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  • 29 Aug 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़

    आप एक विभाग के निदेशक हैं जिसे हाल ही में #MeToo अभियान में शामिल किया गया है, जब आपके अधीन काम करने वाले दो उपनिदेशकों पर विभाग में काम करने वाली दो महिलाओं ने सार्वजनिक रूप से यौन उत्पीड़क होने का आरोप लगाया है। जैसा कि कार्यस्‍थल पर महिलाओं का यौन उत्‍पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 में प्रावधान है, आप एक समिति का गठन करने जा रहे हैं, जो 90 दिनों के भीतर जाँच करके अपनी रिपोर्ट देगी।

    समिति गठित करने से पहले आपके सामने दो कथ्य हैं- पहला, यह पहली बार नहीं है जब दोनों महिलाओं ने ऐसे आरोप लगाए हैं; दूसरा, कि आप दोनों उपनिदेशकों और उनके परिवारों को काफी समय से जानते हैं, और आपने उनके व्यवहार में ऐसा कुछ भी नहीं देखा है जिससे यह पता चलता हो कि वे यौन उत्पीड़क हो सकते हैं, जैसा कि उन पर आरोप लगाया गया है। अब, जबकि महिलाएँ चाहती हैं कि आप अतिशीघ्र जाँच प्रक्रिया शुरू करें, दोनों उपनिदेशक सभी आरोपों से इनकार करते हैं और उनका कहना है कि वे अपने मुख्य आरोपियों के खिलाफ मानहानि का मुकदमा चलाना चाहते हैं। इन सब के बीच आप पर जनता का दबाव है और मीडिया भी नियमित रूप से मामले को उठाता रहता है।

    1. एक विभाग के निदेशक के रूप में विभागीय जाँच शुरू करने के लिये आप क्या कार्रवाई करेंगे? आप जो भी कार्रवाई करने का निर्णय लेते हैं उसके गुण-दोषों की विवेचना कीजिये।

    2. क्या आप इस बात से भी सहमत हैं कि यौन प्रकृति वाले अपराधों की जाँच करना नैतिकता के दृष्टिकोण से अन्य अपराधों की तुलना में अधिक कठिन है? अपने विचारों के पक्ष में मान्य कारण दीजिये।

    मुख्य बिंदु जल्द ही अपलोड किए जाएंगे
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