भारत के महाशक्ति बनने की राह में कुपोषण एक बहुत बड़ी बाधा है। भारत में कुपोषण के उच्च स्तर से जुड़े कारणों और चुनौतियों पर चर्चा कीजिये? (250 शब्द)
15 Aug 2019 | सामान्य अध्ययन पेपर 2 | सामाजिक न्याय
दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण
• परिचय में यह बताएँ कि कुपोषण भारत में किस प्रकार व्याप्त है।
• भारत में कुपोषण के उच्च स्तर से जुड़े कारणों और चुनौतियों पर चर्चा करें।
• अंत में निष्कर्ष दीजिये।
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परिचय
- मौजूदा कुपोषण के चलते 2018 के ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत की रैंक 119 देशों में 103 थी।
- विश्व बैंक के अनुसार उसके 40 प्रतिशत कर्मचारियों के बच्चे स्टंटिंग से ग्रसित हैं।
- दुनिया में कुपोषित बच्चों की सबसे अधिक संख्या लम्बे समय से भारत में है। यहाँ पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों में स्टंटिंग से ग्रसित बच्चों की संख्या 30.9% है, जो दुनिया में सबसे ज्यादा है।
भारत में उच्च स्तर के कुपोषण के कारण
- अत्यधिक भूख और गरीबी की वज़ह से भोजन तक अपर्याप्त पहुँच
- मुख्य खाद्य पदार्थों- चावल और गेहूँ में पोषक तत्त्वों की कमी।
- नवजात शिशुओं और बच्चों को अपर्याप्त स्तनपान : शहरी क्षेत्रों में जन्म के बाद 46 प्रतिशत से कम बच्चों को ही शुरुआती कुछ महीनों स्तनपान कराया जाता हैI
- स्वच्छता का अभाव :खुले में शौच ,पीने के पानी की आपूर्ति में कमी आदि बच्चों में कुपोषण के कुछ बड़े कारण हैं।
- महिलाओं और लड़कियों के संबंध में सामाजिक वर्जनाएँ उन्हें वित्तीय और आर्थिक स्वतंत्रता से दूर रखती हैं जिसके परिणामस्वरूप उनमें पोषण की कमी पाई जाती है।
- कुपोषण का अन्य पीढ़ियों में स्थानान्तरण: जो माताएं भूखी और कुपोषित होती हैं, उनके द्वारा जन्मी संतान अल्प-पोषित, कम वज़न वाली होती है तथा मानवीय क्षमता का पूर्ण विकास कर पाने में अक्षम रह जाती है।
कुपोषण से संबंधित चुनौतियाँ
- अंतर-राज्य परिवर्तनशीलता: उच्च कुपोषण वाले राज्य सबसे गरीब हैं और इसलिये बजट की कमी एक प्रमुख चिंता है।
- विभिन्न स्तरों पर अधिकारियों के बीच प्रभावी समन्वय का अभाव ।
- आंगनवाड़ी कर्मियों को अपर्याप्त प्रशिक्षण, जो कि सबसे पहले कुपोषण का अनुमान लगाने का काम करती हैं।
- स्वच्छता और साफ-सफाई न करने के स्वास्थ्य पर क्या विपरीत प्रभाव होंगे, इस संदर्भ में लोगों में जागरूकता की कमी एक बड़ी बाधा है।
- गरीबी, निरक्षरता, स्वच्छता में कमी, सरकारी सेवाओं का अभाव आदि की वज़ह से सबसे अधिक समस्याएँ ग्रामीण क्षेत्रों और शहर की स्लम बस्तियों में है।
आगे की राह
- पोषण अभियान (राष्ट्रीय पोषण मिशन) का प्रभावी क्रियान्वयन, जिसका उद्देश्य स्टंटिंग, पोषण में कमी, एनीमिया और कम वज़न वाले शिशुओं की संख्या को कम करना है।
- बजट में वृद्धि कर समाज कल्याण के कार्यक्रमों पर ध्यान केन्द्रित करना।
- निर्धन समुदायों के लिये सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच में सुधार करना।
- बेहतर खाद्य सुरक्षा हेतु मनरेगा को मजबूत करना।
- सार्वजानिक वितरण प्रणाली के माध्यम से गरीबों को जैव आवर्द्धित भोज्य पदार्थ (Bio-fortified foods) उपलब्ध कराना ताकि उनके आहार में पोषक तत्त्वों की मात्रा बढ़ाई जा सके।
- स्वच्छ भारत अभियान जैसे स्वच्छता अभियानों का प्रभावी तरीके से क्रियान्वयन तथा प्रत्येक आवास तक स्वच्छ जल की आपूर्ति सुनिश्चित करना।
- महिलाओं और किशोर लड़कियों के लिये चलाई जा रही योजनाओं जैसे- सबला, जननी सुरक्षा योजना आदि को मज़बूती प्रदान करना।
- भारत में कुपोषण के खतरे से लड़ने के लिये सभी हितधारकों- सरकार, नागरिक समाज, गैर सरकारी संगठनों (जैसे सेव द चिल्ड्रन फाउंडेशन), शिक्षाविदों इत्यादि के बहुआयामी प्रयासों की व्यापक रूप से आवश्यकता है।