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उपयुक्त उदाहरणों के साथ, उनके धर्म और सामाजिक प्रथाओं के संबंध में सिंधु घाटी सभ्यता के विभिन्न पहलुओं और विशिष्टता का परीक्षण कीजिये। (250 शब्द)

14 Aug 2019 | सामान्य अध्ययन पेपर 1 | इतिहास

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण

• सिंधु घाटी सभ्यता का संक्षिप्त परिचय दीजिये।

• सिंधु घाटी सभ्यता के क्षेत्रों में खोजे गए धार्मिक शास्त्रों और उनके महत्त्व को बताइए।

• हड़प्पा सभ्यता की धार्मिक प्रथाओं की प्रासंगिकता पर प्रकाश डालते हुए समाप्त कीजिये।

परिचय

सिंधु घाटी सभ्यता 2700 ईसा पूर्व और 1900 ईसा पूर्व के बीच फली-फूली। इसके नगर नियोजन, सामाजिक-आर्थिक जीवन, कला, लिपि, धर्म, आदि का अध्ययन शैक्षिक रुचि की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है। हड़प्पा के पुरातत्व अवशेष प्रारंभिक मानव इतिहास का अध्ययन करने के लिये साक्ष्य का एक बड़ा ज़रिया बने हुए हैं।

स्वरूप/ढाँचा

हड़प्पा धर्म को नाम देना कठिन है क्योंकि इसकी लिपि अभी तक गूढ़ बनी हुई है। लेकिन भौतिक साक्ष्य हड़प्पा सभ्यता की धार्मिक प्रथाओं की व्याख्या करने में हमारी सहायता करते हैं। इनमें से कुछ इस प्रकार हैं:

  • मुहरों पर सचित्र रूपांकन और ताम्र फलक
    • मुख्य पुरुष देवता पशुपति (आद्य शिव) थे, जो मुहरों में तीन चेहरों और दो सींगों के साथ योग मुद्रा में बैठे थे। वे चार जानवरों से घिरे हुए हैं (हाथी, बाघ, गैंडा और भैंस तथा प्रत्येक एक अलग दिशा की ओर मुँह किये है)। यह हिंदू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक का प्रारंभिक रूप भी है।
    • प्रमुख महिला देवी मातृ-देवी या देवी माँ थीं जिन्हें टेराकोटा मूर्तियों में दर्शाया गया था।
  • शंक्वाकार पाषाण वस्तुओं को लिंग के रूप में वर्गीकृत किया गया, जो लिंग पूजा का संकेतक है।
  • वे भूत-प्रेत और बुरी ताकतों में विश्वास करते थे और उनके खिलाफ संरक्षण के रूप में ताबीज़ का इस्तेमाल करते थे।

धार्मिक संदर्भ में सिंधु घाटी सभ्यता की कुछ अन्य अनूठी विशेषताएँ इस प्रकार हैं:

  • मिस्र और मेसोपोटामिया के विपरीत सिंधु घाटी के अवशेषों में किसी भी मंदिर की गैर-मौजूदगी।
  • संरचनाओं को आनुष्ठानिक महत्त्व दिया गया है। इनमें कालीबंगन और लोथल में पाए जाने वाले विशाल स्नानागार और अग्नि वेदियाँ शामिल हैं।
  • लोथल में कहीं-कहीं कंकाल के जोड़े के साथ मृदभांडों को दफनाने की प्रथा का पता चलता है।

निष्कर्ष:

इस प्रकार, सिंधु घाटी सभ्यता मुख्य रूप से एक धर्मनिरपेक्ष सभ्यता और धार्मिक तत्त्व को इंगित करती है, जो मौजूद होने के बावजूद तब प्रचलित सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों पर हावी नहीं हुआ था। यह माना जाता है कि हड़प्पा धार्मिक प्रथाओं ने बाद के धर्मों को प्रभावित किया जो भारतीय उपमहाद्वीप में विकसित हुए, जैसे-जैन धर्म, बौद्ध धर्म और हिंदू धर्म।