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चरम मौसमी घटनाओं के प्रबंधन में भारत के ज़ीरो कैजुअल्टी दृष्टिकोण ने इस तरह की घटनाओं से होने वाली जान-माल की क्षति को कम करने में प्रमुख भूमिका निभाई है। परीक्षण कीजिये।

27 Jul 2019 | सामान्य अध्ययन पेपर 3 | आपदा प्रबंधन

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण 

• चरम घटनाओं के प्रबंधन के लिये संक्षिप्त रूप से ज़ीरो कैजुअल्टी दृष्टिकोण की व्याख्या कीजिये।

• हाल की घटनाओं से उदाहरण देकर इस संबंध में उठाए गए कदमों का वर्णन कीजिये।

• निष्कर्ष दीजिये।

परिचय

भारत जलवायु परिस्थितियों और लंबे समुद्री तटों की मौजूदगी तथा मानसून की वज़ह से चरम मौसमी घटनाओं के लिये अत्यधिक संवेदनशील है। भारत के पूर्वी तट पर बंगाल की खाड़ी चक्रवातों के बनने के लिये अत्यधिक अनुकूल है। 

चक्रवात और इसके परिणामस्वरूप तूफान जैसी चरम घटनाओं से जन-धन के नुकसान को कम करने के लिये भारत ने ज़ीरो कैजुअल्टी दृष्टिकोण को अपनाया है। हाल ही में आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिये संयुक्त राष्ट्र के कार्यालय (UNDRR) ने ओडिशा में चक्रवात फणी से निपटने में इस दृष्टिकोण की सफलता की सराहना की।

स्वरूप/ढाँचा

भारत का शून्य दुर्घटना दृष्टिकोण चरम मौसम की घटनाओं के प्रबंधन में सफल रहा है क्योंकि:

  • प्रभावी शमन, तैयारियाँ, प्रतिक्रिया और पुनर्प्राप्ति प्रणाली जो आपदा जोखिम में कमी के लिये सेंदाई फ्रेमवर्क के दिशा-निर्देशों के अनुरूप हैं।
  • भारत मौसम विज्ञान विभाग (आई.एम.डी.) का अर्ली वार्निंग सिस्टम चक्रवात के निर्माण और इसके लैंडफॉल के समय की सही भविष्यवाणी, राज्य को आपदा के लिये तैयार रहने एवं जीवन तथा संपत्तियों के नुकसान को कम करने में सक्षम बनाता है।
    • ओडिशा में चक्रवात फणी के दौरान, आई.एम.डी. की पूर्व चेतावनी ने अधिकारियों को एक अच्छी तरह से लक्षित निकास योजना का संचालन करने में सक्षम बनाया, जिससे दस लाख से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाने में मदद मिली।
  • आपदा बचाव राहत ढाँचा जैसे कि चक्रवात शेल्टर और आपदा रैपिड एक्शन फोर्स की स्थापना बचाव अभियान चलाने और राहत के वितरण के लिये की गई थी। चक्रवात फैलिन (2013), हुदहुद (2014) और फणी (2019) के दौरान इन कदमों की प्रभावशीलता देखी गई थी।
  • स्पष्ट संचार योजना (क्या करें क्या न करें): चक्रवात फणी के ज़मीन से टकराने से पहले पहले 2.6 मिलियन टेक्स्ट मैसेज सरल भाषा में स्थानीय लोगों को भेजे गए थे, जिससे उन्हें सतर्क होने का मौका मिल गया था।
  • सरकारी एजेंसियों, स्थानीय सामुदायिक समूहों और स्वयंसेवक समूहों के बीच प्रभावी समन्वय।
  • राष्ट्रीय चक्रवात जोखिम शमन परियोजना (NCRMP) की प्रभावी भूमिका: चक्रवात फणी के दौरान NCRMP के तहत चक्रवात आश्रय स्थलों पर लाइटनिंग अरेस्टर्स की स्थापना से चक्रवात से जुड़ी आकाशीय बिजली से ‘शून्य मृत्यु’ को प्राप्त करने में मदद मिली।

निष्कर्ष

आपदा जोखिम न्यूनीकरण पर सेंडाई फ्रेमवर्क के अनुसार भारत ने अपनी आपदा में कमी की क्षमता को उन्नत किया है जिसे तीसरे संयुक्त राष्ट्र विश्व के दौरान अपनाया गया था, जिसे वर्ष 2015 जापान के सेंडाई में हुए तीसरे संयुक्त राष्ट्र विश्व आपदा जोखिम न्यूनीकरण पर सम्मेलन में अपनाया गया था। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA), जो भारत में आपदा प्रबंधन के लिये सर्वोच्च निकाय है, प्राकृतिक या मानव निर्मित आपदा के दौरान बेहतर शमन, तैयारी, प्रतिक्रिया और पुनर्प्राप्ति के लिये क्षमता निर्माण उपायों की दिशा में प्रभावी रूप से काम कर रहा है। 

फिर भी, एक सुरक्षित और आपदा रहित भारत का निर्माण करने के लिये इसे सभी हितधारकों के सक्रिय दृष्टिकोण की आवश्यकता है। सरकार द्वारा शुरू किये गए उपायों के साथ स्थानीय सार्वजनिक भागीदारी भी आवश्यक है। इसके लिये प्रभावी और समय पर जागरूकता कार्यक्रम चलने की ज़रूरत है। इसके अलावा चरम मौसम की घटनाओं का समय पर और प्रभावी पूर्वानुमान लगाने के लिये अग्रिम तकनीक जैसे जी.आई.एस., आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और उन्नत मौसम पूर्वानुमान प्रणाली को शामिल किया जाना चाहिये।