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क्या मोटापे और कुपोषण दोनों की समस्या से ग्रस्त है। कुपोषण के इस दोहरे बोझ को हल करने में भारत द्वारा उठाए गए कदमों का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिये। (250 शब्दों)

19 Jul 2019 | सामान्य अध्ययन पेपर 2 | सामाजिक न्याय

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण:

कुपोषण के कारण होने वाली मृत्यु की कुछ घटनाओं और मोटापे से संबंधित कुछ आँकड़ों या कल्याणकारी सहायता प्रदान करने के राज्य के संवैधानिक दायित्व का संक्षेप में उल्लेख कीजिये।

संक्षेप में दोहरे बोझ से संबंधित समस्या की व्याख्या कीजिये।

समस्या के कारण बताइए।

समालोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये।

कुछ उपचारात्मक उपाय सुझाइए।

संबंधित सरकारी योजनाओं का उल्लेख कीजिये।

किसी डेटा या सर्वेक्षण रिपोर्ट का उल्लेख कीजिये।

भविष्य की कार्रवाई के लिये आगे की राह बताइए।

परिचय:

  • अमेरिका को पीछे कर भारत सर्वाधिक मोटे बच्चों की संख्या के मामले में दूसरे स्थान पर पहुँच गया है। वहीं दूसरी ओर झारखंड में भुखमरी के कारण संतोषी नाम की एक 11 साल की लड़की की मौत हो गई जो भारत की पोषण स्थिति की गंभीर वास्तविकता पर प्रकाश डालता है।
  • कुपोषण के दोहरे बोझ के अंतर्गत अल्पपोषण के साथ-साथ अधिक वज़न और मोटापा शामिल होता है। इसके कारण व्यक्ति, परिवार और आबादी का एक विशाल हिस्सा जीवन भर आहार-आधारित गैर-संचारी रोगों से ग्रसित रहता है।

कुपोषण के कारण :

Malnutration

समालोचनात्मक मूल्यांकन :

  • राष्ट्रीय पोषण नीति 1993, राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति, 2002 तथा बच्चों के लिये राष्ट्रीय नीति, 2013 जैसी नीतियाँ प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष हस्तक्षेप के माध्यम से तात्कालिक एवं अंतर्निहित कुपोषण के निर्धारकों को संबोधित करने के लिये एक मज़बूत आधार प्रदान करती है। लेकिन राष्ट्रीय पोषण नीति, 1993 के महत्त्वपूर्ण प्रावधान कभी नहीं लागू किये गए।
  • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 बच्चों, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं को प्रसूति सहायता के साथ भोजन एवं पोषण के अधिकार को अनिवार्य बनाता है। यह अत्यधिक सुभेद्य बच्चों और महिलाओं के भोजन एवं पोषण संबंधी अधिकारों की रक्षा करने तथा उन्हें बढ़ावा देने के लिये एक मज़बूत नीतिगत ढाँचा प्रदान करता है। लेकिन यह ज़्यादातर लोगों के दमित वर्ग पर ध्यान केंद्रित करता है।India malnutrition
  • पोषण अभियान तकनीक, लक्षित दृष्टिकोण और अभिसरण के माध्यम से बच्चों, किशोरों, गर्भवती महिलाओं एवं स्तनपान कराने वाली माताओं के लिये पोषण संबंधी परिणामों में सुधार करने हेतु भारत का एक फ्लैगशिप कार्यक्रम है। आँगनवाड़ी केंद्र इस अभियान से संबंधित सुविधाओं के वितरण के लिये केंद्र बिंदु हैं, लेकिन ऐसे केंद्रों में मूलभूत और अवसंरचना संबंधी सुविधाओं का अभाव रहता है।
  • भारत सरकार के न्यूनतम साझा आवश्यकता कार्यक्रम के तहत, राज्य में गरीब परिवारों को वितरण प्रणाली के माध्यम से रियायती दर पर खाद्यान्न उपलब्ध कराया गया। पी.डी.एस. के माध्यम से रियायती दर पर केवल चावल और गेंहू की उपलब्धता ने गरीब लोगों के उपभोग प्रतिरूप को प्रतिकूल रूप से प्रभावित किया है।
  • एममानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा विद्यालय जाने वाले बच्चों को पोषण सहायता प्रदान करने के लिये मध्याह्न भोजन योजना शुरू की गई जिसके अंतर्गत 200 दिनों के लिये 300 कैलोरी और 8-12 ग्राम प्रोटीनयुक्त आहार बच्चों को प्रदान किया जाता है। हालाँकि यह योजना एक अच्छा प्रयास था लेकिन केवल 200 दिनों के लिये व दिन में एक बार भोजन उपलब्ध कराने संबंधी प्रावधान का पुनर्मूल्यांकन किया जाना चाहिये।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में पोषण पुनर्वास केंद्र, ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता और पोषण समिति की स्थापना की गई है। लेकिन यहाँ कार्य करने वाले श्रमबल में कुशलता की कमी और संसाधनों के अभाव के कारण वांछित लक्ष्य की प्राप्ति नहीं हो पाती है।
  • जी.एन.आर. 2018 के अनुसार, भारत मीठे पेय पदार्थों पर शुल्क लगाने वाले 59 देशों में से एक बन गया है। वर्ष 2017 में शीतल पेय पर वस्तु एवं सेवा कर 32% से बढ़ाकर 40% कर दिया गया।
  • ईट राइट इंडिया अभियान में नमक, चीनी, वसा के दैनिक सेवन को कम करने एवं आहार से ट्रांस-वसा को समाप्त करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
  • FSSAI द्वारा आई.सी.डी.एस., पी.डी.एस. जैसी सरकारी योजनाओं के माध्यम से पोषक तत्त्वों की कमी को दूर करने हेतु सूक्ष्म पोषक तत्त्वों की मात्रा में वृद्धि के लिये फ़ूड फोर्टिफिकेशन को बढ़ावा दिया जा रहा है, लेकिन अभी भी इस तरह के उपायों का दायरा अत्यंत संकीर्ण है।

उपचारात्मक उपाय :

  • विभिन्न मंत्रालयों के बीच बेहतर समन्वय सुनिश्चित करना।
  • स्टंटिंग और मोटापे पर डेटा संग्रहण में सुधार करना।
  • कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में पंचायतों की भूमिका को मज़बूत करना।
  • कल्याणकारी योजनाओं की वितरण प्रणाली को अधिक जवाबदेह बनाना।
  • सार्वजनिक वितरण प्रणाली में विविधता लाना।
  • भोजन के स्थायी स्रोतों के रूप में विद्यमान वनों को पुनर्जीवित और सुरक्षित करना।
  • प्राथमिक देखभाल केंद्रों पर अधिक वज़न वाले और मोटे बच्चों के लिये नैदानिक परामर्श की सुविधा प्रदान करना।

वेल्थ हंगर हिल्फ़ और कंसर्न वर्ल्डवाइड द्वारा संयुक्त रूप से प्रकाशित ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2018 में भारत की पोषण स्थिति को "गंभीर" श्रेणी में रखा गया है। विश्व के 119 देशों में से भारत 103 वें स्थान पर है।

आगे की राह :

कुपोषण का यह दोहरा बोझ कुपोषण के सभी रूपों पर एकीकृत कार्रवाई के लिये एक अनूठा और महत्त्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है। कुपोषण के दोहरे बोझ को दूर करके ही सतत् विकास लक्ष्यों (विशेष रूप से लक्ष्य संख्या 2 और लक्ष्य संख्या 3.4) और पोषण पर रोम घोषणा की प्रतिबद्धताओं को पोषण पर कार्रवाई के लिये संयुक्त राष्ट्र दशक के अंतर्गत प्राप्त किया जा सकता है।