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छह-दिवसीय युद्ध क्या है और यह क्यों लड़ा गया था? इस युद्ध ने आधुनिक विश्व के इतिहास को किस प्रकार आकार प्रदान किया है? (250 शब्द)

31 Jul 2019 | सामान्य अध्ययन पेपर 1 | इतिहास

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण :

• संक्षेप में छह-दिवसीय युद्ध के बारे में बताइए।

• युद्ध के कारणों का उल्लेख कीजिये।

• बताइए कि इसने किस प्रकार मध्य पूर्व में भू-राजनीतिक स्थिति और शेष विश्व को प्रभावित किया?

परिचय

छह-दिवसीय युद्ध जून 1967 में इज़राइल और अरब देशों- मिस्र, सीरिया और जॉर्डन के बीच एक संक्षिप्त लेकिन खूनी संघर्ष था। इस युद्ध के परिणामस्वरूप क्षेत्र में एक महत्त्वपूर्ण शक्ति के रूप में इज़राइल का उदय हुआ और अपनी हार से अरब जगत को गंभीर झटका लगा।

स्वरूप/ढाँचा

  • छह-दिवसीय युद्ध को इज़राइल और अरब देशों के बीच कई दशकों के राजनीतिक तनाव और सैन्य संघर्ष का परिणाम माना जा सकता है।
  • युद्ध की जड़ें वर्ष 1948 में हुए इज़राइल के निर्माण में समाहित थी, जिसके बाद प्रथम अरब-इज़राइल युद्ध हुआ। इसने सैन्य संघर्ष से पीड़ित फिलिस्तीनी शरणार्थी संकट को भी जन्म दिया।
  • मिस्र के राष्ट्रपति गमाल अब्देल नासिर द्वारा स्वेज नहर के राष्ट्रीयकरण के बाद वर्ष 1956 में स्वेज संकट के रूप में एक और संघर्ष छिड़ गया। इसलिये छह-दिवसीय युद्ध को मध्य पूर्व में चल रहे भू-राजनीतिक संघर्ष के एक परिणामी कदम के रूप में देखा जा सकता है।

युद्ध के कुछ अन्य प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:

  • 1960 के दशक में सीरिया समर्थित फिलिस्तीनी छापामारों द्वारा इज़राइल रक्षा बलों के खिलाफ सीमा पार से होने वाले हमले।
  • अप्रैल 1967 में इज़राइल-सीरिया के बीच हवाई और तोपखाना संघर्ष।
  • मिस्र द्वारा सिनाई प्रायद्वीप के पास सैनिकों की हत्या। ये हत्याएँ सोवियत संघ की खुफिया जानकारी और इज़राइल द्वारा सीरिया से सटे अपनी उत्तरी सीमाई क्षेत्र के पास पूर्ण आक्रमण की आशंका के परिणामस्वरूप की गई थीं।
  • मिस्र और सीरियाई सेनाओं के आधुनिकीकरण के लिये सोवियत संघ का समर्थन।
  • मई 1967 में मिस्र ने तिरान जलडमरूमध्य (लाल सागर और अकाबा की खाड़ी को जोड़ने वाले समुद्री मार्ग) से इज़राइल के जहाज़ों के गुजरने पर प्रतिबंध लगा दिया।

इन सभी घटनाओं के कारण इज़राइल के रक्षा बलों ने ऑपरेशन फोकस के नाम से 5 जून, 1967 को मिस्र पर एक समन्वित हवाई हमला किया। यहीं से भीषण वायु और तोपखाना युद्ध के रूप में छह-दिवसीय युद्ध की शुरुआत हुई।

संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता से हुए संघर्ष विराम के परिणामस्वरूप यह युद्ध समाप्त हुआ। हालाँकि इसने मध्य-पूर्व के मानचित्र में महत्त्वपूर्ण रूप से परिवर्तन किया और कई अन्य भू-राजनीतिक तनावों को जन्म दिया।

युद्ध के अन्य परिणाम निम्नलिखित हैं:

  • इज़राइल ने मिस्र के सिनाई प्रायद्वीप और गाज़ा पट्टी, जॉर्डन के वेस्ट बैंक एवं पूर्वी येरुशलम तथा सीरिया के गोलन हाइट्स पर कब्ज़ा कर लिया।
  • इसने अरब जगत की क्षमताओं पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया। इस क्षेत्र के नेताओं ने अगस्त 1967 में सूडान में एक प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किये जिसमें इज़राइल के साथ "कोई शांति, कोई मान्यता और कोई बातचीत नहीं" (no peace, no recognition and no negotiation) की बात कही गई।
  • बाद में मिस्र और सीरिया के नेतृत्व में अरब देशों ने वर्ष 1973 के योम किपुर युद्ध के दौरान इज़राइल के साथ चौथा बड़ा संघर्ष शुरू किया।
  • वेस्ट बैंक और गाज़ा पट्टी पर कब्जा करने से फिलिस्तीनी शरणार्थी समस्या और बिगड़ गई। इसने इस क्षेत्र में चल रही राजनीतिक उथल-पुथल और हिंसा की आधारशिला रखी।

वर्ष 1967 से इज़राइल द्वारा छह-दिवसीय युद्ध में जब्त की गई भूमि, अरब-इज़राइल संघर्ष को समाप्त करने के प्रयासों के केंद्र में रही है। भले ही इज़राइल ने वर्ष 1982 में मिस्र को सिनाई प्रायद्वीप वापस लौटा दिया और वर्ष 2005 में गाज़ा से अपनी वापसी सुनिश्चित की, लेकिन गोलन हाइट्स और वेस्ट बैंक की स्थिति अभी भी अरब-इज़राइल शांति वार्ता में एक प्रमुख बाधा बनी हुई है।

निष्कर्ष:

हिंसात्मक संघर्ष का यह मुद्दा संयुक्त राष्ट्र के मंच पर कई अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों का केंद्र बिंदु रहा है। इसने आधुनिक विश्व को फिलिस्तीनियों के ऐतिहासिक अधिकारों, सुरक्षा और मानवाधिकारों से संबंधित मुद्दों के संदर्भ में दो वर्गों में विभाजित कर दिया है। जहाँ अरब जगत आमतौर पर फिलीस्तीनियों का समर्थन करता है, वहीं संयुक्त राज्य अमेरिका के नेतृत्व में पश्चिमी जगत ने हमेशा इस क्षेत्र में इज़राइल के दावों का समर्थन किया है। आधुनिक विश्व के इतिहास को आकार प्रदान करने वाला यह भू-राजनीतिक संघर्ष आज भी जारी है।