Be Mains Ready

नागरिकता चार्टर क्या है? भारत जैसे लोकतंत्र में इसके महत्त्व और सीमाएं क्या हैं? (250 शब्द)

18 Jun 2019 | सामान्य अध्ययन पेपर 4 | सैद्धांतिक प्रश्न

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण:

  • नागरिकता चार्टर की अवधारणा के बारे में संक्षेप में बताएँ।
  • भारतीय संदर्भ में महत्त्व और सीमाओं को स्पष्ट करें।
  • कुछ सुधार सुझाएं।
  • आगे की राह दीजिये।

परिचय :

  • नागरिक चार्टर विशिष्ट मानकों, गुणवत्ता और समय सीमा के अंतर्गत ग्राहकों को प्रदान करने हेतु जनसेवाओं से सम्बंधित विभागों के लिये जारी किये जाते हैं इनका उद्देश्य जनसेवाओं को जनोंमुखी बनानाहै।
  • इसमें संगठन की प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिये नागरिक से संगठन की अपेक्षाएं भी शामिल हैं।
  • सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार
  • जहाँ भी संभव हो उपयोगकर्त्ताओं के लिये एक विकल्प प्रदान करना, मानकों को निर्दिष्ट करना, करदाताओं के पैसे का मूल्य, सेवा प्रदाता की जवाबदेही (व्यक्ति के साथ-साथ संगठन), नियमों में पारदर्शिता, प्रक्रियाओं, योजनाओं और शिकायत निवारण आदि सेवा वितरण के कुछ सिद्धांत हैं।

संरचना :

भारत में नागरिक चार्टर का महत्त्व:

  • यह सार्वजनिक सेवा वितरण के संबंध में नागरिकों को सशक्त बनाता है जो भारत जैसे बड़े लोकतंत्र के लिये महत्त्वपूर्ण है।
  • यह सार्वजनिक सेवाओं के मामलों में ये नागरिकों को ग्राहकों के रूप में मान्यता प्रदान करता है।
  • नागरिक चार्टर की अवधारणा सेवा प्रदाता और उसके उपयोगकर्त्ताओं के बीच विश्वास की भावना सुनिश्चित करती है। यह जनता के प्रति अधिकारियों की अधिक जवाबदेही तय करता है।
  • यह सार्वजनिक कार्यालयों को जिम्मेदार बनाता है और करों के माध्यम से एकत्र किये गए सार्वजनिक धन को खर्च करने तथा आवश्यक सेवाओं के साथ नागरिकों को प्रदान करने में कर्त्तव्योंकी सही भावना हेतु सक्षम बनाता है।

भारत में नागरिक चार्टर की सीमाएँ

  • सहभागी तंत्र से रहित - जब चार्टर का मसौदा तैयार किया गया तब अंतिम उपयोगकर्त्ता, सिविल सोसाइटी संगठनों और गैर-सरकारी संगठनों से परामर्श नहीं किया गया ।
  • निम्न गुणवत्ता युक्त डिजाइन और सामग्री: चार्टर्स बहुत सार्थक और संक्षिप्त नहीं हैं। इनमें उन महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ नहीं हैं, जो उपयोगकर्ताओं के प्रति एजेंसियों को जवाबदेह बनाती है। इसके अलावा, चार्टर्स को शायद ही कभी अपडेट किया जाता है जिस कारण इनमेनवीन आवश्यकताओं का समावेश नही हो पाता है।
  • जन जागरूकता का अभाव: वितरण के मानकों के संबंध में जनता को सूचित और शिक्षित करने के प्रभावी प्रयासों के बाद भी चार्टर की प्रतिबद्धताओं के बारे में केवल कुछ प्रतिशत उपयोगकर्त्ताओं को ही पता है।
  • वितरण को मापने योग्य मानकों को शायद ही कभी परिभाषित किया जाता है जिससे यह मूल्यांकन करना मुश्किल हो जाता है कि सेवा वांछित स्तर हासिल किया गया है या नहीं।
  • संगठन की चूक होने पर नागरिकों को मुआवजा देने के लिये कोई नागरिक अनुकूल तंत्र नहीं होने के कारण संगठन अपने चार्टर्स का पालन नहीं करते हैं।
  • मूल संगठन के तहत सभी कार्यालयों के लिये एक समान चार्टर्स रखने की प्रवृत्ति।
  • चार्टर्स को अभी भी सभी मंत्रालयों / विभागों द्वारा नहीं अपनाया गया है।

आगे का राह :

  • चार्टर्स का विकेंद्रीकृत निर्धारण, व्यापक परामर्श प्रक्रियाएँ, नागरिकों के लिये सटीक और सेवा वितरण मानकों की दृढ़ प्रतिबद्धताएँ, डिफ़ॉल्ट के मामले में निवारण तंत्र, समय-समय पर मूल्यांकन और नागरिक समाज के साथ बेहतर समन्वय आदि ऐसे कुछ सुधार हैं जो भारत में नागरिक चार्टर को अधिक प्रभावी बना सकते हैं।
  • एक नागरिक चार्टर अपने आप में एक पूर्ण नहीं हो सकता है, बल्कि यह सुनिश्चित करने का एक उपकरण है कि नागरिक किसी भी सेवा वितरण तंत्र के केंद्र में हमेशा बना रहें।
  • सर्वोत्तम अभ्यास मॉडल जैसे कि सेवोत्तम मॉडल (एक सेवा वितरण उत्कृष्टता मॉडल) से प्रेरित होकर नागरिक चार्टर को अधिक नागरिक केंद्रित बनने में मदद मिल सकती है।