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लोकपाल के कार्य क्या हैं? यह भारत में पहले से स्थापित भ्रष्टाचार विरोधी निकायों से कैसे अलग है? (250 शब्द)

16 Jul 2019 | सामान्य अध्ययन पेपर 2 | राजव्यवस्था

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण:

• लोकपाल से संबंधित प्रावधानों का संक्षिप्त परिचय दीजिये।

• भ्रष्टाचार को रोकने के लिये लोकपाल की शक्तियों का विवरण दीजिये।

• बताइये कि पहले से स्थापित भ्रष्टाचार विरोधी निकायों से यह किस प्रकार अलग है।

• निष्कर्ष लिखिये।

परिचय:

  • भारतीय प्रशासनिक सुधार आयोग (1966-1970) ‘नागरिकों की शिकायतों के निवारण में खामियाँ’ विषय पर अंतरिम रिपोर्ट प्रस्तुत की। इस रिपोर्ट में नागरिकों की समस्याओं के समाधान हेतु दो विशेष प्राधिकारियों लोकपाल व लोकायुक्त की नियुक्ति की अनुशंसा की गई। लोकपाल, केंद्र व लोकायुक्त, राज्य स्तर के लोकसेवकों के विरुद्ध भ्रष्टाचार संबंधी शिकायतों की जाँच करते हैं।

प्रमुख बिंदु:

  • लोकपाल व लोकायुक्त अधिनियम, 2013 लोक सेवकों के विरुद्ध भ्रष्टाचार की जाँच के लिये केंद्र में लोकपाल व राज्यों में लोकायुक्त के गठन का प्रावधान करता है।

लोकपाल के कार्य:

प्रशासनिक सुधार आयोग की सिफारिश के अनुसार लोकपाल व लोकायुक्त के निम्न कार्य होंगे-

  • ये स्वतंत्र व निष्पक्ष कार्यवाही करेंगे।
  • इनका स्तर देश में उच्चतम न्यायिक प्राधिकारियों के समान होगा।
  • इनकी कार्यवाहियों में न्यायिक हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा।
  • ये अपने विवेकानुसार भ्रष्टाचार व पक्षपात से संबंधित मामलों की जाँच करेंगे।

लोकपाल के क्षेत्राधिकार व शक्तियाँ

  • प्रधानमंत्री, मंत्री, सांसद तथा केंद्र सरकार के ग्रुप A, B व ब् के अधिकारी लोकपाल के क्षेत्राधिकार में शामिल होते हैं।
  • संसद में मंत्रियों व सांसदों द्वारा दिये गए वक्तव्य व मत विभाजन के समय किये गए मतदान लोकपाल के क्षेत्राधिकार में शामिल नहीं होते हैं।
  • केंद्रीय विधि के तहत गठित, केंद्र से वित्तीय सहायता प्राप्त व केंद्र द्वारा नियंत्रित किसी संस्था/सोसायटी के पदाधिकारी इसके क्षेत्राधिकार में शामिल होंगे।
  • लोकपाल अधिनियम लोकसेवकों को उनकी संपत्ति व देयता को प्रस्तुत करने का प्रावधान करता है।
  • लोकपाल की जाँच शाखा को सिविल कोर्ट की शक्तियाँ प्राप्त है।
  • लोकपाल किसी मामले को सी.बी.आई. को सौंप सकता है और इस प्रकार के मामलो के जाँच अधिकारी का स्थानांतरण लोकपाल की सहमति के बिना नहीं हो सकता है।
  • लोकपाल भ्रष्टाचार के आरोपी अधिकारियों के स्थानांतरण की अनुशंसा कर सकता है।
  • लोकपाल के पास प्रारंभिक जाँच के दौरान दस्तावेजों को नष्ट होने से रोकने के लिये निर्देश देने की शक्ति प्राप्त है।

पहले से स्थापित भ्रष्टाचार विरोधी निकायों से असमानता:

  • सी.बी.आई. भ्रष्टाचार निरोधक शाखा द्वारा भ्रष्टाचार के मामलों की जाँच करती है।
  • केंद्रीय सतर्कता आयोग केंद्र सरकार के विभागों पर भ्रष्टाचार के आरोपों से संबंधित लिखित शिकायतों व पद के दुरुपयोग से संबंधित शिकायतों की जाँच करेगा।
  • प्रवर्तन निदेशालय धन शोधन अधिनियम, 2002 व फेमा (FEMA), 1999 से संबंधित शिकायतों की जाँच करता है।

असमानता:

  • लोकपाल का क्षेत्राधिकार अन्य भ्रष्टाचार विरोधी निकायों की तुलना में अधिक विस्तृत है।
  • लोकपाल को सिविल कोर्ट की शक्तियाँ प्राप्त है जिसके तहत भ्रष्टाचार से ली गई संपत्ति को जब्त करने का अधिकार, प्राप्त है।
  • लोकपाल बहु-सदस्यी निकाय है जिसमें एक अध्यक्ष व अधिकतम 8 अन्य सदस्य होते हैं।
  • लोकपाल के सदस्यों की नियुक्ति चयन समिति की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है।

निष्कर्ष:

लोकपाल भ्रष्टाचार के विरूद्ध एक शक्तिशाली संस्था है जो कि सरकारी कार्यालयों में भ्रष्टाचार समाप्त करने के लिये उपयोगी साबित होगी।