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आज की जटिल दुनिया में एक प्रशासक के लिये भावनात्मक बुद्धिमत्ता की भूमिका का परीक्षण कीजिये। इसके अलावा उन प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिये जो एक भावनात्मक रूप से बुद्धिमान प्रशासक में निहित होनी चाहिये। (250 शब्द)

07 Aug 2019 | सामान्य अध्ययन पेपर 4 | सैद्धांतिक प्रश्न

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण

• संक्षेप में EI को परिभाषित कीजिये।

• एक प्रशासक के लिये EI की भूमिका का उल्लेख कीजिये।

• भावनात्मक रूप से बुद्धिमान प्रशासक के प्रमुख गुणों की चर्चा कीजिये।

• निष्कर्ष लिखिये।

परिचय:

भावनात्मक बुद्धिमत्ता से तात्पर्य किसी व्यक्ति द्वारा अपनी भावनाओं को प्रबंधित करने और नियंत्रित करने की क्षमता एवं साथ ही दूसरों की भावनाओं को नियंत्रित करने की क्षमता से है।

नेतृत्व में भावनात्मक बुद्धि एक बहुत महत्त्वपूर्ण कौशल होती है। डैनियल गोलेमैन ने भावनात्मक बुद्धिमत्ता के 5 तत्त्व बताए हैं:

  • स्व-जागरूकता: स्व-जागरूकता एक व्यक्ति की भावनाओं, शक्तियों, चुनौतियों, उद्देश्यों, मूल्यों, लक्ष्यों और सपनों को ईमानदारी से प्रतिबिंबित करने एवं समझने की क्षमता है।
  • आत्मनियमन: यह किसी की भावनाओं को नियंत्रित करने से संबंधित है, इसके माध्यम से व्यक्ति किसी की भावनाओं पर शासन कर सकता है। साथ ही किसी भी विषय पर त्वरित प्रतिक्रिया करने के बजाय गहन सोच-विचार कर अनुक्रिया करता है।
  • आत्म अभिप्रेरण: इसका अर्थ है कि जब व्यक्ति को अपने उद्देश्य की प्राप्ति के लिये बाहर से पर्याप्त अभिप्रेरणा न मिले तो उसमें यह क्षमता होनी चाहिये कि वह स्वयं को निरंतर प्रेरित कर सके।
  • समानुभूति: दूसरों की अनुभूतियों और आवश्यकताओं को उसी के नज़रिये से समझने और उसके अनुरूप व्यवहार करने की क्षमता।
  • सामाजिक दक्षता: इसका अर्थ है कि व्यक्ति को अन्य व्यक्तियों के साथ कुछ इस प्रकार से संबंध बनाए रखने चाहिये की उन संबंधों से उसे तथा सभी को लाभ हो।

एक प्रशासक द्वारा EI का अनुप्रयोग:

  • EI एक नेता को व्यक्तिगत सीमाओं के प्रति सचेत करने और संगठनात्मक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये व्यक्तिगत शक्तियों का उपयोग करने में सक्षम बनाता है।
  • यह नेतृत्व के लिये आवश्यक मानसिक स्पष्टता को सुनिश्चित करता है जो विघटनकारी भावनाओं को दूर कर सही निर्णय लेने में सक्षम बनाता है।
  • यह व्यक्तिगत लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करता है और साथ ही संगठनात्मक लक्ष्यों की प्राप्ति के लिये व्यक्ति में समर्पण की भावना भी उत्पन्न करता है।
  • यह स्वस्थ कार्य-सबंधों तथा कार्य-संस्कृति के वातावरण को विकसित करने में मदद करता है, जो संगठनात्मक नेतृत्व के कार्य को आगे बढ़ाने के लिये आवश्यक है।
  • समानुभूति रखने वाला व्यक्ति भावनात्मक अभिव्यक्तियों, मौखिक संकेतों जैसे या चेहरे के भाव आदि को पढ़ सकता है।
  • यह एक प्रशासक को किसी विशिष्ट एजेंडा या कार्रवाई हेतु समर्थन प्राप्त करने के लिये दूसरों को मनाने, समझाने या प्रभावित करने में मदद करता है।

निष्कर्ष

एक प्रशासक के रूप में लोकसेवक के पास समाज के संरक्षक के रूप में कार्य करने की ज़िम्मेदारी होती है, इस संदर्भ में भावनात्मक बुद्धिमत्ता कौशल का उपयोग इस लक्ष्य की प्राप्ति में उसकी सहायता कर सकता है और निर्णय लेने की गुणवत्ता को बढ़ा सकता है।