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  • 11 Aug 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़

    आप टाइगर बायोस्फीयर रिज़र्व वाले क्षेत्र में फॉरेस्ट रेंज ऑफिसर के रूप में तैनात हैं। हाल ही में एक राजमार्ग, जो बायोस्फीयर रिज़र्व से होकर गुजरता है, के निर्माण के कारण बाघों का आवास स्थान सिकुड़ गया है, साथ ही बाघों की आबादी में भी तेज़ी आई है। इससे वन क्षेत्र के आसपास के गाँवों में बाघों के पहुँचने के मामले सामने आए हैं, जिससे इन गाँवों में मवेशियों और मानव जीवन की हानि हुई है। इसके कारण उत्तेजित ग्रामीणों ने बाघों को मारना और ज़हर देना शुरू कर दिया है।

    1. क्या आपको लगता है कि इस स्थिति में ग्रामीणों द्वारा की गई कार्रवाई सही है? अपने उत्तर के समर्थन में कारण दें।

    2. इस स्थिति को हल करने के लिए आपके पास कौन से विकल्प उपलब्ध हैं?

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण

    • केस से संबंधित वन्य जीव संरक्षण से जुड़े संवैधानिक प्रावधानों को बताइए।

    • केस में मौजूद नैतिक दुविधा को बताइए।

    • ग्रामीणों द्वारा की जा रही कार्रवाई के संदर्भ में अपना रुख बताइए।

    • संघर्ष का समाधान करने के लिए भविष्य में की जाने वाली कार्रवाई के संदर्भ में अपनी राय दें।

    • अनुच्छेद 48A के तहत यह सरकार कर्त्तव्य है कि वह पर्यावरण की रक्षा करे तथा वन और वन्यजीवों की रक्षा के लिए विशेष प्रावधान करे, जबकि अनुच्छेद 51A नागरिकों के मूल कर्त्तव्यों के तहत पर्यावरण की सुरक्षा का प्रावधान करता है। इसलिए सरकार व नागरिकों दोनों का का यह संवैधानिक कर्त्तव्य है कि बाघों की रक्षा की जाए।
    • किसी को भी मारना पूर्णतः अनैतिक है, चाहे वह मनुष्य हो या जानवर, क्योंकि जीने का अधिकार एक सार्वभौमिक अधिकार है।
    • इस केस में विद्यमान नैतिक दुविधाएँ इस प्रकार हैं:
      • विकास बनाम पर्यावरणीय नैतिकता : यह केस विकास और पर्यावरण के संरक्षण के बीच विरोध को दर्शाता है। यहाँ सड़कों को चौड़ा करने के परिणामस्वरूप बाघों के आवास सिकुड़ गए हैं।
      • जीवन रक्षा बनाम जानवरों के प्रति करुणा: अपने आवासों के नष्ट होने के चलते बाघ ग्रामीणों के क्षेत्र में प्रवेश कर रहे हैं, जिससे दोनों के मध्य संघर्ष बढ़ा है। परिणामस्वरूप अपनी रक्षा के लिये दोनों एक-दूसरे को मार रहे हैं।

    (a)

    • हत्याओं को किसी भी नैतिक आधार पर उचित नहीं ठहराया जा सकता। चूँकि भारत में मनुष्यों और वन्यजीवों के शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व का एक लंबा इतिहास रहा है, इसलिये संकट के कारणों को गंभीरता से समझने की आवश्यकता है।
    • बढ़ते मानव और वन्यजीव संघर्ष का मुख्य कारण बढ़ती आबादी की वज़ह से वन्यजीवों के क्षेत्र का अतिक्रमण और वन्यजीवों में बीमारियों की बढ़ती घटनाओं के कारण वन्य प्रजातियों के लिये उनके भोजन (शिकार) में होने वाली कमी है।
    • बाघ अन्य वन्यजीवों की तरह मनुष्यों से दूर रहने की कोशिश करते हैं और मनुष्य से सामना होने पर केवल स्वयं की रक्षा के लिये ही आक्रमण करते हैं।
    • मनुष्य ने ही जानवरों के क्षेत्र का अतिक्रमण किया है, अतः बाघों को इस प्रकार मारना न्यायसंगत नहीं ठहराया जा सकता।

    (b) फॉरेस्ट रेंज ऑफिसर होने के नाते वन्यजीवों की रक्षा करना मेरा संवैधानिक कर्त्तव्य है और वन्यजीवों के प्रति दया का भाव रखना मेरा नैतिक दायित्व है। इसलिए संकट को हल करने के लिये मैं कार्रवाई के निम्नलिखित संदर्भों को प्राथमिकता दूंगा।

    • पहला, दोनों पक्षों को हत्याओं को रोकने और सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु शीघ्रातिशीघ्र उचित निर्णय लेने की आवश्यकता है। सर्वप्रथम गाँवों की सीमाओं में बाड़ लगाई जाए और बाघों को पर्याप्त भोजन उपलब्ध कराया जाए ताकि वे पशुओं पर हमला या गाँवों में प्रवेश न करें।
    • दूसरा, वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत बाघों को मारना एक दंडनीय अपराध है, इसलिये बाघ हत्या के लिए ज़िम्मेदार लोगों पर कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिये। इससे ग्रामीणों को बाघों की हत्या न करने का एक कड़ा संदेश जाएगा।
    • तीसरा ,संवैधानिक दायरे में रहते हुए यदि संभव हो तो गाँव वालों की क्षतिपूर्ति हेतु उन्हें मुआवज़े की उचित राशि प्रदान की जाए।
    • चौथा, निर्दोष ग्रामीणों पर भविष्य में बाघों के होने वाले हमलों को रोकने के लिए पर्याप्त कर्मचारियों, उपकरणों और संचार प्रणाली से लैस वन्यजीव निगरानी बल को तैनात किया जाए।

    दीर्घकालिक समाधान

    • पहला, जहाँ संघर्षों की आवृत्ति अधिक हो वहाँ से ग्रामवासियों को विस्थापित किया जाए।
    • दूसरा, वन्यजीवों के आने-जाने के लिये उचित गलियारे बनाए जाएँ ताकि मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम किया जा सके।
    • तीसरा, ग्रामीणों को किसी भी प्रकार की हानि से बचाने के लिए उन्हें उचित सरकारी योजनाओं, जैसे- फसल बीमा या जीवन बीमा योजना आदि के तहत पंजीकृत किया जाए।
    • चौथा, ग्रामीणों को सतत वन्यजीव प्रबंधन में शामिल कर उन्हें आजीविका के वैकल्पिक साधन उपलब्ध कराए जाएँ।

    निष्कर्ष

    हालाँकि संघर्ष को हल करने की कुंजी समुदायों के उचित संवेदीकरण में निहित है। इसलिये व्यवहार मनोविज्ञान के सिद्धांतों का उपयोग किया जाना चाहिये ताकि ग्रामीणों को भावनात्मक रूप से बाघों के साथ जोड़ा जा सके, क्योंकि बाघ देवी दुर्गा के वाहन के रूप में हिंदू पौराणिक कथाओं में एक महत्त्वपूर्ण स्थान रखते हैं। यह ग्रामीणों को बाघों को अपना दुश्मन मानने के दृष्टिकोण को बदल सकता है।

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