हैं।
  • कॉर्पोरेट गवर्नेंस से कंपनी के निवेशक, अशंधारक व ग्राहक सभी लाभान्वित होते हैं।

भारत में कॉर्पोरेट गवर्नेंस से जुड़े नैतिक मुद्दे:

  • स्वतंत्र निदेशक की नियुक्ति अधिक प्रभावी नहीं हो पा रही है क्योंकि ये स्वतंत्र निदेशक प्रमोटर के अनैतिक कार्यों को रोकने में सक्षम नहीं हो पाते हैं।
  • पारदर्शिता व जबावदेही का अभाव भारत में कॉर्पोरेट गवर्नेंस की अवधारणा को कमजोर करता है।
  • भारत में लोक उद्यमों के समक्ष अस्पष्ट उद्देश्य, निर्बल स्वामित्व, निदेशकों का गैर-पेशेवर होना और निदेशक बोर्ड में व्यवसायिक हितों के स्थान पर राजनैतिक हितों को महत्त्व देना आदि महत्त्वपूर्ण मुद्दे हैं।
  • निदेशक बोर्ड के निर्णयों में अंशधारकों के प्रति जबावदेही का अभाव।
  • एक ही व्यक्ति की अनेक कंपनियों के निदेशक बोर्डों में नियुक्ति गोपनीयता भंग तथा हित संघर्षों को बढ़ावा देती है।
  • स्वामित्व तथा प्रबंधन का समान होना विशेष रूप से परिवार आधारित कंपनियों में यह मुख्य समस्या है। इससे कंपनी के निर्णय पारिवारिक लक्ष्यों पर निर्भर हो जाते हैं।

भारत में कॉर्पोरेट गवर्नेंस में सुधार के उपाय

  • स्वतंत्र निदेशकों के लिये कॉर्पोरेट शासन के मानकों का नवीनीकरण।
  • गवर्नेंस के लिये सर्वोत्तम अभिव्रियाओं, संरचनाओं और नैतिकता का एक नेटवर्क स्थापित किया जाना चाहिये।
  • अंशधारकों, महिला, कार्मिकों की निदेशक मंडल में नियुक्ति के द्वारा निदेशक मंडल की विविधता में वृद्धि की जानी चाहिये।
  • निदेशक बोर्ड की बैठकों के नीति-निर्णयों को कारण सहित स्पष्टीकरण के साथ हितधारकों तक पहुँचाना सुनिश्चित करना।
  • लोक उद्यमों के निदेशक बोर्ड में अनुभवी व पेशेवर सदस्यों की नियुक्ति को प्राथमिकता दी जानी चाहिये तथा साथ ही राजनैतिक हस्तक्षेप की न्यूनतम होना चाहिये।
  • निदेशक बोर्ड की कार्यप्रणाली का वार्षिक मूल्यांकन व उसमें सुधार हेतु दिशा-निर्देशों को जारी किया जाना चाहिये।
  • बेहतर निर्णय प्रव्रिया के लिये जोखिम नीति को विकसित किया जाना चाहिये जिससे निर्णय की गुणवत्ता व हानि की स्थिति में उचित प्रबंधन किया जा सके।

आगे की राह:

  • कॉर्पोरेट द्वारा नैतिकता के पालन को सुनिश्चित करने के लिये कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय द्वारा एक स्थायी नैतिक समिति का गठन किया जाना चाहिये जो कि कॉर्पोरेट के नैतिक गतिविधियों की निगरानी करे।
  • कॉर्पोरेट नैतिक मूल्यों का मूल्यांकन कर समय-समय पर दिशा-निर्देश जारी करना।
  • भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था में निवेश को आर्कषित करना, निवेशकों व सभी हितधारकों के हितों का संरक्षण करने की दिशा में कार्य किया जाना चाहिये।