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  • 04 Aug 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    ‘गिग इकॉनमी' से आप क्या समझते हैं? पारंपरिक अर्थव्यवस्था की तुलना में इसके लाभ और चुनौतियों पर प्रकाश डालिये? (250 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • ‘गिग इकॉनमी' तथा पारंपरिक अर्थव्यवस्था को परिभाषित कीजिये।

    • पारंपरिक अर्थव्यवस्था की तुलना में ‘गिग इकॉनमी' के लाभों की चर्चा कीजिये तथा साथ ही उदाहरण भी बताइये।

    • विभिन्न चुनौतियों की चर्चा कीजिये।

    • आगे की राह बताते हुए निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय:

    ‘गिग इकॉनमी’ शब्द की व्युत्पत्ति ‘गिग’ शब्द से हुई है, जिसका अर्थ है- अल्पकालिक प्रकृति की नौकरी। इसका तात्पर्य एक ऐसे श्रम बाज़ार से है जहाँ संविदा कर्मियों द्वारा सेवाओं का उत्पादन किया जाता है। इस अर्थव्यवस्था की कुछ मान्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:

    • इस अर्थव्यवस्था में उद्योगों द्वारा पीयर-टू-पीयर लेन-देन की सुविधा के लिये सूचना प्रौद्योगिकी-सक्षम प्लेटफॉर्म, जैसे इंटरनेट-सक्षम उपकरणों पर आधारित मोबाइल एप का उपयोग किया जाता है।
    • ये प्लेटफॉर्म गुणवत्ता नियंत्रण के लिये उपयोगकर्त्ता-आधारित रेटिंग पर निर्भर करते हैं।
    • वे काम के घंटे तय करने में मंच के लचीलेपन के माध्यम से सेवाएँ प्रदान करने वाले श्रमिकों की पेशकश करते हैं।
    • फर्म ज़्यादातर ऐसे श्रमिकों पर निर्भर होते हैं जो सेवा प्रदान करने के लिये अपने स्वयं के उपकरणों का उपयोग करते हैं।

    उपरोक्त अंतर इसे पारंपरिक अर्थव्यवस्था से अलग करते हैं जो पूर्णकालिक श्रमिकों पर निर्भर होता है तथा लाइफटाइम कैरियर और अपरिवर्तित कार्य-स्थितियों पर ध्यान केंद्रित करता है। उदाहरण के लिये Airbnb और ओला/उबेर गिग इकोनॉमी के प्लेटफॉर्म हैं जो क्रमशः यात्रा एवं कैब सेवाओं के लिये सेवाएँ प्रदान करते हैं, जबकि उनके समकक्ष विभिन्न होटल चेन एवं पारंपरिक टैक्सी सेवाएँ पारंपरिक अर्थव्यवस्था के भाग हैं।

    • गिग अर्थव्यवस्था पारंपरिक अर्थव्यवस्था की तुलना में अपने उपयोगकर्त्ताओं को निम्नलिखित तरीकों से लाभान्वित करती है:
      • पारंपरिक अर्थव्यवस्था द्वारा उत्पादित वस्तुओं या सेवाओं की तुलना में उपभोक्ताओं के लिये कम कीमत।
      • रोज़गार में लचीलापन और श्रमिकों के लिये आय के अतिरिक्त स्रोत।
      • बाज़ार में शुल्क के आधार पर अतिरिक्त क्षमता के आदान- प्रदान का अवसर।

    उदाहरण के लिये, कई सेवाएँ जो अब तक बाज़ार में नहीं उपलब्ध हो पाती थी, जैसे- आपके घर के अप्रयुक्त हिस्से को किसी अतिथि को रात भर के लिये ठहरने हेतु किराये पर देना, अब बाज़ार के दायरे में हैं।

    • ऑनलाइन समीक्षा और प्रतिक्रिया प्रणाली के आधार पर खरीदारों और विक्रेताओं के बीच विश्वास बढ़ाता है।
    • रोज़गार सृजन: भारत, विशाल युवा कार्यबल और आईटी केंद्रित सेवा अर्थव्यवस्था में अग्रणी होने के कारण गिग अर्थव्यवस्था के विकास एवं प्रसार के लिये एक उपयुक्त स्थल है। यह भारत और साथ ही दुनिया भर में फर्मों के लिये प्रतिस्पर्द्धी कीमतों पर सेवाएँ प्रदान करके एवं अधिक नौकरियाँ सृजित करके अर्थव्यवस्था को लाभान्वित करेगा तथा हमारे देश के विकास इंजन को गति प्रदान करेगा।

    गिग अर्थव्यवस्था के ऑनलाइन और अल्पावधि प्रकृति के कारण इसकी कुछ निम्नलिखित चुनौतियाँ भी हैं:

    • ऑनलाइन समीक्षा प्रणाली में हेर-फेर की संभावना होती है जो प्रत्यक्ष अंतर्क्रिया की अनुपस्थिति में उस विश्वास को चोट पहुँचा सकती है जो विक्रेताओं और खरीदारों के संबंधों के लिये महत्त्वपूर्ण है।
    • लेन-देन की अस्थायी प्रकृति खरीदारों और विक्रेताओं के बीच दीर्घकालिक संबंध बनाने की आवश्यकता को कम करती है।
    • सामाजिक सुरक्षा का अभाव: चूँकि इस अर्थव्यवस्था में श्रमिकों को किसी नियोक्ता से प्रत्यक्षतः संलग्न होने की आवश्यकता नहीं होती है इसलिये नियोक्ताओं में श्रमिकों के नियमित वेतन तथा सामाजिक सुरक्षा के प्रति जवाबदेहिता का अभाव होता।
    • न्यूनतम वेतन जैसे किसी भी विनियमन की अनुपस्थिति और दुनिया भर से श्रमिकों की उपस्थिति इनके सौदेबाजी की शक्ति को कमज़ोर बनाती है।

    निष्कर्ष

    इस अर्थव्यवस्था से संबंधित चुनौतियों के निम्नलिखित संभावित समाधान हो सकते हैं:

    • समीक्षाओं और फीडबैक के लिये अधिक पारदर्शी और विकसित तंत्र की ओर बढ़ना।
    • भुगतान, अनुबंध आदि के संबंध में संविदाकर्मियों के शोषण को रोकने के लिये विश्व स्तर पर सहमति प्राप्त विनियम।
    • गिग इकॉनमी के जोखिमों से बेहतर तरीके से निपटने हेतु लोगों को तैयार करने के लिये दुनिया भर की सरकारों द्वारा बेहतर सामाजिक कल्याण दृष्टिकोण को अपनाना।
    • संविदाकर्मियों तथा नियमित कर्मचारियों दोनों के लिये अधिक अवसर उत्पन्न करने हेतु पारंपरिक अर्थव्यवस्था के साथ औपचारिक लिंक का निर्माण करना।
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