ग्राम स्वराज का विचार इसके मूलतत्त्व में अमल में नहीं आया है। समालोचनात्मक परिक्षण कीजिये। (250 शब्द)
17 Jul 2019 | सामान्य अध्ययन पेपर 2 | राजव्यवस्था
हल करने का दृष्टिकोण: • ग्राम स्वराज का संक्षिप्त परिचय दीजिये। • किस प्रकार ग्राम स्वराज का विचार अपने मूल तत्त्व के रूप में अमल में नहीं आया है? समालोचनात्मक परीक्षण कीजिये। |
परिचय:
ग्राम स्वराज अपने मूलतत्त्व के रूप में अमल में नहीं आया है:
औद्योगिकीकरण के पश्चिमी मॉडल को अपनाना:
महात्मा गांधी इस तथ्य से सचेत थे कि औद्योगिकीकरण विकेंद्रीकृत ग्रामीण उद्योगों को नष्ट कर भारतीय समाज को क्षतिग्रस्त कर देगा। वह ग्रामीण लोगों के जीवन में खुशहाली लाने का एकमात्र उपाय आर्थिक कार्यक्रमों में गाँव की केंद्रीय भूमिका को मानते थे। लेकिन भारत ने इसके विपरीत योजना आयोग के माध्यम से अधोगामी नियोजन (Top Down Planning) को अपनाया।
स्वतंत्रता के पश्चात् ग्राम स्वराज को प्राथमिकता नहीं:
महात्मा गांधी ग्राम पंचायत को पुनर्जीवित करना चाहते थे ताकि ज़मीनी स्तर पर प्रत्यक्ष लोकतंत्र को सुनिश्चित किया जा सके। लेकिन स्वतंत्र भारत के संविधान में ग्राम पंचायतों के पुनर्जीवन को राज्य नीति के अंतर्गत शामिल कर केवल राज्य के नीति निदेशक तत्वों के रूप में इसका उल्लेख किया गया। (अनु.40)
स्थानीय संस्थाओं में शक्ति की कमी:
महात्मा गांधी के अनुसार ग्राम स्वराज के मूल सिद्धांत- ट्रस्टीशिप, स्वदेशी, पूर्ण रोज़गार, स्वावलंबन, विकेंद्रीकरण, समानता, आत्म-पर्याप्तता, नयी तालीम आदि हैं। लेकिन सही मायनों में विकेंद्रीकरण और समावेशी का विकास अभी भी नहीं हुआ है।
खादी:
खादी का विचार उत्पादों के विकेंद्रीकरण और जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं के वितरण से संबंधित है। खादी भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। हालाँकि यह क्षेत्र मशीनी करघों के चलते पिछड़ गया है।
हालाँकि ग्राम स्वराज कई मायनों में अपने मूलतत्व के रूप में लागू भी हुआ है:
पंचायत को संवैधानिक दर्जा:
24 अप्रैल, 1993 से लागू 73वाँ संशोधन अधिनियम, 1992 विकेंद्रीकरण की प्रक्रिया की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है। इस संशोधन द्वारा ग्राम सभा की संस्था को संवैधानिक मंज़ूरी प्रदान की गई। इस संस्था का प्रभावी प्रयोग महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज और स्थानीय स्वशासन की अवधारणा की प्राप्ति के लिये मील के पत्थर के रूप में किया जा सकता है।
खादी पर नए सिरे से ध्यान देना:
15 अगस्त, 2008 को प्रधानमंत्री रोज़गार सृजन कार्यक्रम (PMEGP) की घोषणा की गई जिसका उद्देश्य देश के ग्रामीण और शहरी लोगों के लिये रोज़गार का सृजन करना था। इसी तरह वर्ष 2005 में क्लस्टर विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से स्फूर्ति (SFURTI) नामक योजना शुरू की गई थी जो परंपरागत उद्योगों के पुनरुत्थान हेतु निधि उपलब्ध कराती है।
राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान:
यह ग्रामीण स्थानीय शासन को स्थानीय विकास आवश्यकताओं के प्रति अधिक अनुक्रियात्मक बनाने के लिये पंचायती राज संस्थाओं की क्षमताओं का विकास करेगा और उसे मज़बूती प्रदान करेगा। यह स्थानीय समस्याओं के स्थायी समाधानों को साकार करने के लिये उपलब्ध संसाधनों का कुशल और इष्टतम उपयोग करने वाली सहभागी योजनाओं को तैयार करने में मदद करेगा।
निष्कर्ष:
महात्मा गांधी मानते थे कि भारत गाँवों में बसता है न कि महलों, शहरों या झोपड़ियों में। उनका विश्वास था कि “यदि गाँवों का नाश होता है तो भारत भी नष्ट हो जाएगा।” हमें स्थानीय संस्थाओं को पुनर्जीवित करने और उन्हें मज़बूती प्रदान करने की आवश्यकता है ताकि महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके।