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  • 26 Aug 2019 रिवीज़न टेस्ट्स हिंदी साहित्य

    प्रेमचंद द्वारा गोदान में शहरी कथा के समावेश के क्या कारण हो सकते हैं? संभावित कारणों में कौन-सा कारण आपको सर्वाधिक प्रबल प्रतीत होता है?

    गोदान में ग्रामीण कथा के साथ शहरी कथा की उपस्थिति की विषयगत एवं शिल्पगत सार्थकता पर कई आलोचकों ने प्रश्नचिह्न उपस्थित किए हैं। जैनेन्द्र, शान्तिप्रिय द्विवेदी, गुलाब राय, नन्ददुलारे वाजपेयी आदि ने शहरी कथा को उपन्यास के अंतर्गत अनावश्यक विस्तार, मूल अन्तर्वस्तु को धूमिल करने वाला, ग्रामीण कथा से असंबद्ध एवं आरोपित तथा उपन्यास के प्रभाव और कथा संगठन को क्षति पहुँचाने वाला बताया है। इस दृष्टि से उपन्यास का विवेचन करते हुए हम पाते भी हैं कि शहरी जीवन के चित्रण में प्रेमचंद का मन नहीं रमा है। उसमें घनता का अभाव है, विस्तार भी कम है, नगर-जीवन के तनाव एवं जटिलताएँ अनुपस्थित हैं, गाँव से वह अच्छी तरह संबद्ध नहीं है तथा उससे जुड़े कई ऐसे प्रसंग हैं जिनका कलागत औचित्य संदिग्ध है। किन्तु, इन सबके बावजूद हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि प्रेमचंद जैसे बड़े रचनाकार ने, और वह भी अपनी रचनाशीलता के चरम पर, गोदान में ग्रामीण कथा के साथ शहरी कथा का भी समावेश किया है तो इसके कुछ ठोस कारण रहे होंगे।

    • गोदान में शहरी कथा के समावेश का एक कारण यह हो सकता है कि प्रेमचंद गोदान में गाँव और शहर केा एक साथ रखकर भारतीय समाज का उसकी संपूर्णता में उद्घाटन करना चाहते हों। प्रेमचंद का लक्ष्य इसके माध्यम से बिखरते हुए गाँव और सँवरते हुए शहर के संक्रांतिकाल की अभिव्यक्ति करना भी हो सकता है, जिसमें सामंतवाद खत्म हो रहा है और पूंजीवाद अपनी जड़ें जमा रहा है।
    • गाँव और शहर दोनों को साथ रखने के पीछे प्रेमचंद का उद्देश्य महाजनी सभ्यता के व्यापक प्रभाव का अंकन करना भी हो सकता है, क्योंकि गाँव और शहर दोनों ही इसकी गिरफ्त में हैं।
    • एक कारण यह हो सकता है कि इसके माध्यम से प्रेमचंद ग्राम-व्यवस्था के स्तंभों को गिरते हुए दिखाना चाहते हों ग्राम व्यवस्था के दो स्तंभों में से एक किसान गाँव में रहता है और दूसरा जमींदार शहर में रहता है।
    • यह भी हो सकता है कि पूंजीवादी व्यवस्था में टूटते किसान और मजदूर बनती उसकी नयी पीढ़ी के शहरी पलायन तथा उसकी स्लमी जिन्दगी को दिखाने के लिए प्रेमचंद ने शहरी कथा का समावेश किया हो।
    • इनके अतिरिक्त शहरी कथा के आलोक में ग्रामीण जीवन की विषमता को तीव्रता में उभारना या फिर शहरी पात्रों के माध्यम से अपने विचारों की प्रस्तुति भी शहरी कथा के समावेश का कारण हो सकता है।

    समग्रत: उपर्युक्त सभी कारण गोदान में शहरी कथा के समावेश के प्रेरक हो सकते हैं लेकिन इनमें से सबसे प्रबल कारण भारतीय समाज का समग्र चित्र प्रस्तुत करना प्रतीत होता है, विशेषकर भारतीय किसानी जीवन का। इसके भीतर कई अन्य कारण स्वत: समाहित हो जाते हैं।

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