नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

Be Mains Ready

  • 26 Jul 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 3 विज्ञान-प्रौद्योगिकी

    एक वैश्विक समुदाय के रूप में रोगाणुरोधी प्रतिरोध हमारे समक्ष उत्पन्न होने वाले सबसे बड़े खतरों में से एक है। रोगाणुरोधी प्रतिरोध क्या है? चर्चा कीजिये कि दवा प्रतिरोधी रोगों की समस्या को कम करने के लिये क्या कदम उठाए जा सकते हैं? (250 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण

    रोगाणुरोधी प्रतिरोध (Antimicrobial Resistance-AMR) का तात्पर्य किसी भी सूक्ष्मजीव (बैक्टीरिया, वायरस, कवक, परजीवी, आदि) द्वारा एंटीमाइक्रोबियल दवाओं (जैसे एंटीबायोटिक्स, एंटीफंगल, एंटीवायरल, एंटीमाइरियल और एंटीहेलमिंटिक्स) जिनका उपयोग संक्रमण के इलाज के लिये किया जाता है, के खिलाफ प्रतिरोध हासिल कर लेने से है। वर्तमान में AMR वैश्विक स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा और विकास के समक्ष सबसे बड़े खतरों में से एक है।

    ऐसे सूक्ष्मजीव जो रोगाणुरोधी प्रतिरोध विकसित करते हैं, ‘सुपरबग्स’ कहलाते हैं। AMR के कारण संक्रमण के मामलों में बढ़ोत्तरी होती है- जैसे कि निमोनिया, तपेदिक, सूजाक और साल्मोनेलोसिस आदि। इन बीमारियों का इलाज करना कठिन होता जा रहा है क्योंकि AMR के कारण इनके उपचार में इस्तेमाल की जाने वाली दवाएँ कम प्रभावी हो जाती हैं।

    सुपरबग के विकास तथा AMR के प्रसार के कारण

    मनुष्यों में एंटीबायोटिक का उपभोग: एंटीबायोटिक निश्चित खुराक/फिक्स्ड-डोज़ संयोजनों के अनावश्यक और हानिकारक उपयोग से कई एंटीबायोटिक दवाओं के प्रतिरोधी बैक्टीरिया के उपभेद हो सकते हैं।

    • सामाजिक कारक: स्वयं ही दवा लेना, चिकित्सक के परामर्श के बिना ही रोगाणुरोधी दवाओं तक पहुँच और इन दवाओं के उपयोग के संबंध में जानकारी की कमी।
    • सांस्कृतिक गतिविधियाँ: धार्मिक अवसरों के एक भाग के रूप में नदियों में सामूहिक स्नान।
    • भोजन के रूप में उपयोग किये जाने वाले जीवों में एंटीबायोटिक का प्रयोग: मानव स्वास्थ्य के लिये महत्त्वपूर्ण एंटीबायोटिक दवाओं का आम तौर पर पोल्ट्री में वृद्धि के लिये प्रयोग किया जाता है।
    • फार्मास्युटिकल उद्योग प्रदूषण: दवा निर्माण इकाइयों से निकलने वाले अपशिष्ट जल में काफी मात्रा में रोगाणुरोधी दवाएँ मौजूद होती हैं, जो नदियों और झीलों के संदूषण का कारण बनती हैं।
    • परिवेशी स्वच्छता: सीवेज जल का उपचार किये बिना ही निस्तारण किये जाने से नदियाँ संदूषित होती हैं क्योंकि अनुपचारित जल में एंटीबायोटिक अवशिष्ट और रोगाणुरोधी जीव मौजूद होते हैं।

    भारत में AMR

    • भारत सहित विकासशील देशों में AMR चिंता का विषय है, जहाँ संक्रामक बीमारियों का बोझ अधिक और स्वास्थ्य देखभाल पर होने वाला खर्च कम (GDP का केवल 1.3%) है।
    • भारत बैक्टीरिया के संक्रमण के उच्चतम मामलों वाले देशों में से एक है, अतः भारतीय स्थानों के AMR के अधिक प्रभावी होने की संभावना है।
    • राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति, 2017 में रोगाणुरोधी प्रतिरोध की समस्या पर प्रकाश डाला गया है और इसे संबोधित करने के लिये प्रभावी कार्रवाई का आह्वान भी किया गया है।

    रोगाणुरोधी प्रतिरोध के प्रसार को कम करने के लिये उठाए जा सकने वाले कदम:

    Combat Antimicrobial Resistance

    भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदम:

    AMR प्रतिरोध 2017-2021 पर राष्ट्रीय कार्य योजना तैयार की गई है:

    • टीबी/तपेदिक, वेक्टर-जनित रोगों, एड्स आदि पर निर्मित कार्यक्रमों में रोगाणुओं में दवा के खिलाफ प्रतिरोध के उद्भव की निगरानी शुरू की गई है।
    • मार्च 2014 से देश में रोगाणुरोधी की बिक्री को विनियमित करने के लिये औषध एवं प्रसाधन नियमों में एक अलग अनुसूची H-1 को शामिल किया गया है।
    • भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने मत्स्य पालन में एंटीबायोटिक दवाओं और कई अन्य औषधीय रूप से सक्रिय पदार्थों के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है।
    • सरकार ने दवाओं के अधिकतम स्तर को निश्चित कर दिया है जिनका इस्तेमाल मांस और मांस उत्पादों में वृद्धि को बढ़ावा देने के लिये किया जा सकता है।

    निष्कर्ष

    विश्व में जिस तरह से रोगाणुरोधी दवाओं की सलाह दी जाती है या इसका उपयोग किया जाता है उसमें तत्काल परिवर्तन किये जाने की आवश्यकता है। स्थिति यह है कि यदि नई दवाएँ विकसित भी की जाती हैं तो व्यवहार में बदलाव के बिना रोगाणुरोधी प्रतिरोध एक बड़ा खतरा बना रहेगा। व्यवहार परिवर्तन में संक्रमण के प्रसार को कम करने के लिये टीकाकरण, हाथ धोने, सुरक्षित यौन संबंध और स्वच्छ भोजन आदि को शामिल किया जाना चाहिये।

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow