सशक्त भारत-जापान संबंध एशिया-प्रशांत में शांति स्थापित करने के लिये बहुत महत्त्वपूर्ण है। चर्चा कीजिये। (250 शब्द)
20 Jul 2019 | सामान्य अध्ययन पेपर 2 | अंतर्राष्ट्रीय संबंध
दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण
• भारत-जापान संबंधों की वर्तमान स्थिति के बारे में लिखिये, साथ ही दोनों पक्षों के बीच सहयोग को बढ़ाने की आवश्यकता को भी बताइए।
• दोनों देशों के बीच चिंता के कुछ क्षेत्रों और भारत-प्रशांत के लिये इसके निहितार्थ बताइए।
• संबंधों में सुधार हेतु भविष्य की कार्रवाई के लिये सुझाव देते हुए निष्कर्ष लिखिये।
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परिचय
भारत और जापान के संबंध हमेशा से मधुर रहे हैं। वर्ष 2014 से जापान, भारत का विशेष रणनीतिक वैश्विक सहयोगी है। जापान हिंद महासागर के माध्यम से आयात और निर्यात दोनों पर अत्यधिक निर्भर है। जहाँ एक ओर हिंद-प्रशांत एक संपर्क मार्ग के रूप में परिभाषित क्षेत्र है, वहीं यह सशक्त प्रतियोगिताओं और संघर्ष के क्षेत्र के रूप में भी बहुत महत्त्वपूर्ण है। दक्षिण चीन सागर में चीन की कार्रवाई, यहाँ तक कि पूर्वी चीन सागर पर अपना दावा करते हुए हिंद महासागर में नौसैनिक ठिकानें विकसित करने के इसके प्रयास जापान को भारत की ओर उन्मुख होने पर विवश करते हैं। इस प्रकार चीन का उदय भारत और जापान के बीच घनिष्ठ सहयोग हेतु एक प्रमुख प्रेरणा के रूप में कार्य करता है।
स्वरूप/ढाँचा
भारत-जापान संबंधों के प्रमुख बिंदु:
- भू-राजनीतिक: भारत, जापान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया क्वाड (QUAD) समूह के सदस्य हैं। यह समूह हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की विस्तारवादी नीति के प्रत्युत्तर में बनाया गया है।
- भारत और जापान, चीन की बेल्ट एंड रोड पहल के विकल्प के रूप में अफ्रीका ग्रोथ कॉरिडोर कार्यक्रम पर संयुक्त रूप से कार्य कर रहे हैं।
- रक्षा: दोनों देश रक्षा के क्षेत्र में संयुक्त सैन्य अभ्यासों (सेना: धर्म गार्जियन, नौसेना: मालाबार, वायु सेना: शिनयू मैत्री-18) के माध्यम से सहयोग कर रहे हैं।
- भारत जापान के साथ ‘US-2 एम्फीबियस एयरक्राफ्ट' की खरीद में संलग्न है जो भारत की ‘मेक इन इंडिया’ पहल को बढ़ावा देगा।
- आर्थिक हित: जापान भारत की तेज़ी से विकसित होती अर्थव्यवस्था में भारी मात्रा में निवेश कर रहा है।
- यह भारत में मॉरीशस और सिंगापुर के बाद एफ.डी.आई. द्वारा निवेश (वर्ष 2000 से जून 2018 के बीच 28.160 बिलियन डॉलर) करने वाला तीसरा सबसे बड़ा देश है।
- मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना भी जापानी निवेश के सहयोग से बन रही है। इस संबंध में जापान 5,500 करोड़ रुपए की पहली किश्त भी भारत को सौंप चुका है।
- नागरिक परमाणु सहयोग: दोनों देश 'भारत-जापान सिविल न्यूक्लियर डील 2016' द्वारा नागरिक परमाणु सहयोग के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं।
- इस प्रकार उपरोक्त तथ्यों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि दोनों देशों के संबंध भारत की एक्ट ईस्ट नीति और जापान के ‘फ्री एंड ओपन इंडो-पैसिफिक विज़न' के अनुरूप हैं।
- हालाँकि दोनों देशों के बीच संबंधों में निम्नलिखित चिंताजनक बिंदु भी निहित हैं:
- व्यापार: वर्तमान समय में दोनों देशों के मध्य मात्र 15 बिलियन डॉलर का व्यापार है, जबकि जापान और चीन के मध्य 300 बिलियन डॉलर व्यापार होता है। दोनों देशों के मध्य व्यापार को बढ़ावा देने हेतु गंभीर रूप से विचार किया जाना चाहिये।
- चीन को प्रतिसंतुलित करने पर ध्यान केंद्रित करना: दोनों देशों के चीन के साथ सीमाई तथा आधिपत्य संबंधी विवाद है। ऐसे में दोनों देशों के संबंध मुख्य रूप से चीन को प्रतिसंतुलित करने पर केंद्रित हैं, जबकि इन्हें बहुआयामी व वैश्विक परिदृश्य पर आधारित होना चाहिये।
- सुरक्षा संबंध: सुरक्षा के मामले में भारत-जापान संबंध अपनी क्षमता से बहुत कमतर हैं और जापान अपनी सुरक्षा व्यवस्था में भारत को अधिक महत्त्व प्रदान नहीं करता है।
- जापान ने भारत को न तो सैन्य मशीनरी का प्रस्ताव दिया है और न ही प्रौद्योगिकी का। इतना ही नहीं चीन के संबंध में भी दोनों देशों की धारणाओं में अंतर है।
- इस प्रकार दोनों देशों के मध्य सहयोग बढ़ाने की बेहद आवश्यकता है।
निष्कर्ष:
भारत-जापान संबंधों की गहराई का अंदाज़ा भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के इस बयान से लगाया जा सकता है- “भारत-जापान का रिश्ता केवल बाज़ार तक ही सीमित नहीं है, हमें एक-दूसरे के हृदय में जगह बनानी चाहिये, यह मानवता का सबसे बड़ा हित है। इसलिये भारत-जापान के बीच रणनीतिक साझेदारी में वैश्विक नीतियाँ शामिल है।”
वर्तमान परिदृश्य में भारत-जापान सहयोग हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिये और भी अधिक प्रासंगिक हो गए है। ऐसे में दोनों देशों के बीच मज़बूत संबंध निकट भविष्य में क्षेत्रीय स्थिरता, संवृद्धि और विकास को सुनिश्चित करने में अहम् भूमिका निभा सकते है।