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किसी संगठन की कार्य संस्कृति बड़े पैमाने पर समाज के प्रति नैतिकता को कैसे प्रभावित करती है? परीक्षण कीजिये।

24 Aug 2019 | सामान्य अध्ययन पेपर 4 | सैद्धांतिक प्रश्न

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण

• किसी संगठन की कार्य संस्कृति के बारे में लिखिये।

• बड़े पैमाने पर समाज की नैतिकता को प्रभावित करने वाले कारकों की व्याख्या कीजिये।

• कार्य संस्कृति को परिभाषित कीजिये और उदाहरणों के साथ समझाइये कि यह सामाजिक नैतिकता को कैसे प्रभावित करता है।

परिचय

  • किसी भी संगठन की कार्य संस्कृति बड़े पैमाने पर समाज की नैतिकता को प्रभावित करती है। कार्य संस्कृति किसी संगठन के भीतर प्रथाओं, मूल्यों और साझा मान्यताओं का एक सेट माना जाता है। संगठन के काम करने के तरीके में इसकी महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। जिस प्रकार संस्कृति समाज में जीने का एक तरीका है उसी प्रकार यह कार्यस्थल पर जीने का एक तरीका है।
  • नैतिकता उस नींव का एक अनिवार्य हिस्सा है, जिस पर एक सभ्य समाज का निर्माण होता है। समाज की नैतिकता को न केवल व्यक्तिगत कारकों, जैसे- मूल्यों, लोगों के दृष्टिकोण द्वारा आकार दिया जाता है बल्कि सांस्कृतिक मानदंडों, उद्योग और संगठनात्मक मानदंडों जैसे अन्य स्थितिजन्य कारक भी इसे निर्धारित करते हैं।

संरचना

किसी संगठन की कार्यसंस्कृति समाज को निम्न तरीकों से प्रभावित करती है :

मानव संसाधनों की गुणवत्ता

  • निजी संगठन (बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ) कर्मचारियों में दक्षता, कर्म-कौशल, पेशेवराना दृष्टिकोण और नवाचार की भावना को बढ़ावा देते हैं जो किसी भी समाज के विकास के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
  • इसी प्रकार भारत में सार्वजनिक क्षेत्र अपनी सेवा भावना और सामाजिक लोकाचार के लिये जाना जाता है जो सामाजिक रूप से न्यायपूर्ण समाज बनाने में मदद करता है।
  • किसी भी संगठन के एक पदानुक्रमित ढाँचे के भीतर प्रतिस्पर्द्धा पुरस्कार, दंड और प्रोत्साहन के माध्यम से नेतृत्व को आगे बढ़ाने में मदद मिलती है।

संगठन के आधारभूत मूल्य:

  • कुलीन अभिमुखता या अभिजात मानसिकता अथवा “चलता है एटीट्युड” वाले संगठन कर्मचारियों के बीच समान रवैया रखते हैं, जो संगठन के बाहर भी उनके व्यवहार में परिलक्षित होता है।
  • कई संगठन महिलाओं, दिव्यांगों आदि के प्रति लक्षित संवेदनशील प्रशिक्षण द्वारा हाशिए पर स्थित वर्गों के प्रति संवेदनशीलता को बढ़ावा देते हैं।
  • निजी संगठनों में कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (CSR) मानदंडों को लागू करना परोपकारी और समतावादी समाज को बढ़ावा देता है। इसके अलावा CSR के तहत पर्यावरण और प्रकृति संरक्षण की दिशा में भी कार्य किया जाता है जो जलवायु परिवर्तन संवेदनशीलता को बढ़ावा देने में मदद करता है।

संगठन के लक्ष्य और उद्देश्य

  • वित्शुद्ध रूप से लाभ के आधार पर काम करने वाले संगठन अपने कार्य के द्वारा होने वाले सामाजिक प्रभावों की उपेक्षा करते हुए लोगों में अनैतिक रवैया पैदा करते हैं।

उदाहरण के लिए: शराब और तंबाकू उत्पादों में लिप्त कंपनियां नकारात्मक बाह्यताओं पर विचार किए बिना शुद्ध रूप से लाभ के आधार पर काम करती हैं।

गुणवत्ता और सेवा वितरण

  • संगठनों के नेताओं का रवैया और मानसिकता पूरे समाज को प्रतिबिंबित करती है।
    • उदाहरण के लिये: वेस्टर्न इलेक्ट्रिक कंपनी में वाल्टर ए. शेहार्ट द्वारा जापान में शुरू किये गए 1930 के दशक के कुल गुणवत्ता आंदोलन (TQM) ने तेज़ी से औद्योगिकीकरण का आधार बनाया।
    • इसी प्रकार यह भारत के मेट्रो मैन ई. श्रीधरन की दूरदृष्टि थी, जिसने अब तक की सबसे सफल मेट्रो परियोजना का निर्माण किया, जो अपनी सेवाओं और कुशल कार्य के लिए जानी जाती है।

निष्कर्ष

इस प्रकार समाज और संगठन की कार्य संस्कृति दोनों का सीधा संबंध है। दोनों ही लोगों के नैतिक ताने-बाने को प्रभावित करते हैं और किसी भी समाज के सामाजिक ताने-बाने के लिए प्रासंगिक हैं।