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भारत के परिवर्तन में शिक्षा एक केंद्रीय भूमिका निभा सकती है। मसौदा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2019 के संदर्भ में चर्चा कीजिये।

18 Jul 2019 | सामान्य अध्ययन पेपर 2 | सामाजिक न्याय

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण:

• भारत में शिक्षा के महत्त्व की चर्चा कीजिये। 

• राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मसौदा कैसे इस दृष्टि के अनुरूप है? उल्लेख कीजिये। 

• शिक्षा नीति की मुख्य विशेषताओं और उसके महत्त्व का उल्लेख कीजिये।

• बताइए कि शिक्षा राष्ट्र निर्माण में कैसे मदद कर सकती है? कुछ सुझावों के साथ निष्कर्ष लिखिये।

परिचय

गरीबी और असमानता को कम करने के लिये शिक्षा सबसे शक्तिशाली उपकरणों में से एक है। यह वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत की प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ाने के लिये भी महत्त्वपूर्ण है। इसलिये सभी के लिये गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुँच को सुनिश्चित करना भारत के सामाजिक और आर्थिक विकास के केंद्र में है।

स्वरूप/ढाँचा

  • भारतीय शिक्षा प्रणाली वर्तमान में कई खामियों से ग्रसित है और सीखने के परिणामों (learning outcomes) में भी निरंतर गिरावट आ रही है। प्रतिवर्ष जारी की जाने वाली कई रिपोर्टों और सर्वेक्षणों जैसे- ASER (वार्षिक स्थिति की शिक्षा रिपोर्ट) सर्वेक्षण, राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण (NAS), आदि में इन खामियों को उदघाटित किया गया है। भारतीय शिक्षा प्रणाली की इन खामियों को दूर करने के लिये ही मसौदा राष्ट्रीय शिक्षा नीति को अभिकल्पित (designe) किया गया है।
  • डॉ. के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता वाली समिति ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मसौदा प्रस्तुत किया है, जिसमें भारत के एक ज्ञान महाशक्ति बनने की परिकल्पना की गई है। यह पहुँच, समता, गुणवत्ता, वहन करने योग्य और जवाबदेहिता के आधारभूत स्तंभों पर आधारित है।

शिक्षा नीति का मसौदा निम्नलिखित पहलुओं पर केंद्रित है:

  • पूर्व-प्राथमिक शिक्षा: यह अनुशंसा करता है कि 3-6 वर्ष की आयु के सभी बच्चों के लिये अर्ली चाइल्डहुड केयर एंड एजुकेशन (ECCE) को शिक्षा के अधिकार (RTE) अधिनियम का एक अभिन्न अंग बनाया जाए।
  • यह खेल और खोज-आधारित शिक्षा पर ध्यान केंद्रित है और पूर्व-प्राथमिक से प्राथमिक विद्यालयों तक शिक्षा में निरंतरता को सुनिश्चित करता है।
  • पढने और गणित से संबंधित कौशल: यह ग्रेड 1 से 5 के बच्चों में गणित और पढ़ने से संबंधित कौशल के विकास करने हेतु प्रतिदिन विशेष समय के निर्धारण के लिये विद्यालय के पाठ्यक्रम को पुनर्संरचित करने का प्रस्ताव करता है। यह उन छात्रों के लिये उपचारात्मक कक्षाओं का भी प्रस्ताव करता है जिन्हें विशेष सहायता की आवश्यकता होती है।
  • उच्च शिक्षा: इसका लक्ष्य तीन स्तरीय प्रणाली के आधार पर देश भर में विश्व स्तरीय बहु-विषयक उच्च शिक्षा संस्थान बनाना है:

टियर 1: अनुसंधान संस्थान, टीयर 2: शिक्षण संस्थान, टीयर 3: स्वायत्त रूप से डिग्री देने वाले कॉलेज।

  • इसका उद्देश्य उच्च शिक्षा में 2035 तक GER (सकल नामांकन अनुपात) को कम-से-कम 50% तक वृद्धि करना है।
  • यह राष्ट्रीय अनुसंधान संस्थान खोलने का प्रस्ताव करता है, जो सभी विषयों में उत्कृष्ट अनुसंधान प्रस्तावों के लिये प्रतिस्पर्द्धी वित्त प्रदान करेगा।
  • भाषाएँ: मसौदे में त्रि-भाषा फॉर्मूले को जारी रखने की सिफारिश की गई है। लेकिन इसने भाषाओं के चुनाव में लचीलेपन को प्रस्तावित किया गया है। हिंदी और अंग्रेज़ी अब ऐसी नियत भाषा के रूप में नहीं होंगी जिन्हें छात्रों को ग्रेड 6 से पढ़ना अनिवार्य हो।

इसलिये नीति पाठ्यक्रम के भार को कम करने और बहुभाषावाद, प्राचीन भारतीय ज्ञान प्रणालियों, वैज्ञानिक मनोवृत्ति, नैतिक तर्क, सामाजिक ज़िम्मेदारी, डिजिटल साक्षरता और स्थानीय समुदायों द्वारा सामना किये जाने वाले महत्त्वपूर्ण मुद्दों के ज्ञान को बढ़ावा देने की वकालत करती है।

इस प्रकार यह देखा जा सकता है कि मसौदा नीति तकनीकी, कानूनी, व्यावसायिक, अनुसंधान एवं विकास नवाचार, शिक्षक की शिक्षा आदि शिक्षा सुधारों के व्यापक और समग्र दृष्टिकोण की परिकल्पना करती है।

निष्कर्ष:

मसौदा नीति के प्रावधान प्रगतिशील विचार हैं, लेकिन उनके क्रियान्वयन में वित्तीय आवश्यकताओं और शासन संरचना से संबंधित बाधाएँ भी हैं। शिक्षा में सार्वजनिक व्यय को धीरे-धीरे जीडीपी के कम-से-कम 6% तक बढ़ाने की आवश्यकता है।

पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के शब्दों में, "सीखने से रचनात्मकता आती है, रचनात्मकता सोच को बढाती है, सोच ज्ञान प्रदान करती है और ज्ञान आपको महान बनाता है।" इस प्रकार केवल राष्ट्र के युवाओं को शिक्षित करके ही “न्यू इंडिया” के लक्ष्य को सफल बनाया जा सकता है।