Be Mains Ready

पीएम-किसान (PM-KISAN) योजना का उद्देश्य ग्रामीण उपभोग को बढ़ावा देना और गरीब किसानों को संकट से उबरने में मदद करना है। इस संदर्भ में पीएम-किसान योजना की चुनौतियों का परीक्षण कीजिये। (250 शब्दों)

19 Jul 2019 | सामान्य अध्ययन पेपर 2 | राजव्यवस्था

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण :

• कृषि संकट की स्थिति और PM-KISAN जैसी योजनाओं की आवश्यकता का उल्लेख करते हुए परिचय दीजिये।

• PM-KISAN का विवरण दीजिये और बताइए कि यह कैसे किसानों की स्थिति में सहायता करेगा?

• PM-KISAN को रोल आउट करने में चुनौतियों का उल्लेख करें।

• इसकी कार्यप्रणाली में सुधार के लिये सुझाव देते हुए निष्कर्ष लिखिये।

परिचय:

भारतीय किसानों को उनके जीवन-स्थिति में सुधार के लिये बिक्री-संकट और वित्तीय सहायता की कमी का निरंतर सामना करना पड़ रहा है। वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने के सरकार के लक्ष्य के बावजूद, उत्पादकता और उनकी आय में कोई महत्त्वपूर्ण लाभकारी परिवर्तन नहीं हुआ है।

स्वरूप/ढाँचा

  • प्रधान मंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN) की घोषणा बजट 2019 में तेलंगाना की रायथु बंधु योजना और ओडिशा की आजीविका और आय संवर्द्धन के लिये कृषक सहायता (KALIA) जैसी पहले से मौजूद राज्य स्तरीय योजनाओं की तर्ज पर किसानों को प्रत्यक्ष आय सहायता के रूप में की गई।
  • इसका उद्देश्य प्रति वर्ष 6000 रुपए की प्रत्यक्ष आय सहायता प्रदान करना है। प्रारंभ में इसे केवल 2 हेक्टेयर तक की खेती योग्य भूमि वाले छोटे और सीमांत किसानों को सहायता प्रदान करने के लिये लॉन्च किया गया था, लेकिन अब इसे सभी किसानों को कवर करने के लिये विस्तारित कर दिया गया है।
  • प्रत्यक्ष आय सहायता किसानों की ऋण संबंधी बाधाओं को दूर करने और बीज, कृषि औजार, पशुधन आदि जैसे कृषि आदानों को खरीदने में एक महत्त्वपूर्ण साधन के रूप में मदद करेगी।
  • इस योजना का उद्देश्य उत्पादक निवेश तथा बाज़ारों तक पहुँच को बढ़ाना और स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं को प्रोत्साहित करना है।

हालाँकि योजना से संबंधित निम्नलिखित संभावित चुनौतियाँ और चिंताएँ भी हैं:

  • अपर्याप्त आय सहायता: कृषि में बढ़ती आगत लागतों को देखते हुये महज़ 500 रुपए प्रति माह की अतिरिक्त सहायता से किसानों को कोई महत्त्वपूर्ण लाभ नहीं होगा।
    • इसलिये पीएम-किसान योजना जैसे कल्याणकारी उपाय केवल वित्तीय सहायता के माध्यम से किसानों को उनकी दैनिक मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये पर्याप्त क्रय शक्ति प्रदान करते हैं।
  • मूल्य अस्थिरता: विभिन्न क्षेत्रों में अस्थिर बाज़ार और मूल्यों में उतार-चढ़ाव को देखते हुए, यह आवश्यक है कि स्थानीय मुद्रास्फीति को नकद हस्तांतरण के साथ सूचीबद्ध किया जाए।
  • शिकायत निवारण: यह योजना नकद हस्तांतरण और प्रभावी शिकायत निवारण के लिये कोई स्पष्ट रुपरेखा प्रदान नहीं करती है। उदाहरण के लिये, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना में राज्य सरकारें अभी भी शिकायतों को सुलझाने और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिये संघर्ष करती हैं।
  • लक्षित वितरण में विफलता: मध्यम और बड़े किसान तो इस योजना के लाभ के हकदार हैं लेकिन जोतदारों एवं बंटाईदारों, जिनको आय समर्थन की सर्वाधिक आवश्यकता है, को इस योजना का हिस्सा नहीं बनाया गया है।
  • अंततः नकद हस्तांतरण न तो कृषि में आवश्यक संरचनात्मक सुधारों का विकल्प है और न ही यह किसानों को फसल संबंधी अनिश्चितता और जोखिम के लिये पर्याप्त रूप से क्षतिपूर्ति प्रदान करता है।

निष्कर्ष:

पीएम-किसान एक महत्त्वाकांक्षी योजना है जिसमें महत्त्वपूर्ण कल्याणकारी परिणाम देने की क्षमता है। हालाँकि सरकार का मौजूदा अधोगामी दृष्टिकोण (टॉप-डाउन एप्रोच) शासन संबंधी बाधाओं की उपेक्षा करता है जिसके कारण इस प्रकार की योजनाएँ विफल हो जाती हैं।

एक वैकल्पिक बॉटम-अप रणनीति और सुनियोजित क्रियान्वयन तंत्र स्थानीय स्तर पर कमज़ोरियों को पहचानने एवं सुधारने में मददगार साबित होगा। साथ ही किसानों को लाभ पहुँचाने के लिये राष्ट्रीय स्तर पर सर्वाधिक प्रभावशाली साधनों को संभव बनाएगा।