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कृष्ण विवर (ब्लैक होल) का दृश्य ले पाना एक चुनौती क्यों थी? इवेंट होराइज़न टेलीस्कोप से लिये गए पहले दृश्य के महत्त्व पर चर्चा करें।

20 Aug 2019 | सामान्य अध्ययन पेपर 3 | विज्ञान-प्रौद्योगिकी

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण:

• परिचय में वैज्ञानिकों द्वारा खींची गई गई छवि या दृश्य तथा उसकी पृष्ठभूमि पर चर्चा कीजिये।

• संरचना के तहत परीक्षण कीजिये कि कृष्ण विवर (ब्लैक होल) के दृश्य या विज़ुअल को पकड़ना एक चुनौती क्यों थी, इसे कैसे हल किया गया।

• इसके महत्त्व पर चर्चा कीजिये।

• इस दिशा में भविष्य की परियोजनाओं की जानकारी देते हुए निष्कर्ष दीजिये।

परिचय:

  • खगोलविदों ने एक ब्लैक होल की पहली छवि खींची है, जो ब्रह्मांड की सबसे गूढ़ वस्तुओं को समझने के लिये एक नए युग का सूत्रपात है। ब्लैक होल्स का अनुमान सबसे पहले आइंस्टीन के सापेक्षता के सिद्धांत से लगाया गया था, हालाँकि आइंस्टीन को स्वयं यह संदेह था कि इनका वास्तव में अस्तित्व है भी या नहीं।
  • तब से खगोलविदों ने अनेक प्रमाण एकत्र किये हैं कि ये ब्रह्मांडीय पिंड मौजूद हैं, इनमें वे गुरुत्वाकर्षण तरंगें भी शामिल हैं जिनकी हाल ही में खोज की गई है, जो तब ब्रह्मांड में तरंगित होती हैं, जब उनके युग्म आपस में टकराते हैं।

स्वरूप/ढाँचा:

  • ब्लैक होल्स अंतरिक्ष में मौजूद ऐसे पिंड हैं जहाँ गुरुत्वबल इतना अधिक होता है कि यहाँ से प्रकाश का पारगमन नहीं होता। चूँकि इनसे प्रकाश बाहर नहीं निकल सकता, अतः हमें ब्लैक होल दिखाई नहीं देते, वे अदृश्य होते हैं।
  • ऐसी स्थिति में ब्लैक होल के दृश्य को कैद करने का कोई भी प्रयास काफी कठिन रहा। ऐसा करने में वैज्ञानिकों को दो मुख्य चुनौतियों का सामना करना पड़ा:
    • सुदूर अवस्थित ब्लैक होल से पर्याप्त प्रकाश इकट्ठा करना।
    • प्राप्त विवरण को समझने के लिये पर्याप्त आवर्द्धक शक्ति एकत्रित करना।
    • दुनिया भर में फैली कई बड़ी रेडियो दूरबीनों का उपयोग करके इन चुनौतियों का समाधान किया गया। इन दूरबीनों से प्राप्त जानकारियों के अवलोकन के संयोजन से खगोलविदों ने एक ऐसी दूरबीन तैयार की जिसमें लगे लेंसों का आकार ग्रह के आकार जितना बड़ा था। इसके अलावा ब्लैक होल के सटीक दृश्य प्राप्त करने और एक दृश्य में प्रस्तुत करने के लिये सभी सिग्नलों को एक माइक्रोसेकंड के भीतर सहेजा और सिंक्रनाइज़ किया गया।
  • यह उपलब्धि आइंस्टीन के सामान्य सापेक्षता के सिद्धांत को और आगे बढ़ाएगी, जो अंतरिक्ष-समय की अनियमितता के परिणाम के रूप में गुरुत्वाकर्षण का वर्णन करता है। नए अनावरित चित्रों से वैज्ञानिकों को यह समझने में मदद मिलेगी कि किस प्रकार ब्लैक होल धीरे-धीरे बढ़ता है और कैसे सबसे बड़े ब्लैक होल्स ने अपनी मेज़बान आकाशगंगाओं के विकास को आकार दिया हैं। ये सभी पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति को समझने और गोल्डीलॉक्स जोन अर्थात् रहने योग्य ग्रह को ढूंढने में सहायक साबित होंगे।

निष्कर्ष:

हालाँकि यह अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है, तथापि अभी भी एक लंबा सफर तय किया जाना शेष है, जिस पर न्यूक्लियर स्पेक्ट्रोस्कोपिक टेलीस्कोप ऐरे (Nuclear Spectroscopic Telescope Array-NuSTAR), LIGO और लेज़र इंटरफेरोमीटर स्पेस एंटीना (Laser Interferometer Space Antenna-LISA) मिशन जैसी कई परियोजनाओं द्वारा कार्य किया जा रहा है। इन परियोजनाओं के निष्कर्षों से खगोलीय पिंडों के कार्य करने के बारे में और अधिक जानकारी मिलने की उम्मीद है।