भारत दुनिया का 10वाँ सबसे अधिक आपदाग्रस्त देश है। सरकार द्वारा आपदा से निपटने की तैयारियों और उसके प्रति प्रतिक्रिया दोनों में सुधार लाने हेतु किये गए उपायों के बारे में बताइए। (250 शब्द)
15 Jun 2019 | सामान्य अध्ययन पेपर 3 | आपदा प्रबंधन
दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
दृष्टिकोण
• भारत की आपदा सुभेद्यता के कारणों को संक्षेप में बताएँ।
• आपदा तैयारियों और प्रतिक्रिया के लिये सरकार द्वारा किये गए उपायों की सूची दीजिये।
• सरकारी उपायों से संबंधित चुनौयितों और मुद्दों का उल्लेख कीजिये।
• आगे की राह सुझाइये।
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आपदा जोखिम न्यूनीकरण संयुक्त राष्ट्र कार्यालय के अनुसार, भारत शीर्ष 10 आपदा प्रवण देशों में से एक है। भारत के 36 राज्यों मे से 27 आपदा प्रवण है।
भौगोलिक सुभेद्यता: देश की अधिकांश जनसंख्या तटीय, पर्वतीय तथा बाढ़ के मैदानी क्षेत्रों में निवास करती है जिस कारण सुनामी, भूकंप, सूखा तथा बाढ़ आदि आपदाओं के प्रति सुभेद्यता विद्यमान है।
आर्थिक सुभेद्यता: यू.एन.डी.पी. के अनुसार, देश में 271 मिलियन जनसंख्या गरीब है जो कि मूलभूत सुविधाओं के अभाव के कारण आपदाओं के दौरान अधिक प्रभावित होती है। इसके साथ ही आर्थिक असमानता भी आपदा प्रवणता में वृद्धि करती है।
सरकार द्वारा आपदा प्रबंधन हेतु तैयारी और प्रतिक्रिया के उपाय:
- राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के अंतर्गत स्तरीय ढाँचे की व्यवस्था की गई है।
- राष्ट्रीय स्तर पर संस्थागत ढाँचा: इसके अंतर्गत आपदा प्रबंधन का दायित्व केंद्रीय गृह मंत्रालय को सौंपा गया है। गृह मंत्रालय आपदा की स्थिति में राज्य सरकारों, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल आदि के मध्य समन्वय स्थापित करता है।
- आपदा पर राष्ट्रीय कार्यकारी समिति समन्वयकारी व निगरानी निकाय के रूप में कार्य करती है। इसकी अध्यक्षता केंद्रीय गृह सचिव द्वारा की जाती है। सुरक्षा मामलों पर मंत्रिमंडलीय समिति, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन समिति, राष्ट्रीय आपदा जोखिम-न्यूनीकरण मंच, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल आदि का गठन किया गया है।
- राज्य स्तर पर यह अधिनियम राज्य आपदा प्रबंधन तथा राज्य कार्यकारी समिति के गठन का प्रावधान करता है।
- ज़िला स्तर पर ज़िला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण तथा स्थानीय प्राधिकरणों के सहयोग से आपदा प्रबंधन योजनाओं का क्रियान्वयन किया जाता है।
- राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन नीति, 2009: इसे राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा आपदाओं की रोकथाम, कुशल शासन और अनुक्रिया हेतु रणनीति बनाने के लिये तैयार किया गया है।
- राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना, 2016: यह भारत की प्रथम आपदा प्रबंधन योजना है, इसका उद्देश्य आपदा से बहुआयामी तरीकों से निपटना है। यह योजना, सरकारी एंजेसियाें को आपदा प्रबंधन हेतु रूपरेखा प्रदान करती है।
आपदा प्रबंधन हेतु सरकार द्वारा किये गए प्रयास:
- चेतावनी प्रणालियों की स्थापना तथा उनका विस्तार करना।
- राष्ट्रीय आपदा मोचन बल व राज्य आपदा मोचन बल का गठन।
- राष्ट्रीय स्तर पर अनुक्रियाओं के समन्वयन के लिये नोडल मंत्रालयों का उत्तरदायित्व सुनिश्चित करना।
- राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत अनुक्रिया हेतु निम्नलिखित निधियों की व्यवस्था की गई है:
1. राष्ट्रीय आपदा अनुक्रिया निधि
2. राज्य आपदा अनुक्रिया निधि
3. राष्ट्रीय आपदा अनुक्रिया रिज़र्व
4. राष्ट्रीय आपदा शमन निधि
सरकार के समक्ष चुनौतियाँ व उपाय:
- राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 का अपूर्ण क्रियान्वयन, इसमें NGO, स्थानीय नागरिक समूहों, समुदायों की भूमिका का गौण होना तथा टॉप डाऊन अप्रोच का पालन किया जाना आदि शामिल है।
- CAG द्वारा 2013 की ऑडिट रिपोर्ट में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण में निम्नलिखित कमियों को उजागर किया गया है-
1. कोई भी परियोजना का पूर्ण न होना।
2. राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण में रिक्त पद।
आगे की राह
- पब्लिक/प्राइवेट साझेदारी द्वारा निवेश के वैकल्पिक संसाधनों को प्राप्त कर आपदाओं से निपटा जा सकता है।
- योजनाओं को आपदा प्रबंधन के अनुकूल बनाने की आवश्यकता है।
- स्थानीय निकायों व नागरिक समूहों का सहयोग लिया जा सकता है।