एक वैश्विक समुदाय के रूप में रोगाणुरोधी प्रतिरोध हमारे समक्ष उत्पन्न होने वाले सबसे बड़े खतरों में से एक है। रोगाणुरोधी प्रतिरोध क्या है? चर्चा कीजिये कि दवा प्रतिरोधी रोगों की समस्या को कम करने के लिये क्या कदम उठाए जा सकते हैं? (250 शब्द)
26 Jul 2019 | सामान्य अध्ययन पेपर 3 | विज्ञान-प्रौद्योगिकीहल करने का दृष्टिकोण
रोगाणुरोधी प्रतिरोध (Antimicrobial Resistance-AMR) का तात्पर्य किसी भी सूक्ष्मजीव (बैक्टीरिया, वायरस, कवक, परजीवी, आदि) द्वारा एंटीमाइक्रोबियल दवाओं (जैसे एंटीबायोटिक्स, एंटीफंगल, एंटीवायरल, एंटीमाइरियल और एंटीहेलमिंटिक्स) जिनका उपयोग संक्रमण के इलाज के लिये किया जाता है, के खिलाफ प्रतिरोध हासिल कर लेने से है। वर्तमान में AMR वैश्विक स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा और विकास के समक्ष सबसे बड़े खतरों में से एक है।
ऐसे सूक्ष्मजीव जो रोगाणुरोधी प्रतिरोध विकसित करते हैं, ‘सुपरबग्स’ कहलाते हैं। AMR के कारण संक्रमण के मामलों में बढ़ोत्तरी होती है- जैसे कि निमोनिया, तपेदिक, सूजाक और साल्मोनेलोसिस आदि। इन बीमारियों का इलाज करना कठिन होता जा रहा है क्योंकि AMR के कारण इनके उपचार में इस्तेमाल की जाने वाली दवाएँ कम प्रभावी हो जाती हैं।
सुपरबग के विकास तथा AMR के प्रसार के कारण
मनुष्यों में एंटीबायोटिक का उपभोग: एंटीबायोटिक निश्चित खुराक/फिक्स्ड-डोज़ संयोजनों के अनावश्यक और हानिकारक उपयोग से कई एंटीबायोटिक दवाओं के प्रतिरोधी बैक्टीरिया के उपभेद हो सकते हैं।
भारत में AMR
रोगाणुरोधी प्रतिरोध के प्रसार को कम करने के लिये उठाए जा सकने वाले कदम:
भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदम:
AMR प्रतिरोध 2017-2021 पर राष्ट्रीय कार्य योजना तैयार की गई है:
निष्कर्ष
विश्व में जिस तरह से रोगाणुरोधी दवाओं की सलाह दी जाती है या इसका उपयोग किया जाता है उसमें तत्काल परिवर्तन किये जाने की आवश्यकता है। स्थिति यह है कि यदि नई दवाएँ विकसित भी की जाती हैं तो व्यवहार में बदलाव के बिना रोगाणुरोधी प्रतिरोध एक बड़ा खतरा बना रहेगा। व्यवहार परिवर्तन में संक्रमण के प्रसार को कम करने के लिये टीकाकरण, हाथ धोने, सुरक्षित यौन संबंध और स्वच्छ भोजन आदि को शामिल किया जाना चाहिये।