Be Mains Ready

आपदा रोधी बुनियादी ढाँचा आर्थिक वृद्धि एवं विकास का एक महत्त्वपूर्ण चालक है। व्याख्या कीजिये। (250 शब्द)

15 Jun 2019 | सामान्य अध्ययन पेपर 3 | आपदा प्रबंधन

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण :

  • संक्षेप में चर्चा कीजिये कि आपदा के संदर्भ में आपदा लचीला बुनियादी ढाँचे की आवश्यकता क्यों है।
  • चर्चा कीजिये कि यह आर्थिक-विकास और संवृद्धि को कैसे बढ़ाएगा।
  • भविष्योन्मुखी निष्कर्ष लिखियें।

उत्तर के लिये प्रमुख बिंदु:

परिचय:

  • बाढ़, भूकंप, आंधी और जलवायु परिवर्तन जैसी प्राकृतिक आपदाएँ - विकास के लिये जोखिम उत्पन्न करती हैं।
  • जब प्राकृतिक आपदा के दौरान बुनियादी ढाँचे के नष्ट हो जाने के कारण महत्त्वपूर्ण सेवाओं के बाधित होने के साथ ही आपदा प्रबंधन और पुनर्वास हेतु अधिक पूंजी की ज़रुरत होती है।
  • लचीले बुनियादी ढाँचे से तात्पर्य आपदा के समय कुशलता से प्रबंधन व पुनर्वास हेतु प्रणाली विकसित करने से है।
  • बुनियादी ढाँचे आपदा के अनुरूप लचीला बनाने में संरचनात्मक और गैर-संरचनात्मक उपाय शामिल हैं।
    • संरचनात्मक उपाय: आपदाओं के बाद किये जाने वाले कार्यों का उन प्रक्रियाओं पर बड़ा प्रभाव पड़ता है जो उदाहरण के लिये बाढ़ नियंत्रण प्रणाली, सुरक्षात्मक तटबंधों, समुद्री तट के पुनर्वास और इमारतों की रेट्रोफिटिंग के लिये होती हैं।
    • गैर-संरचनात्मक उपाय: आपदाओं के लिये आगे की योजना का उल्लेख करते हुए कई खतरों की भेद्यता को कम करने हेत लचीलापन में निवेश के निवेश को उजागर कीजिये।

ढाँचा:

  • आपदा और विकास में सह-संबंध:
    • आपदाएँ विकास कार्यक्रमों और विकास की पहलों में निवेश की गई पिछले कई वर्षों की मेहनत को नष्ट कर देती है।
    • अनियोजित विकास कार्यक्रम क्षेत्र की आपदाओं के लिये संवेदनशीलता में वृद्धि करते हैं।
    • आपदाएँ समाज के कमज़ोर वर्गों को सबसे ज़्यादा प्रभावित करती हैं जिससे उनकी समस्याओं में वृद्धि होती है और उनकी विकास प्रक्रिया में देरी होती है।
  • इस प्रकार विकास और आपदा रणनीतियों को एकीकृत करने की आवश्यकता है। (आपदा जोखिम को कम करना नियोजन प्रक्रिया का एक अभिन्न अंग होना चाहिये)।
  • इसके अलावा आपदा जोखिम में कमी के लिये संयुक्त राष्ट्र कार्यालय के अनुसार, आपदा रोधी बुनियादी ढाँचे में निवेश किये गए प्रत्येक $1 के बदले प्रतिक्रिया और पुनःप्राप्ति लागत में 7 डॉलर या उससे अधिक की बचत हो सकती है।
  • हालाँकि प्राकृतिक आपदाओं के लिये बुनियादी ढाँचे को लचीला बनाना एक कठिन चुनौती है:
    • कवरेज के विशाल क्षेत्र तथा जिसमें परिवहन, बिजली, पानी की आपूर्ति, स्वच्छता, इमारतें तथा अन्य संरचनाएँ शामिल हैं।
    • मौजूदा बुनियादी ढाँचे को आपदा को लचीला बनाने में भारी राजकोषीय लागत की आवश्यकता होगी।
    • इसलिये सरकार आपदा जोखिम में कमी हेतु सार्वजनिक व्यय के अलावा धन के वैकल्पिक साधनों पर विचार कर रही है।

आपदा अनुरूप लचीले बुनियादी ढाँचे में निवेश हेतु अन्य उपाए:

  • आपदा प्रभाव आकलन को पर्यावरण प्रभाव आकलन का अनिवार्य हिस्सा बनाया जाना चाहिये।
  • सरकार को बेहतर तैयारी और शमन उपायों के लिये भारत के एक आपदा एटलस को विकसित करने की आवश्यकता है।
  • सरकार द्वारा ऐसे लोगों को बीमा कवर प्रदान करने की आवश्यकता है जो आपदाओं के प्रति अधिक संवेदनशील है।
  • आपदा प्रबंधन दृष्टिकोण को पंचायती राज संस्थाओं और स्थानीय शहरी निकायों के स्तर पर अधिक विकेंद्रीकृत किया जाना चाहिये जैसा कि सेंदाई फ्रेमवर्क और 14वें वित्त आयोग द्वारा सुझाया गया है।

निष्कर्ष:

एक पुरानी कहावत है कि रोकथाम इलाज से बेहतर उपाय है इसलिये आपदा जोखिम को कम करने की दिशा में किया जाने वाला कोई भी निवेश भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास में सहयोग देगा।