प्रयागराज शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 29 जुलाई से शुरू
  संपर्क करें
ध्यान दें:

Be Mains Ready

  • 04 Aug 2019 रिवीज़न टेस्ट्स हिंदी साहित्य

    ‘‘विलोम क्या है? एक असफल कालिदास और कालिदास? एक सफल विलोम।’’- इस कथन के आधार पर ‘आषाढ़ का एक दिन’ की चरित्र-योजना के वैशिष्ट्य को रेखांकित कीजिये।

    मोहन राकेश नवलेखन के दौर के रचनाकार हैं। इस दौर की अधिकांश रचनाएँ अस्तित्ववाद से प्रभावित हैं। दरअसल, उपर्युक्त कथन भी अस्तित्ववादी अवधारणाओं की अभिंयंजना ही है। अस्तित्ववाद के अनुसार कोई भी व्यक्ति ‘केवल अच्छा’ या ‘केवल बुरा’ नहीं होता बल्कि ‘अच्छा और बुरा’ होता है तथा उसे अच्छा या बुरा बनाते हैं उसके हालात। मोहन राकेश ने ‘आषाढ़ का एक दिन’ नाटक की चरित्र-योजना में इस अवधारणा को अनुस्यूत किया है। इस कथन के माध्यम से राकेश यह संप्रेषित करना चाहते हैं कि एक दूसरे के विपरीत प्रतीत होने वाले कालिदास और विलोम वास्तव में एक जैसे ही हैं।

    कालिदास और विलोम, दोनों ही कविताओं का सृजन करते हैं, और मल्लिका से प्रेम भी करते हैं। किंतु कालिदास को मल्लिका का प्रेम सहज रूप से उपलब्ध होने की वजह से कविता के क्षेत्र में सफलता मिलती है और विलोम को इसके अभाव में असफलता। यदि मल्लिका का प्रेम विलोम को प्राप्त होता तो विलोम सफल कवि बनता। इस प्रकार यह कथन यह दर्शाता है कि नायकत्व और खलनायकत्व परिस्थितियों की देन हैं, चरित्रों की मूलभूत प्रवृत्ति नहीं। इसी बात को राकेश ने प्रकारांतर से इस प्रकार कहा है- ‘योग्यता एक चौथाई व्यक्तित्व का निर्माण करती है। शेष पूर्ति प्रतिष्ठा द्वारा होती है।’

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2