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10 Aug 2019
सामान्य अध्ययन पेपर 4
सैद्धांतिक प्रश्न
भारत के वर्तमान राजनीतिक नेतृत्व के संदर्भ में कौटिल्य के सिद्धांत “यथा राजा तथा प्रजा" (जैसा राजा, वैसी प्रजा) पर चर्चा कीजिये। (250 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण
• कौटिल्य के विचार “यथा राजा तथा प्रजा” का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
• भारतीय राजनीतिक प्रणाली की महत्त्वपूर्ण विशेषताओं को सूचीबद्ध करते हुए तथा यह लोगों को कैसे प्रभावित करती है, भारत में वर्तमान राजनीतिक नेतृत्व के संदर्भ में ‘यथा राजा तथा प्रजा’ को उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिये।
• निष्कर्ष प्रस्तुत कीजिये।
परिचय
- कौटिल्य ने अपनी पुस्तक अर्थशास्त्र में शासन, भ्रष्टाचार के सिद्धांत एवं व्यवहार संबंधित मुद्दों पर चर्चा की है।
- कौटिल्य के अनुसार ‘यथा राजा तथा प्रजा’ का अर्थ है, किसी राज्य के लोगों का चरित्र वहाँ राजा के समान होगा। यदि राजा में नेतृत्व, जवाबदेही, बुद्धिमत्ता, ऊर्जा, अच्छा नैतिक आचरण तथा शारीरिक रूप से स्वस्थ, त्वरित निर्णय लेने में सक्षमता आदि गुण हैं तो वह अपनी प्रजा को इन गुणों को अपनाने के लिये प्रेरित करेगा।
स्वरूप/ढाँचा
- वर्तमान भारतीय राजनीतिक व्यवस्था में कई प्रकार की राजनीतिक कमियाँ व्याप्त हैं। जैसे अपराधीकरण, भ्रष्टाचार, चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित करने हेतु धन-बल का प्रयोग, भाई-भतीजावाद तथा वंशवाद आदि।
- भारत की राजनीतिक संस्कृति में राजनीतिक विचारधारा के प्रति प्रतिबद्धता की कमी, राजनीतिक दलों में अवसरवादिता, गुटबाजी, लोगों को एकजुट करने हेतु पहचान की राजनीति अर्थात् जाति, धर्म, भाषा जैसे पहचान चिह्नों का उपयोग जैसे लक्षण परिलक्षित होते हैं।
- हालिया समय में राजनीतिक दलों पर सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर फेक न्यूज़, असहिष्णुता तथा उग्रवादी विचार फैलाने के आरोप लगाए गए हैं।
- ये राजनीतिक लक्षण भारतीय लोगों को प्रभावित करते हैं और जैसा कि कौटिल्य ने ‘यथा राजा तथा प्रजा’ कहा था, लोगों में राजनीतिक नेतृत्व के चरित्र का अनुसरण करते हुए ये उनमें परिलक्षित होते हैं।
- लोगों को एकजुट करने के लिये जाति, धर्म, भाषा आदि पहचान चिह्नों के इस्तेमाल की वज़ह से समाज में तनाव और संघर्ष बढ़ रहा है। हमारे नेताओं ने विविधता में एकता का संदेश दिया था, लेकिन हालिया समय में चुनाव जीतने हेतु इस विविधता का दुरुपयोग किया जा रहा है। कई सांप्रदायिक तथा जातिगत दंगे होते हैं जिनमें आम नागरिक आपराधिक हिंसा में शामिल होते हैं एवं ‘यथा राजा तथा प्रजा’ वाली उक्ति को पुष्ट करते हैं।
- इसी प्रकार कर अपवंचन भी भारतीय अर्थव्यवस्था का एक लक्षण है। आम नागरिक आय के स्रोतों को जाहिर न करके कर में हेर-फेर और करों से बचने की प्रवृत्ति रखते हैं। इस तरह का भ्रष्टाचार राजनीतिक नेतृत्व से अलग नहीं है क्योंकि वह भी भ्रष्टाचार लिप्त होता है तथा वहाँ भी सार्वजनिक धन का इस्तेमाल अपने लिये किया जाता है।
- वर्तमान भारतीय संदर्भ में फेक न्यूज़ का उपयोग का इस बात का परिणाम है कि राजनीतिक दल जानते हैं, इसके उपयोग से आम लोगों को भिन्न-भिन्न समुदायों के खिलाफ असत्यापित, असंतुलित जानकारी के माध्यम से पूर्वाग्रहित कर चुनावी लाभ उठाया जा सकते है। वर्तमान में यह समाज में परिलक्षित भी हो रहा है, जहाँ लोग असत्यापित दावों पर प्रतिक्रिया कर रहे हैं। उदाहरण के लिये, भीड़ द्वारा की जाने वाली हत्याएँ, गुजरात और बेंगलुरु से प्रवासियों का पलायन आदि।
निष्कर्ष
- कौटिल्य ने कहा है कि "अपनी प्रजा के सुख में राजा की प्रसन्नता निहित होती है तथा उनके कल्याण में ही उसका कल्याण होता है। वह केवल उन बातों को अच्छा नहीं मानेगा जो उसे प्रसन्न करती हैं, बल्कि वह उन विषयों पर भी ध्यान देगा जो उसकी प्रजा के लिये लाभकारी हैं।"
- इसलिये भारत में राजनीतिक नेतृत्व को आत्मनिरीक्षण करने और भारतीय लोगों के कल्याण के लिये काम करने की आवश्यकता है। उन्हें नेतृत्व, सहिष्णुता, त्याग, प्रेम, विरोधी नेताओं के लिये सम्मान, अखंडता, नैतिक ज़िम्मेदारी जैसे गुणों को विकसित करना चाहिये। बाद में यह गुण आम लोगों में भी परिलक्षित होंगे।