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17 Jul 2019
सामान्य अध्ययन पेपर 2
राजव्यवस्था
शासन में सरकार, निजी क्षेत्र और समुदाय के सामूहिक प्रयासों को गतिशील बनाने वाले कई योगदानकर्त्ताओं के लिये 'सरकार' के विकल्प को खुला रखना शामिल है। चर्चा कीजिये। (250 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
• सरकार और नागरिक समाज के सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता के बारे में बताते हुए उत्तर शुरू कीजिये।
• सुशासन में अन्य हितधारकों की भूमिका के बारे में बताइए।
• नागरिक-केंद्रित शासन के लाभों (उदाहरण सहित) का उल्लेख करते हुए निष्कर्ष लिखिये।
परिचय
कौटिल्य के अर्थशास्त्र के अनुसार, सुशासन शांति और व्यवस्था के साथ आता है जिसे एक समुदाय में विभिन्न अभिकर्त्ताओं के सहयोग से प्राप्त किया जा सकता है। इस प्रकार, सुशासन में सरकार, नागरिक समाज के समूहों और निजी क्षेत्र के सामूहिक प्रयास शामिल होते हैं। इसीलिये यह शासन का एक रूप होता है जो सरकार से परे है।
स्वरूप/ढाँचा
सरकार केवल शासन के अभिकर्त्ताओं में से एक है। प्रभावी शासन के लिये सरकार पर अति-निर्भरता नहीं हो सकती है।
सरकार पर अति-निर्भरता से संबंधित मुद्दे निम्नलिखित हैं:
- सरकारी व्यय में वृद्धि होना।
- निर्धारित परियोजनाओं के पूर्ण होने में अधिक देरी होने के कारण लागत और समय में वृद्धि होना।
- प्रभावी शिकायत निवारण प्रणाली की अनुपस्थिति में नागरिकों के मध्य असंतोष।
- भ्रष्टाचार और सत्ता के दुरुपयोग जैसी सामाजिक कुप्रथाओं में वृद्धि होना।
शासन में नागरिकों की सक्रिय भागीदारी शामिल होती है। इसीलिये, शासन को अधिक प्रभावी बनाने के लिये गैर-सरकारी संगठनों, निजी कंपनियों, स्वयं सहायता समूहों, शहरी क्षेत्रों में निवासी कल्याण संघों, आदि जैसे अन्य संगठनों की भागीदारी भी महत्त्वपूर्ण है।
द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग की रिपोर्ट में 'नागरिक केंद्रित शासन' के निम्नलिखित लाभ वर्णित हैं:
- यह नागरिकों को जवाबदेही की मांग करने में सक्षम बनाता है।
- सरकारी कार्यक्रमों और सेवाओं को अधिक प्रभावी एवं टिकाऊ बनाता है।
- सार्वजनिक नीति और सेवा वितरण को प्रभावित करने के लिये गरीबों एवं हाशिये पर रहने वाले वर्गों को सक्षम बनाता है।
- ज़मीनी स्तर पर जीवंत लोकतंत्र को बढ़ावा देता है।
- नागरिकों को परोपकारी कार्यक्रमों में भाग लेने का अवसर प्रदान कर समतामूलक समाज को बढ़ावा देता है।
लोगों की भागीदारी न सिर्फ नागरिकों के लिये बल्कि सरकारी अधिकारियों के लिये भी उपयोगी है। लोगो की भागीदारी से अधिकारी एवं सिविल सेवकों को ज़रूरी ज़ानकारी प्राप्त होती है। इस जानकारी के माध्यम से ये अपने कार्यों को अधिक नागरिक उपयोगी बना सकते हैं। सामाजिक अंकेक्षण जैसी पहलें जो उर्ध्वगामी उपागम को रेखांकित करती हैं, लोगों को सामाजिक बदलाव का प्रतिनिधि बनाने में कारगर हो सकती हैं।
सामूहिक भागीदारी के कुछ उदाहरण हैं:
- पोलियो निवारण कार्यक्रम: सभी स्तरों पर सावर्जनिक एजेंसियों एवं निजी चिकित्सालयों द्वारा शहरी तथा ग्रामीण क्षेत्रों में नागरिकों की प्रत्यक्ष भागीदारी के ज़रिये पोलियो निवारण कार्यक्रम का संचालन करना।
- समाज में परिवर्तन के लिये निज़ी क्षेत्र को शामिल किया जाना चाहिये। कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) का उपयोग कर निज़ी क्षेत्र समाज के प्रति अपने ज़िम्मेदारियों का निर्वहन कर सकता है।
- धरोहर स्थलों पर पर्यटक सुविधाओं के विकास और रखरखाव हेतु 'एडॉप्ट ए हेरिटेज: अपनी धरोहर, अपनी पहचान' योजना।
- केरल का सुलेमानी कार्यकम, इस कार्यक्रम के माध्यम से निज़ी रेस्टोरेंट तथा नागरिकों की भागीदारी के माध्यम से शहरी क्षेत्र में भूख से पीड़ित लोगों को भोजन उपलब्ध कराया जाता है।
- IAS प्रशांत नायर 'दयावान कोझीकोड' पहल के माध्यम से निजी क्षेत्र और समुदाय को संगठित करने के लिये सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग कर रहे है।
इस प्रकार शासन का उद्देश्य न केवल सरकारी प्रयासों, बल्कि निजी संगठनों और समुदाय के प्रयासों के माध्यम से अधिकतम लोगों के हितों की रक्षा करना है।
निष्कर्ष
इस प्रकार शासन का उद्देश्य प्रशासनिक संरचना और प्रक्रियाओं को कुशल, प्रभावी एवं उत्तरदायी बनाना है। यह प्रदाताओं और सेवाओं के प्राप्तकर्त्ताओं के बीच दो-तरफ़ा सहयोगात्मक प्रक्रिया है। इस तरह के सहयोगात्मक प्रयासों से ही सरकार के 'अधिकतम शासन, न्यूनतम सरकार’ के आदर्श लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।