कृषि उपज को खेतों से बाज़ारों तक पहुँचाने में भारत का कृषि-रसद (Agri-Logistics) किस प्रकार पिछड़ रहा है, व्याख्या कीजिये? फसल कटाई के बाद किसानों को होने वाले नुकसान को रोकने के लिये क्या कदम उठाए जा सकते हैं? (250 शब्द)
03 Aug 2019 | सामान्य अध्ययन पेपर 3 | अर्थव्यवस्था
दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
• भारत में कृषि-रसद अवसंरचना से संबंधित तथ्यों का उल्लेख कीजिये।
• खेत से बाज़ार तक संपर्क में विद्यमान कमियों के बारे में बताइये।
• फसल कटाई के बाद के नुकसान को रोकने के लिये उपाय बताइये
• निष्कर्ष लिखिये।
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परिचय:
- भारत में कृषि-रसद अवसंरचना आवश्यक मानक से काफी नीचे है और इस प्रकार कृषि क्षेत्र की मज़बूत वृद्धि सुनिश्चित करने में एक बड़ी बाधा बनी हुई है।
- संयुक्त राष्ट्र के एक निकाय FAO की 2011 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत जैसे विकासशील एशियाई देशों के फलों और सब्जियों की 45% उपज (कटाई के बाद वितरण हेतु तैयार) बिना उपभोग के ही नष्ट हो जाती है।
- किसानों की आय दोगुनी करने के लिये गठित दलवाई समिति के अनुमान के मुताबिक, देश को 30,000 बाज़ारों (जिसमें थोक और ग्रामीण खुदरा बाज़ार भी शामिल हैं) की आवश्यकता है।
भारत कृषि-रसद में कैसे पिछड़ रहा है ?
- मंडियों की सीमित पहुँच: औसतन, एक किसान को निकटतम मंडी तक पहुँचने के लिये 12 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है, वहीं पूर्वोत्तर भारत में यह दूरी 50 किलोमीटर से भी अधिक है जबकि राष्ट्रीय किसान आयोग की सिफारिशों के अनुसार, बाज़ारों की उपलब्धता 5 किमी के दायरे में होनी चाहिये।
- बिचौलिये की अत्यधिक संख्या: मंडियों की अत्यधिक दूरी ने बिचौलियों की शृंखला के माध्यम से एक वृहद् विपणन चैनलों के गठन को बढ़ावा दिया है, जो शीघ्र नष्ट होने वाली कृषि वस्तुओं (perishable agri goods) के उत्पादकों की चिंताओं को और बढ़ा देते हैं।
- भंडारण के लिये अपर्याप्त बुनियादी ढाँचा: कृषि-गोदामों की माँग और आपूर्ति के बीच एक व्यापक अंतराल है।
- कोल्ड स्टोरेज अवसंरचना का अभाव: भारत की वर्तमान कोल्ड स्टोरेज क्षमता देश में उत्पादित होने वाले फल और सब्जियों के मात्र 10% के लिये ही पर्याप्त है।
पर्याप्त परिवहन अवसंरचना का अभाव: कृषि-केंद्रों से प्रसंस्करण केंद्रों या बाज़ारों तक वस्तुओं का स्थानांतरण एक प्रमुख बाधा है। अपर्याप्त परिवहन अवसंरचना के कारण खराब सड़कों,बार-बार लोडिंग, अनलोडिंग तथा संदूषण और कोल्ड चेन परिवहन के अभाव में गर्मी एवं आर्द्रता जैसी सुविधाओं की कमी के चलते वस्तुएँ नष्ट हो जाती हैं।
- शीघ्र नष्ट होने वाले कृषि उत्पाद (perishable agri-product): किसानों की आय दोगुनी करने के लिये गठित दलवई समिति के अनुसार अखिल भारतीय स्तर पर किसान फलों, सब्जियों और फलों तथा सब्जियों दोनों के उपज का क्रमशः 34%, 44.6% और लगभग 40% हिस्सा बाज़ार में बेचने में असमर्थ है।
- कटाई के बाद का नुकसान: अधिकांश कटे हुए अनाज, फल और सब्जियों को घास, लकड़ी या मिट्टी से बने अवैज्ञानिक पारंपरिक संरचनाओं में भंडारित किया जाता हैं, जो कीटों और क्षरण से फसलों की सुरक्षा नहीं कर पाते हैं।
कटाई के बाद के नुकसान को रोकने के लिये आवश्यक कदम
- वैज्ञानिक भंडारण सुविधाओं का उपयोग करना: बेहतर भंडारण संरचनाओं और रसद के माध्यम से तकनीकी हस्तक्षेप द्वारा कटाई के बाद के नुकसान को कम किया जा सकता है और किसानों के राजस्व में वृद्धि की जा सकती है।
- किसानों द्वारा कटाई के बाद के खर्चों को पूरा करने के लिये प्रमाणित गोदामों से प्राप्त वेयरहाउसिंग रसीदों का संपार्श्विक के रूप में बैंकों तथा ऋण देने वाली संस्थाओं से धन प्राप्त करने के लिये इस्तेमाल किया जा सकता है।
- रेल नेटवर्क का प्रयोग: शीघ्र नष्ट होने वाले फलों और सब्जियों का लगभग 1.9 प्रतिशत रेल के माध्यम से तथा 97.4 प्रतिशत सड़कों के माध्यम से परिवहन होता है। इस अनुपात को रेल नेटवर्क के पक्ष में स्थानांतरित करने की आवश्यकता है। रेलवे कम समय में लंबी दूरी तय करने में सक्षम है और किसानों की बाज़ार-पहुँच क्षमता में वृद्धि कर उन्हें सशक्त बना सकता है।
- ई-नाम (e-NAM) और ग्रामीण हाटों को मज़बूती प्रदान कर बाज़ार कनेक्टिविटी को बढ़ावा देना, जिन्हें ग्रामीण कृषि बाज़ारों (GrAMs) के लिये उन्नत किया जा रहा हैं।
- खाद्य प्रसंस्करण- देश में कृषि उपज के अपशिष्ट को कम करने और फसल के बाद के नुकसान को रोकने के लिये खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों को बढ़ावा देने की ज़रुरत है। इस संबंध में सरकार ने मेगा फूड पार्क, इंटीग्रेटेड कोल्ड चेन, मूल्य संवर्द्धन और संरक्षण अवसंरचना तथा बूचड़खानों का आधुनिकीकरण करने जैसे कुछ महत्त्वपूर्ण कदम उठाए हैं।
निष्कर्ष
कृषि-रसद से संबंधित मुद्दों को संबोधित किये बिना वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने के सरकार के लक्ष्य को प्राप्त नहीं किया जा सकता है। कृषि उपज और पशुधन विपणन अधिनियम (APLMA) के माध्यम से कृषि विपणन से संबंधित मुद्दों का जल्द से जल्द समाधान किया जाना चाहिये। किसानों को उनकी उपज हेतु उचित मूल्य प्रदान करने के लिये फसल कटाई के बाद के नुकसान पर अंकुश लगाना बेहद ज़रूरी है। इसके अलावा यह राष्ट्र की खाद्य सुरक्षा और पोषण संबंधी आवश्यकता को भी सुनिश्चित करने में मदद करेगा।