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डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा के मुद्दे पर डॉक्टरों द्वारा राष्ट्रव्यापी हड़ताल कहीं न कहीं स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में अपर्याप्तताओं की गहरी अस्वस्थता को दर्शाता है। टिप्पणी कीजिये।

18 Jul 2019 | सामान्य अध्ययन पेपर 2 | सामाजिक न्याय

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण :

• हाल ही में हुए कुछ घटनाओं की चर्चा कीजिये।

• स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में मौजूद चुनौतियाँ बताइये।

• समाधान या उपचारात्मक उपाय सुझाए।

• किसी डेटा या सर्वेक्षण रिपोर्ट का उल्लेख कीजिये।

• भविष्य की कार्रवाई के संदर्भ में प्रकाश डालिये।

परिचय:

  • डॉक्टरों की देशव्यापी हड़ताल, जो पश्चिम बंगाल में एक स्थानीय डॉक्टर पर हुए क्रूर हमले के विरोध में शुरू हुई, स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में प्रणालीगत समस्याओं की तरफ इशारा करती है।
  • महँगा और वहन न कर सकने योग्य उपचार, खराब बुनियादी ढाँचा, चिकित्सकों पर अत्यधिक भार और डॉक्टर-मरीज़ का अपर्याप्त अनुपात रोगियों की बेहतर देखभाल को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करता है जिसके कारण डॉक्टर और मरीज़ के संबंधों में विश्वास की कमी आती है। यही अविश्वास आगे चलकर डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा का रूप धारण कर लेता है।

भारतीय स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में संरचनात्मक मुद्दे

उपचारात्मक उपाय 

विधिक ढाँचा: स्वास्थ्य कर्मियों के खिलाफ हिंसा से निपटने के लिये प्रभावी क्रियान्वयन तंत्र के साथ व्यापक विधिक ढाँचा। उदाहरण के लिये: पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा पारित चिकित्सा सुरक्षा अधिनियम अपने लचर क्रियान्वयन के कारण स्वास्थ्य कर्मियों के खिलाफ हिंसा को रोकने में विफल रहा है।

अभिशासन: रुग्ण/बीमार चिकित्सा क्षेत्र को मज़बूत करने के लिये अखिल भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं का निर्माण।

चिकित्सा शिक्षा: चिकित्सा शिक्षा के उच्च मानकों को प्राप्त करने के लिये हमारा लक्ष्य प्रत्येक पहलू का पुनर्मूल्यांकन होना चाहिये; संसाधनों के समान वितरण को बढ़ावा देना, कठोर क्रियान्वयन और बेहतर मूल्यांकन विधियों के साथ पाठ्यक्रम को फिर से डिज़ाइन करना, जैसे सुधारों के माध्यम से कुशल चिकित्सा विशेषज्ञों को तैयार किया जा सकता है और बेहतर स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं की आपूर्ति सुनिश्चित की जा सकती है। इन सुधारों के माध्यम से स्वास्थ्य प्रणाली में वांछित परिवर्तनों को संभव बनाया जा सकता है।

प्रौद्योगिकी का उपयोग: कृत्रिम बुद्धिमत्ता नैदानिक अंतर्दृष्टि में सटीकता तथा सुरक्षा को बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण साबित होगी। 

सार्वभौमिक स्वास्थ्य देखभाल: आयुष्मान भारत योजना ने भारत को सार्वभौमिक स्वास्थ्य सेवा के करीब लाने में मदद की है, जो 10 करोड़ गरीब परिवारों को 5 लाख रुपए का स्वास्थ्य बीमा प्रदान करती है। लेकिन अभी भी देश की आबादी का एक बड़ा हिस्सा इन सुविधाओं से वंचित है, इसलिये इस योजना को सार्वभौमिक रूप से लागू करने की आवश्यकता है।

वित्तपोषण तंत्र में सुधार: वित्त का प्रवाह नियमित और पर्याप्त रूप से होना चाहिये। परियोजनाएँ स्पष्ट रूप से परिभाषित और लक्ष्य-उन्मुखी होनी चाहिये ताकि इनके परिणामों का वितरित किये गए धन के सापेक्ष मूल्यांकन किया जा सके। वित्तीय-तंत्र पारदर्शी होना चाहिये और नौकरशाही तथा दस्तावेज़ संबंधी अनावश्यक हस्तक्षेपों को कम किया जाना चाहिये ताकि भ्रष्टाचार को समाप्त या न्यूनतम किया जा सके। कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (CSR) और सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) वित्तपोषण को बेहतर बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

  • स्वास्थ्य सेवाओं के उच्च मानकों के लक्ष्य को हासिल करने के लिये सरकार द्वारा स्वास्थ्य सेवाओं के लिये किये जाने वाले व्यय में वृद्धि अनिवार्य है। हेल्थकेयर फंडिंग बढ़ाने के लिये राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति, जो स्वास्थ्य पर सार्वजनिक व्यय को जीडीपी के 2.5% तक बढ़ाने के लिये लक्षित है, को बुनियादी ढाँचे को मज़बूत बनाने और सरकारी अस्पतालों की क्षमताओं में वृद्धि करने की ओर लक्षित होना चाहिये।