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  • 04 Aug 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    सामाजिक परिवर्तन लाने और कल्याणकारी कार्यक्रमों के नीतिगत उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिये भारत में व्यावहारिक अर्थशास्त्र की भूमिका का परीक्षण कीजिये। (250 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • व्यावहारिक अर्थशास्त्र को परिभाषित कीजिये।

    • भारत में सामाजिक परिवर्तन लाने में इसकी भूमिका का परीक्षण कीजिये।

    • बताइये कि यह कल्याणकारी कार्यक्रमों के नीतिगत उद्देश्यों को प्राप्त करने में किस प्रकार मदद कर सकता है?

    • निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय:

    • व्यावहारिक अर्थशास्त्र आर्थिक विश्लेषण का एक तरीका है जो आर्थिक निर्णय प्रक्रियाओं की व्याख्या करने के लिये मानव व्यवहार का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण करता है।
    • वर्ष 2017 में रिचर्ड थेलर को व्यावहारिक अर्थशास्त्र पर उनके कार्यों के लिये अर्थशास्त्र का नोबल पुरस्कार दिये जाने के बाद यह प्रकाश में आया।

    किस प्रकार व्यावहारिक अर्थशास्त्र भारत में सामाजिक परिवर्तन ला सकता है?

    • भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को देखते हुए, सामाजिक मानदंडों (जो व्यवहार को आकार देने में बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं) का उपयोग व्यावहारिक परिवर्तन को प्रभावित करने के लिये किया जा सकता है।
    • स्वच्छ भारत मिशन, जन धन योजना, एल.पी.जी. सब्सिडी के लिये GiveItUp अभियान, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना, स्वस्थ और चुस्त भारत के लिये खेलो इंडिया अभियान, जैसे कार्यक्रम भारत में व्यावहारिक परिवर्तन की संभावनाओं के साक्ष्य प्रस्तुत करते हैं।
    • महात्मा गांधी ने सकारात्मक सामाजिक परिवर्तन के प्रति लोगों के व्यवहार को प्रभावित करने के लिये सात सामाजिक सिद्धांत (Seven Sins theory) का प्रस्ताव रखा था।
    • किसी भी क्षेत्र से संबंधित व्यवसाय में ग्राहकों को आकर्षित करने के लिये व्यावहारिक अर्थशास्त्र का उपयोग किया जाता है। उदाहरण के लिये, Google के विज्ञापन (Google Ads) में व्यक्ति की पसंद और नापसंद को जानने के लिये ऑनलाइन व्यवहार को ट्रैक किया जाता है और उसी के अनुसार विज्ञापन जारी किया जाता है।
    • भारत सहित अन्य विकसित देशों में नीति-निर्माण में व्यवहार विज्ञान के सिद्धांतों का उपयोग करने के लिये स्थापित नज यूनिट (Nudge Units) की सफलता ने भारत सहित अन्य देशों के लिये एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है।
    • यह लैंगिक समानता, अपराध और भ्रष्टाचार को कम करने, अपशिष्ट प्रबंधन, पर्यावरण संबंधी चिंताओं, पशु कल्याण, सड़क सुरक्षा, मानव पूंजी का निर्माण, स्वास्थ्य और शिक्षा मापदंडों को बढ़ाने आदि से संबंधित नीतियों में सार्वजनिक भागीदारी को बढ़ाने में मदद कर सकता है।

    कल्याण कार्यक्रमों के नीतिगत उद्देश्य को प्राप्त करने में व्यावहारिक अर्थशास्त्र की उपलब्धियाँ

    • स्वच्छ भारत मिशन: स्वच्छता के प्रति व्यवहार में परिवर्तन लाना। खुले में शौच-मुक्त अभियान ने वांछित परिणाम प्रदान किये हैं।
    • राष्ट्रीय वार्षिक ग्रामीण स्वच्छता सर्वेक्षण 2018-19 में पाया गया कि 96.5% ग्रामीण घरों ने, जिनके पास शौचालय की सुविधा थी, उसका उपयोग किया। इस सर्वेक्षण ने 90.7% गाँवों के खुले में शौच से मुक्त (ODF) होने की भी पुन: पुष्टि की।
    • शिशु लिंगानुपात बढाने और शिशु कन्या को शिक्षित करने हेतु जागरूकता फैलाने के लिये बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (BBBP) अभियान: BBBP ने हरियाणा में शिशु लिंगानुपात में सुधार की दिशा में सकारात्मक परिणाम लाने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है।
      • इसने शिशु कन्या के जन्म का उत्सव मनाने के लिये अपने ‘सेल्फी विद डॉटर’ नामक पहल में सामजिक मानदंडों का इस्तेमाल किया।
    • GiveItUp अभियान ने संपन्न वर्ग द्वारा स्वैच्छिक रूप से एल.पी.जी. सब्सिडी छोड़ने को बढ़ावा देकर सार्वजनिक धन की बड़ी बचत की है, जिसका उपयोग उज्ज्वला योजना के तहत गरीबों को मुफ्त एल.पी.जी. कनेक्शन प्रदान करने के लिये किया जा सकता है।
    • समर्पित सरकारी प्रयासों और मास मीडिया अभियानों के माध्यम से वित्तीय समावेशन और लोगों की बचत आदतों को बढाने में जन-धन योजना (JDY) की सफलता।
    • स्वस्थ और चुस्त भारत के लिये देश में खेल परिवेश को बढ़ावा देने हेतु खेलो इंडिया अभियान की शुरुआत।

    निष्कर्ष :

    हालाँकि नीतिगत हस्तक्षेपों के माध्यम से सकारात्मक सामाजिक परिवर्तन लाने में व्यावहारिक अर्थशास्त्र में अपार संभावनाएँ हैं, लेकिन इसकी अपनी सीमाएँ भी हैं। लैंगिक समानता, भ्रष्टाचार को कम करने, कर अनुपालन में ईमानदारी, अपशिष्ट प्रबंधन और सतत् विकास के लिये पानी जैसे संसाधनों के विवेकपूर्ण उपयोग जैसे- उद्देश्यों की पूर्ण सफलता हेतु निरंतर रूप से दीर्घकालिक प्रयासों की आवश्यकता है। विभिन्न प्रोत्साहन और शासन-संबंधी नीतियों की प्रभावशीलता बढ़ाने के लिये उनके निर्धारण में जन-सहभागिता को बढ़ाया जा सकता है। यदि व्यावहारिक अर्थशास्त्र को पूरी लगन से लागू किया जाए, तो भारतीय नीति-निर्माण BBBP से BADLAV (बेटी आपकी धन लक्ष्मी और विजय लक्ष्मी), स्वच्छ भारत से सुंदर भारत, एल.पी.जी. सब्सिडी के लिये "गिव इट अप" से "सब्सिडी के बारे में सोचें" (Think about the Subsidy), कर चोरी से कर अनुपालन में रूपांतरित हो जाएगा और न्यू इंडिया के सपने को भी साकार किया जा सकेगा।

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