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  • 30 Jul 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहास

    भारतीय स्वतंत्रता संग्राम पर वैश्विक घटनाओं के प्रभावों का परीक्षण कीजिये। भारत की स्वतंत्रता ने अन्य देशों को कैसे प्रभावित किया? (250 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण

    • वैश्विक घटनाओं के भारतीय स्वतंत्रता संग्राम पर पड़ने वाले प्रभाव पर चर्चा के साथ उत्तर की शुरुआत कीजिये।

    • यह बताए कि इन घटनाओं ने किस प्रकार भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक निश्चित आकार दिया।

    • किस प्रकार भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और इसके आदर्शों ने अन्य देशों को अपनी स्वतंत्रता एवं अन्याय की लड़ाई लड़ने के लिये प्रेरित किया, इसकी चर्चा कीजिये।

    परिचय

    • भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को आधुनिक इतिहास का सबसे महत्त्वपूर्ण आंदोलन कहा जा सकता है।

    स्वरूप/ढाँचा

    प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) ने भारत के राष्ट्रीय आंदोलन को बहुत अधिक प्रभावित किया:

    • भारतीयों में आक्रोश: ब्रिटिश सरकार ने भारत को सहयोगी और जुझारू घोषित किया। इस युद्ध में भारतीय लोगों और संसाधनों का इस्तेमाल किया गया था। इसने भारतीयों में विशेष रूप से आक्रोश पैदा किया, खासकर जब युद्ध में शामिल होने से पहले उनसे सलाह भी नहीं ली गई थी।
    • मुसलमानों की व्यथा: अंग्रेज़ तुर्की साम्राज्य के खिलाफ युद्ध कर रहे थे, उस समय तुर्की पर खलीफा का शासन था। खलीफा का पद मुसलमानों के लिये बहुत सम्मानीय था। तुर्की की रक्षा के लिये भारतीय मुसलमानों ने अंग्रेज़ों के विरुद्ध खिलाफत आंदोलन में भाग लिया।
    • होम रूल मूवमेंट: वर्ष 1914 में एनी बेसेंट कांग्रेस में शामिल हुईं। वर्ष 1916 में उन्होंने बाल गंगाधर तिलक के साथ मिलकर होम रूल आंदोलन शुरू किया। होम रूल लीग में भारतीयों को स्वशासन देने की मांग की गई।

    द्वितीय विश्व युद्ध और राष्ट्रीय आंदोलन का प्रभा

    • विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद ब्रिटेन में सत्ता में आई लेबर पार्टी ने कांग्रेस पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया और भारत में चुनाव घोषित किये गए, जिससे शक्तिशाली भारतीय नेताओं के स्वतंत्रता संघर्ष में वापस आने का मार्ग प्रशस्त हुआ।
    • युद्ध के बाद ब्रिटेन आर्थिक रूप से कमज़ोर हो चुका था। वह खाद्य पदार्थों और कारखानों हेतु कच्चे माल के लिये दूसरे देशों पर निर्भर था। ऐसी गंभीर समस्याओं का सामना कर रहे अंग्रेज़ों के पास भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति के लिये उत्साही भारतीय जनता पर पकड़ बनाए रखने के लिये आवश्यक ऊर्जा और संसाधन नहीं थे।
    • अमेरिकी सरकार ने ब्रिटेन पर भारत को स्वतंत्रता देने के लिये दबाव डाला क्योंकि मित्र राष्ट्रों द्वारा स्वतंत्रता और लोकतंत्र की माँग पर विशेष रूप से ज़ोर दिया जा रहा था।
    • द्वितीय विश्वयुद्ध की समाप्ति के बाद ब्रिटेन संयुक्त राज्य अमेरिका के समर्थन में शीत युद्ध में शामिल हुआ। यदि ब्रिटेन ने भारत को स्वतंत्रता नहीं प्रदान की होती, तो रूस हमेशा मित्र राष्ट्रों द्वारा अपनाए गए पाखंड/आडंबर को उजागर करता।
      द्वितीय विश्व युद्ध के समापन के बाद दुनिया भर के लोगों में साम्राज्यवाद और युद्धों के प्रति घृणा उत्पन्न हुई। वे अधिकारों, समानता और मानवता के प्रति अत्यधिक जागरूक हुए। उनका मानना था कि भारत और अन्य उपनिवेशों को स्वतंत्रता देने से उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा और वहाँ की जनता का कल्याण होगा।
    • रूसी क्रांति का प्रभाव: मार्क्सवाद और समाजवाद जैसी नई विचारधाराओं ने कई समाजवादी एवं मार्क्सवादी समूहों को प्रेरित किया। उन्होंने किसानों और श्रमिकों को आकर्षित करके उन्हें राष्ट्रीय आंदोलन का एक अभिन्न अंग बनाया।

    भारत की स्वतंत्रता ने अन्य देशों को भी प्रभावित किया:

    • वर्ष 1947 में भारत की स्वतंत्रता ने राष्ट्रवादी आंदोलनों को प्रेरित किया और पूरे विश्व को विघटन एवं स्वतंत्रता का एक आर्दश मॉडल भी प्रदान किया। वर्ष 1950 तक लगभग सभी पुराने औपनिवेशिक आदेशों की शक्ति, इनकी ऐतिहासिक प्रासंगिकता एवं पकड़ कमज़ोर हो गई थी।
    • भारतीय स्वतंत्रता संग्राम ने विश्व के अन्य देशों के लिये स्वतंत्रता की मांग के एक उत्प्रेरक के रूप में कार्य किया। अंग्रेज़ों को न केवल अपने उपनिवेश गँवाने पड़े बल्कि स्वयं को एक शक्तिशाली राज्य से एक विनम्र द्वीप के रूप में भी परिवर्तित करना पड़ा।
    • भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का सबसे अधिक प्रभाव अफ्रीका में देखने को मिला। फ्राँस ने वर्ष 1960 में एकसाथ लगभग सभी अफ्रीकी उपनिवेशों को स्वतंत्रता प्रदान की; जबकि ब्रिटेन ने धीरे-धीरे वर्ष 1957 से 1965 (लीबिया वर्ष 1951, घाना वर्ष 1957, मोरक्को वर्ष 1956, नाइज़ीरिया वर्ष 1960) तक अपने उपनिवेशों को अपनी गुलामी से आज़ाद किया।
    • इसका प्रभाव दक्षिणी पूर्व के एशियाई देशों (म्याँमार वर्ष 1948, इंडोनेशिया वर्ष 1949) पर भी पड़ा।
    • भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की एक अहम् देन अहिंसावादी आदर्श रहे, जिन्होंने विश्व के बहुत से नेताओं को प्रेरित किया, इनमें मार्टिन लूथर किंग और नेल्सन मंडेला प्रमुख है।

    निष्कर्ष

    • भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में महात्मा गांधी के योगदान को शब्दों में नहीं मापा जा सकता है। अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के साथ मिलकर उन्होंने अंग्रेज़ों को भारत छोड़ने के लिये मजबूर किया। उनकी नीतियाँ और एजेंडा प्रकृति में अहिंसावादी थे। उनके शब्द न केवल उस समय लाखों लोगों के लिये प्रेरणा के स्रोत थे, बल्कि आज भी है।
    • भारतीय स्वतंत्रता संग्राम समस्त विश्व में शांतिपूर्ण स्वतंत्रता संघर्ष के लिये एक प्रकाशस्तंभ बन गया है। विश्व भर में इसे एक आदर्श की भाँति सम्मान दिया जाता है।
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