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17 Aug 2019
सामान्य अध्ययन पेपर 2
राजव्यवस्था
भारत की हिंद-प्रशांत रणनीति सामरिक रूप से महत्त्वपूर्ण अफ्रीका की उपेक्षा को दर्शाती है। टिप्पणी कीजिये। (250 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
• परिचय में भारत की हिंद प्रशांत रणनीति का वर्णन कीजिये।
• भारत-प्रशांत क्षेत्र में भारत के लिये अफ्रीका के महत्त्व और भारत की रणनीति में अफ्रीका की उपेक्षा का उल्लेख कीजिये।
• भारत का अफ्रीका के संदर्भ में क्या दृष्टिकोण होना चाहिये, इस पर सुझाव दीजिये।
परिचय:भौगोलिक रूप से भारत प्रशांत क्षेत्र, भारत और प्रशांत महासागर को अफ्रीका के पूर्वी तट, अमेरिकी के पश्चिमी तट और उनके कई तटवर्ती देशों के बीच संदर्भित करता है। यह क्षेत्र भारत के लिये बहुत महत्त्व रखता है और इसने चीन के उदय का मुकाबला करने के संदर्भ में क्षेत्र में भारत को प्रबल दावेदार बनाया है। इसमें भारत की भारत-प्रशांत रणनीति का मार्गदर्शन करने में अफ्रीका एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
ढाँचा/ संरचना:
भारत के लिये अफ्रीका के महत्त्व को निम्न क्षेत्रों में देखा जा सकता है-
- भू-आर्थिक: ऊर्जा सुरक्षा-तेल (नाइज़ीरिया), यूरेनियम (दक्षिण अफ्रीका) की आपूर्ति, अफ्रीका के विशाल खनिज संसाधन, अफ्रीका की बढ़ती जनसंख्या भारत से वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात के लिये नए अवसर प्रदान करती है।
- भू-सामरिक: समुद्री सुरक्षा-अफ्रीका के पूर्वी तट के देश हिंद महासागर क्षेत्र की शांति और समृद्धि को बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह अफ्रीका तथा उसके पार व्यापार संबंधों और अफ्रीका में भारतीय प्रवासियों के हितों के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
- भू-राजनीतिक: दक्षिण-दक्षिण सहयोग, UNSC सुधार, चीन के साथ प्रतिस्पर्द्धा, जलवायु परिवर्तन और WTO सुधार जैसे वैश्विक मुद्दों में सहयोग।
अफ्रीका "अफ्रीका के लिये नया संघर्ष " का सामना कर रहा है। पश्चिमी देशों के अलावा यह क्षेत्र चीन, भारत, जापान और कोरिया जैसे प्रमुख देशों के लिये रूचि का विषय बना हुआ है जो एक-दूसरे पर रणनीतिक बढ़त हासिल करने के लिये प्रतिस्पर्द्धा कर रहे हैं।
हालाँकि भारत की भारत-प्रशांत रणनीति अफ्रीका की उपेक्षा करती है, जो निम्न बिंदुओं से स्पष्ट है:
- भारत का दृष्टिकोण संयुक्त राज्य अमेरिका की चीन को पीछे करने की महत्त्वाकांक्षा में सहयोग करने का है, जैसा कि शांगरी ला डायलॉग (2018) में देखने को मिला। संयुक्त राज्य अमेरिका की दृष्टि से भारत प्रशांत क्षेत्र भारत के पश्चिमी तट से संयुक्त राज्य अमेरिका के पश्चिमी तट तक फैला हुआ है और इस प्रकार यह अफ्रीका में रुचि की कमी को दर्शाता है।
- भारत ने प्रत्येक भारत-प्रशांत क्षेत्रीय वार्ता में आसियान और ‘लुक ईस्ट’ पर ध्यान केंद्रित किया है और अफ्रीकी आउटरीच की उपेक्षा की है।
- यह तर्क दिया गया है कि RCEP जैसे मेगा क्षेत्रीय व्यापार समझौतों को अंतिम रूप देने से भारत-अफ्रीका द्विपक्षीय व्यापार में नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। ऐसा वरीयताओं में कमी और MRTA (Mega Regional Trade Agreements) बाज़ार में वृद्धि से होगा।
निष्कर्ष:
- अफ्रीका के वर्तमान परिवर्तन के पैमाने और गति को भारत के रणनीतिक मानचित्र पर प्राथमिकता दी जानी चाहिये।
- जापान के साथ सहयोग करते हुए भारत को एशिया अफ्रीका ग्रोथ कोरिडोर पर कार्य करने की आवश्यकता है। भारत-अफ्रीका मंच शिखर सम्मेलन (IAFS 2008, 2012, 2015) जैसे प्लेटफार्मों के माध्यम से बहुपक्षीय विकास भागीदारी में संलग्न होने की रणनीति को प्रमुख प्राथमिकता दी जानी चाहिये।
- भारत को पीपल टू पीपल कांटेक्ट बढ़ाने के लिये अपने डायस्पोरा का लाभ उठाने की ज़रूरत है। भारत को न केवल अफ्रीका महाद्वीप के देशों से जुड़ना चाहिये बल्कि हिंद महासागर में अपने रणनीतिक स्थान के कारण महत्त्व वाले द्वीप राष्ट्रों विशेष रूप से मोजाम्बिक, कोमोरोस और सेशेल्स पर भी ध्यान केंद्रित करना चाहिये।