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सार्वजनिक सेवा के वे सात आवश्यक सिद्धांत कौन से है जो सिविल सेवकों के लिये एक मार्गदर्शक के रूप में कार्य करते हैं। (250 शब्द)

18 Jun 2019 | सामान्य अध्ययन पेपर 4 | सैद्धांतिक प्रश्न

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण :

  • सार्वजनिक सेवा क्या है? इसका संक्षिप्त उल्लेख करें।
  • सार्वजनिक सेवा में सिद्धांतों की आवश्यकता के बारे में संक्षेप में लिखें।
  • सार्वजनिक सेवा के सात सिद्धांतों की विवरण दीजिये।
  • एक सार्वजनिक सेवा में वांछनीय कुछ अन्य सिद्धांतों के महत्त्व के साथ निष्कर्ष दीजिये।

परिचय :

सार्वजनिक सेवा वह है जो सरकार द्वारा लोगों को सीधे (सार्वजनिक क्षेत्र के माध्यम से) या सेवाओं के निजी प्रावधान का वित्तपोषण करके प्रदान की जाती है। लोक सेवक द्वारा निष्पक्षता के साथ जनसामान्य की सेवा और सार्वजनिक संसाधनों का उचित प्रबंधन इस सेवा का भाग है।

संरचना

  • यह कहा जा सकता है कि सार्वजनिक सेवा एक सार्वजनिक न्यास है। सार्वजनिक कार्यालयों के दुरुपयोग को रोकने के लिये, अधिकांश उन्नत देशों ने लोक सेवकों हेतु एक आचार संहिता निर्धारित की है।
  • नोलन समिति द्वारा सात बुनियादी सिद्धांत दिये गए हैं और सार्वजनिक अधिकारियों के लिये अनिवार्य है।

सात सिद्धांत

नोलन समिति सार्वजनिक जीवन के सात सिद्धांतों को प्रोत्साहन देती है जो सिविल सेवकों के लिये एक मार्गदर्शक के रूप में कार्य करते हैं-

  • निस्वार्थता: सार्वजनिक अधिकारिओं को सार्वजनिक हित के संदर्भ में निर्णय लेना चाहिये। उन्हें अपने, अपने परिवार या दोस्तों के लिये वित्तीय या अन्य भौतिक लाभ हासिल करने हेतु अपने अधिकारों का दुरुपयोग नहीं करना चाहिये।
  • सत्यनिष्ठा: सार्वजनिक अधिकारिओं को बाहर के व्यक्तियों या संगठनों से कोई वित्तीय लाभ नहीं लेना चाहिये यह लाभ उनके आधिकारिक कर्त्तव्योंके प्रदर्शन में प्रभावित कर सकते हैं।
  • वस्तुनिष्ठता: सार्वजनिक व्यवसाय, सार्वजनिक नियुक्ति करने, अनुबंध या पुरस्कार और लाभ के लिये व्यक्तियों की सिफारिश करने में सार्वजनिक कार्यालय के धारकों को योग्यता को आधार बनाना चाहिये।
  • जवाबदेही: सार्वजनिक अधिकारिओं अपने निर्णयों और कार्यों के लिये जनता के प्रति जवाबदेह होते हैं और उन्हें अपने कार्यालय को भी समीक्षा और जवाबदेही के अधीन रखना चाहिये।
  • स्पष्टता: सार्वजनिक अधिकारिओं को अपने सभी निर्णयों और कार्यों के प्रति स्पष्ट होना चाहिये। उन्हें अपने निर्णयों के लिये कारण प्रस्तुत करना चाहिये और सूचनाओं को तभी सीमित करना चाहिये जब ऐसा करने में व्यापक जनहित हों।
  • ईमानदारी: सार्वजनिक अधिकारिओं का कर्त्तव्यों है कि वे अपने सार्वजनिक कर्तव्यों से संबंधित किसी भी निजी हितों की घोषणा को सार्वजानिक करें और सार्वजनिक हितों की रक्षा करने वाले किसी भी तरह के संघर्ष को हल करने के लिये कदम उठाएं।
  • नेतृत्व: सार्वजनिक अधिकारिओं को उपरोक्त सिद्धांतों का नेतृत्व और उदाहरण द्वारा प्रचार एवं समर्थन करना चाहिये।

निष्कर्ष :

नोलन समिति द्वारा दिये गए इन आवश्यक सिद्धांतों के अलावा, कई मूल्यों जैसे कि निष्पक्षता, पारदर्शिता, विश्वास, जवाबदेही, कमजोर वर्गों के प्रति सहानुभूति आदि के रूप में एक सार्वजनिक सेवक से अपेक्षा की जाती है।