हिंदी के नवगीत आन्दोलन का परिचय दीजिये।
21 Aug 2019 | रिवीज़न टेस्ट्स | हिंदी साहित्यनवगीत समकालीन हिन्दी कविता की एक प्रमुख प्रवृत्ति है। इसका आरंभ कब हुआ- इस प्रश्न पर विवाद है, किंतु मोटे तौर पर इसे नवलेखन या नई कविता के दौर से संबंधित माना जाता है। वस्तुत: यह आंदोलन नई कविता के एक दावे के विरोध में उपजा है। नई कविता के समर्थक मानते थे कि आधुनिक भाव-बोध पर आधारित कविताओं की विषय-वस्तु इतनी जटिल व विश्लेषणात्मक है कि इसकी अभिव्यक्ति गीतों के माध्यम से नहीं हो सकती। गीत की रचना के लिये जो तीव्र भावुकता, रोमानियत और प्रवाह चाहिये, वह आधुनिक काव्यानुभव से सुसंगत नहीं है। इस दावे के विपरीत नवगीत के समर्थकों ने आधुनिक यथार्थ से संबद्ध गीत रचे और सिद्ध किया कि गीत अप्रासंगिक विधा नहीं है। उसमें इतनी लोचशीलता है कि वह समकालीन यथार्थ को भी धारण कर सके। यही आंदोलन नवगीत आंदोलन कहलाया।
इस आंदोलन के प्रमुख सिद्धांतकार हैं- रवीन्द्र भ्रमर तथा रमेश रंजक। रमेश रंजक इसके सबसे प्रसिद्ध गीतकार भी हैं। इनके अतिरिक्त कुमार शिव, वीरेन्द्र मिश्र, शंभूनाथ सिंह, ओम प्रभाकर, ठाकुर प्रसाद सिंह तथा उमाकांत मालवीय अन्य प्रसिद्ध नवगीतकार हैं।
आज़ादी तथा सभी विचारधाराओं के प्रति मोहभंग, वंचित वर्ग के प्रति करुणा का भाव, भीड़तंत्र में तब्दील हो चुकी लोकतांत्रिक व्यवस्था के प्रति असंतोष का भाव, लोकगीत, लोकधुन व लोक जीवन के चित्रों का सुंदर प्रयोग आदि नवगीतों की प्रमुख विशेषताएँ हैं। मोहभंग को अभिव्यक्त करता नवगीत का एक उदाहरण द्रष्टव्य है:
जलती न कोई आग है, छिड़ता न कोई राग है,
केवल सुलगती है चिता, इस गीत के आकाश में।