आपदाओं के प्रति प्रतिक्रियाशील नहीं बल्कि सक्रिय प्रतिक्रिया होनी चाहिये। चर्चा कीजिये। (250 शब्द)
27 Jul 2019 | सामान्य अध्ययन पेपर 3 | आपदा प्रबंधन
दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण
• आपदा के बारे में संक्षिप्त विवरण दीजिये।
• आपदा प्रबंधन से निपटने वाली पारंपरिक प्रतिक्रियाशील शैली की कमियों के बारे में बताइये।
• आपदा प्रबंधन से निपटने हेतु सक्रिय प्रतिक्रिया दृष्टिकोण के लाभों के बारे में बताइये।
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परिचय
- आपदा को एक समुदाय या समाज के प्रकार्यों में एक गंभीर व्यवधान के रूप में माना जाता है जिसमें व्यापक रूप से मानव, वस्तुओं, आर्थिक या पर्यावरणीय नुकसान और इन पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों को शामिल किया जाता हैं, जो प्रभावित समुदाय या समाज को स्वयं के संसाधनों का उपयोग करने की क्षमता को बाधित करती है।
- आपदाएँ प्रमुख रूप से प्राकृतिक या मानव निर्मित होती हैं, कुछ मामलों में यह दोनों के संयुक्त प्रभाव से उत्पन्न होती हैं।
- पारंपरिक प्रतिक्रियाशील आपदा प्रबंधन दृष्टिकोण आपदा के पश्चात् राहत और पुनर्वास पर केंद्रित होता है। वर्तमान में आपदा प्रबंधन के पारंपरिक दृष्टिकोण में बदलाव आया है। वर्तमान में आपदा प्रबंधन दृष्टिकोण व्यापक एवं एकीकृत हुआ है जो रोकथाम, शमन तथा तैयारी पर बल देता है।
- शमन, तैयारी, प्रतिक्रिया एवं रिकवरी आपदा के चार चरण हैं।
स्वरूप/ढाँचा
आपदा प्रबंधन दृष्टिकोण के लिये प्रतिक्रियाशील दृष्टिकोण के प्रमुख नुकसान इस प्रकार हैं:
- जन-धन का अधिक नुकसान: प्रतिक्रियात्मक दृष्टिकोण में राहत और तत्काल पुनर्वास पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। आपदा निवारण में कमी लाने वाली नीतियाँ उपेक्षित रह जाती हैं। इस तरह के दृष्टिकोण से जन-धन की अधिक हानि होती है।
- विभिन्न प्रकार की आपदाओं के लिये अनुकूल दृष्टिकोण का न होना: विभिन्न प्रकार की आपदाओं के लिये प्रतिक्रिया के उपाय भिन्न हो सकते हैं, जो आपदाओं के लिये प्रतिक्रियाशील दृष्टिकोण में संभव नहीं है। प्रतिक्रियात्मक दृष्टिकोण में सभी प्रकार की आपदाओं के लिये एक ही प्रकार का दृष्टिकोण अपनाया जाता है।
- प्रतिक्रियाशील दृष्टिकोण में त्वरित चेतावनी प्रणाली का अभाव आपदा की प्रतिक्रिया में देरी का कारण बनता है। ऐसे में प्रख्यात संस्थानों के माध्यम से समय पर और विश्वसनीय जानकारी मिलने से समुदाय एवं सरकारी मशीनरी को जोखिम कम करने तथा खतरे का सामना करने के लिये तैयार रहने की सुविधा होती है।
सक्रिय दृष्टिकोण के लाभ
- जीवन की रक्षा करना: सांख्यिकीय साक्ष्य बताते हैं कि आपदा की रोकथाम कई विकसित और विकासशील देशों में आपदाओं से होने वाली जनधन की क्षति को कम करने में मदद करती है।
- अवसंरचना और आजीविका की सुरक्षा: आपदा प्रबंधन दृष्टिकोण के माध्यम से आपदाओं से होने वाली संपत्ति की क्षति की रोकथाम, उसमें कमी और शमन पर बल दिया जाता है।
- पर्यावरण की रक्षा: कुछ मामलों में बढ़ा हुआ आपदा लचीलापन (पुनः अपनी मूल अवस्था में लौट आना) भी प्राकृतिक पर्यावरण को बचाने और संरक्षित करने में मदद करता है।
निष्कर्ष:
मुसीबत या आपदा अचानक नहीं आती, इसका एक जीवन चक्र होता है, जो इसके लिये उत्तरदायी कारकों के आधार पर विकसित होने में दिनों, महीनों या दशकों का समय ले सकता है। इसलिये आपदा की जाँच करने की आवश्यकता है क्योंकि इससे संकट का अनुमान जा सकता है तथा इसे काफी हद तक रोका या कम किया जा सकता है।
बिल्डिंग कोड और ज़ोनिंग नियमों के बेहतर प्रवर्तन, ड्रेनेज सिस्टम का उचित रखरखाव, खतरों का जोखिम कम करने के लिये बेहतर जागरूकता और सार्वजनिक शिक्षा आदि जैसे उपायों के माध्यम से भी संकट को कम किया जा सकता है।
आपदा जोखिम न्यूनीकरण पर सेंडाई फ्रेमवर्क के अनुसार भारत ने अपनी आपदा में कमी की क्षमता को उन्नत किया है जिसे तीसरे संयुक्त राष्ट्र विश्व के दौरान अपनाया गया था, जिसे वर्ष 2015 जापान के सेंडाई में हुए तीसरे संयुक्त राष्ट्र विश्व आपदा जोखिम न्यूनीकरण पर सम्मेलन में अपनाया गया था।