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10 Aug 2019
सामान्य अध्ययन पेपर 4
सैद्धांतिक प्रश्न
मूल्य संघर्षों के उन प्रकारों की जाँच कीजिये जो सार्वजनिक सेवा में मौजूद हो सकते हैं। (250 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण
• सार्वजनिक सेवा में मूल्यों के संघर्ष का संक्षिप्त परिचय दें।
• सार्वजनिक सेवा में मौजूद विभिन्न प्रकार के मूल्य संघर्षों की पहचान करें और उनकी व्याख्या करें।
• सार्वजनिक सेवा में मूल्य संघर्ष को संभालने के तरीके सुझाएं।
• निष्कर्ष प्रस्तुत कीजिये।
परिचय
सार्वजनिक सेवा में कार्य पारिस्थितिकी तंत्र की प्रकृति जटिल और गतिशील होती है, जहाँ बदलती प्रौद्योगिकियों, बढ़ती और बदलती सार्वजनिक अपेक्षाओं, जनसांख्यिकीय परिवर्तनों तथा आर्थिक और सामाजिक वैश्वीकरण के प्रभावों के चलते कार्य संस्कृति लगातार बदलती रहती है। ऐसे परिवेश में आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक मूल्यों का टकराव सार्वजनिक प्रशासक के साथ हो सकता है।
मूल्य संघर्ष के प्रकार
- प्रमुखतया तीन अलग-अलग प्रकार के मूल्य संघर्ष होते हैं:
- व्यक्ति को जब अपने भीतर या अपने व्यक्तिगत मूल्यों का सामना करना पड़ता है, तो ये अंतर-वैयक्तिक मूल्य संघर्ष कहलाता हैं।
- पारस्परिक मूल्य संघर्ष विभिन्न महत्त्वाकांक्षाओं और लक्ष्यों वाले व्यक्तियों के बीच होते हैं।
- व्यक्तिगत-संगठनात्मक मूल्य संघर्ष तब होता है जब किसी संगठन द्वारा निर्धारित मूल्य किसी कर्मचारी के व्यक्तिगत मूल्यों के साथ टकराते हैं।
- कुछ विशिष्ट मूल्य संघर्ष इस प्रकार हैं:
- दक्षता बनाम न्यायसम्यता
- सहयोग बनाम प्रतिस्पर्द्धा
- नियम-बाध्य भूमिकाएँ बनाम विवेकाधीन भूमिकाएँ
- विभिन्न हितधारकों की ज़रूरतों के बीच होने वाले संघर्ष
- बजट के भीतर कुशल और प्रभावी सेवा प्रदान करने और बढ़ती सार्वजनिक अपेक्षाओं का जवाब देने की आवश्यकता
- बदलती परिस्थितियों के अनुकूल और मौजूदा मानकों को बनाए रखने की आवश्यकता के बीच
- मुक्त बाज़ार अर्थव्यवस्था बनाम जवाबदेही
- सूचना की स्वतंत्रता बनाम गोपनीयता
- सार्वजनिक क्षेत्र संहिताएँ बनाम मंत्री विवेकाधिकार
- लोकसेवक बनाम राजनीतिक सेवक
- सूचना साझाकरण बनाम गोपनीयता (RTI बनाम ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट)
- उपरिगामी प्रबंधन बनाम अधोगामी प्रबंधन: आम जनता की मांगों का पालन करना बनाम वरिष्ठजनों और राजनीतिज्ञों की मांगों का पालन करना।
निष्कर्ष
मूल्य संघर्ष अपरिहार्य हैं, विशेष रूप से कई कार्यों और कई हितधारकों के साथ काम करने वाले संगठनों में। हालाँकि प्रगति में बाधा के बजाय संघर्ष समस्या की पहचान और विचार-विमर्श के माध्यम से निर्णय लेने की गुणवत्ता को बढ़ा सकता है। लोकसेवकों के लिये संघर्ष का सामना करना और उसका प्रबंधन करना एक चुनौती है और साथ ही उचित मूल्यों के आधार पर निर्णय लेना है। कई लोकसेवकों के लिये, संघर्ष का प्रबंधन काम के साथ कुछ सीखना है, लेकिन प्रशिक्षण संकट या कठिनाई के समय में मूल्यों को प्राथमिकता देने की प्रक्रिया में सहायता कर सकता है।